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सेंधवा के तत्कालीन जनपद सीईओ लाखनसिंह राजपूत को आय से अधिक संपत्ती मामले में सजा

बड़वानी
आय से अधिक संपत्ति के मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत गठित विशेष न्यायालय के न्यायाधीश राकेश गोयल की कोर्ट ने बडवानी जिले की सेंधवा जनपद के तत्कालीन जनपद सीईओ आरोपी लाखन सिंह राजपूत निवासी विजयनगर इंदौर को दोषी पाते हुए सश्रम कारावास और आर्थिक दंड से दंडित किया है। बता दे आरोपी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) (ई) सहपठित धारा 13 (2) के तहत 4 वर्ष सश्रम कारावास और 2 करोड रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया है। वहीं अचल संपत्तियों को राज्य शासन के पक्ष मे राजसात किये जाने के लिए भी आदेश दिए है। अर्थदण्ड अदा नहीं करने पर आरोपी को 01 वर्ष का अतिरिक्त कठोर कारावास के दण्ड से दण्डित किया गया। प्रकरण में विशेष लोक अभियोजक श्रीमती ज्योति गुप्ता द्वारा पैरवी की गई। अभियोजन की ओर से मामले को प्रमाणित करने के लिए कुल 44 अभियोजन साक्षीगण के कथन कराए गए थे। आरोपी ने अपने बचाव मे 3 साक्षीगण कथन कराए। आरोपी लाखन सिंह राजपूत के विरुद्ध आय से अधिक सम्पत्ति होने की सूचना प्राप्त हुई थी। जिस पर तस्दीक उपरांत दिनांक 11.11.2011 को अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया था। चेक अवधि दिनांक 01.01.1979 से दिनांक 11.11.2011 की अवधि में अपने वैद्य स्त्रोतो से कुल राशि 38,83,457 /- रुपये की आय अर्जित की, जबकि आरोपी ने उक्त अवधि में चल / अचल सम्पत्ति एवं विभिन्न मदों पर कुल राशि 4,58,99,399/- रुपये का व्यय किया। इस प्रकार आरोपी द्वारा राशि 4.20,15,942/- रुपये की अनुपातहीन सम्पत्ति पाई गई थी।

यह है पूरा मामला-
आरोपी लाखन सिंह राजपूत तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत सेंधवा जिला बड़वानी म.प्र. के संबंध में दिनांक 11 नवंबर 2011 को गुप्त सूचना प्राप्त हुई कि आरोपी द्वारा भ्रष्टाचार कर अवैधानिक रूप से अनुपातहीन सम्पत्ति अर्जित की गई है। जिसके अंतर्गत मकान नंबर सी.एच. 82 स्कीम नंबर 74-सी, भूखंड क्रमांक-8 डी.बी./एस-3 स्कीम नंबर 78, भूखंड क्रमांक-9 डी.बी./एस-3 स्कीम नंबर 78, मकान नंबर सी.एच.-188 स्कीम नंबर 74-सी, भूखंड क्रमांक 18 योजना क्रमांक 136 की चल-अचल सम्पत्ति के अनुबंध का लेख था। उक्त सूचना पर से आरोपी के विरूद्ध जांच प्रारंभ की गई। विवेचना उपरांत अभियुक्त के कब्जे मे 4 करोड़ 20 लाख 15 हजार 942 रू की अनुपातहीन संपत्ति पाई गई। जिसका आरोपी द्वारा कोई संतोषप्रद लेखा प्रस्तुत नही किया गया। इसलिए अभियुक्त के विरूद्ध उक्त धाराओं मंे दिनांक 11.09.2013 को अभियोग पत्र सक्षम न्या्यालय मे प्रस्तुत किया गया। जिस पर से अभियुक्त को उक्त दण्ड से दण्डित किया गया।

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