भारतीय समाज और परिवार मर्यादाओं की लक्ष्मणरेखा में ही हो रहे हैं पल्लवित – साध्वी कृष्णानंद
गीता भवन में चल रही रामकथा में वनवास के अनेक प्रसंगों का दिलचस्प वर्णन

आज राम राज्याभिषेक
इंदौर। भारतीय समाज मर्यादाओं और आत्मसम्मान में जीता है। हमारे परिवार मर्यादाओं की लक्ष्मण रेखा में ही पल्लवित हो रहे है। जब तक हम मर्यादा की लक्ष्मण रेखा में रहेंगे, हमारा आत्मसम्मान भी सुरक्षित रहेगा। दुनिया के सारे विवादों का जन्म लक्ष्मण रेखा के उल्लंघन से ही होता है। शबरी के जूठे बैर खाकर भगवान ने प्रेम और सौजन्यता की पराकाष्ठा प्रकट की है। निष्काम और निश्छल प्रेम हो तो भगवान भी हमारी कुटिया में आकर जूठे फल स्वीकार कर लेंगे, यही इस प्रसंग का अनुकरणीय भाव है। भरत मिलाप जैसे प्रसंग भाइयों के बीच अखंड प्रेम, स्नेह और परस्पर विश्वास के जीवंत उदाहरण है।
गीता भवन सत्संग सभागृह में वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद के सानिध्य में उनकी सुशिष्या साध्वी कृष्णानंद ने रामकथा के दौरान वनवास एवं भरत मिलाप प्रसंग की व्याख्या करते हुए उक्त प्रेरक बातें कहीं। कथा का आयोजन रामदेव मन्नालाल चेरिटेबल ट्रस्ट, गोयल पारमार्थिक ट्रस्ट एवं गोयल परिवार की मेजबानी में ब्रह्मलीन मन्नालाल गोयल एवं मातुश्री स्व. श्रीमती चमेलीदेवी गोयल की पावन स्मृति में गत 17 जून से यह दिव्य आयोजन जारी है। शनिवार को समाजसेवी प्रेमचंद –कनकलता गोयल एवं विजय-श्रीमती कृष्णा गोयल ने व्यासपीठ का पूजन कर स्वामी भास्करानंद से शुभाशीष प्राप्त किए। सैकड़ों भक्तों ने आरती में भी भाग लिया। गीता भवन में कथा का यह क्रम 23 जून तक प्रतिदिन सांय 4 से 7 बजे तक चलेगा। रविवार को राम राज्य अभिषेक प्रसंग के साथ कथा का समापन होगा।
साध्वी कृष्णानंद ने कहा कि मानस का हर प्रसंग अनुकरणीय और अद्वितीय है। सीताहरण का प्रसंग समाज को मर्यादित रहने का संदेश देता है। भारतीय समाज मर्यादा की लक्ष्मण रेखा से ही सुशोभित है। संयुक्त परिवार लक्ष्मण रेखा की मर्यादाओं में गूंथे समाज की पहचान है। विवादों का जन्म तभी होता है जब लक्ष्मण रेखा लांघी जाती है। रामायण में इस तरह के अनेक प्रसंग हैं जहां जीवन जीने की कला सीखने को मिलती है।