खरगोनराजनीति

किस पर टुटेगा पहाड़ !

खरगोन से दिनेश गीते.

भीकनगांव :- हिन्दी भाषा में एक मुहावरा है “पहाड़ टुटना” ओर इसका अर्थ है अचानक मुसीबत आ जाना। लेकिन  इस मुहावरे का अर्थ भीकनगांव विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों के लिए कुछ विपरीत असर दिखा रहा है। सभी प्रत्याशी इस पहाड़ को तोड़कर अपने – अपने पक्ष में मतदान कराने के लिए मुसीबत में पड़ने अर्थात जीत हासिल करने के लिए भी तैयार हैं। सर्वविदित है कि विधानसभा चुनाव 2023 के लिए मतदान 17 नवंबर को होना है। भीकनगांव विधानसभा चुनाव में इस बार 6 प्रत्याशी मैदान में हैं और सबकी नजर झिरन्या क्षेत्र के पहाड़ पर ही है। इस पहाड़ी क्षेत्र में बसे वनवासी मतदाताओं को लुभाने के लिए अपना-अपना दमखम लगा रहे हैं और विगत कई दिनों से पहाड़ पर ही डेरा डाले हुए हैं। इस पहाड़ी क्षेत्र में मोबाईल नेटवर्क ओर सुगम आवागमन एक बड़ी समस्या है जिसके चलते प्रत्याशीयो को उस पहाड़ी क्षैत्र में बसे वनवासी मतदाताओं से सीधे रुबरू होने के लिए या तो पहाड़ चढ़ना पड़ रहा है या फिर साप्ताहिक हाट बाजार में पहाड़ से नीचे उतर कर आने वाले मतदाताओं से झिरन्या, चिरीया पहुंचकर संपर्क स्थापित करना पड़ रहा है। लोगों में इस बात की भी खुब चर्चा है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में जो प्रत्याशी पहाड़ को तोड़ने में सफल होगा वहीं जीत हासिल कर पाएगा। प्रमुख राजनीतिक दलों कांग्रेस ओर भाजपा के प्रत्याशियों के संबंध जरूर इस पहाड़ पर बसे वनवासी मतदाताओं से है लेकिन इनके निवास जिला ओर अनुभाग पर है। वहीं अन्य राजनीतिक दल बसपा ओर एक निर्दलीय प्रत्याशी पहाड़ के ही निवासी हैं और उनका इन वनवासी मतदाताओं से सीधा संबंध ओर संपर्क भी है। अब देखना यह होगा कि किस प्रत्याशी के पक्ष में मत देने के लिए पहाड़ का वनवासी मतदाता टूट पड़ेगा ! यह सब मतगणना के बाद ही पता चल सकेगा।

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