सरकार का अब कॉलेजों पर चलेगा डंडा, जो कॉलेज निरीक्षण में खरा उतरेगा, उसे ही मिलेगी एनओसी नए सत्र के लिए उच्च शिक्षा विभाग कर रहा तैयारी:
मध्यप्रदेश में प्राइवेट कॉलेजों का वेरिफिकेशन कराएगी सरकार, सात दिन में मांगी रिपोर्ट मुरैना में फर्जी कॉलेज के खुलासे के बाद फैसला।

आशीष यादव धार
प्रदेश व जिले में फर्जी कॉलेज को लेकर सरकार सख्त नजर आ रही है। इसलिए सरकार का डंडा अब निजी कॉलेजों पर चलने जा रहा है। इसके लिए सरकार नियम के तहत कॉलेज का संचालन करने वाले कॉलेज को ही मान्यता देगी वहीं पूर्व में नर्सिंग कॉलेज को लेकर भी सरकार सख्त थी इसलिए प्रदेश के साथ जिले में कहीं कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी गई थी। निजी कॉलेजो फर्जीवाड़े सामने आने के बाद सरकार के कड़े कदम प्रदेश भर में लागू करने जा रही है। जिसके नए शिक्षा सत्र 2025-26 शुरू होने से पहले उच्च शिक्षा विभाग धार के साथ अन्य जिलो के कॉलेजों का निरीक्षण करवा रहा। इसके बाद ही कॉलेजों को एनओसी जारी होगी। कॉलेजों में निरीक्षण के दौरान सुविधाओं और मापदंडों के अनुसार रिपोर्ट तैयार की जाएगी। जो कॉलेज खरा नहीं उतरेगा, उसकी एनओसी रोकी जाएगी। उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेजों में क्वालिटी एजुकेशन तथा छात्रों की सुविधाओं पर फोकस करने के लिए पहली बार यह पहल की है। इसमें सख्ती भी की जाएगी। यानी जहां तय मापदंड से कम सुविधाएं होंगी, उनकी एनओसी रोकी जाएगी। इसमें नए सत्र से शुरू होने वाले नए कॉलेज भी शामिल हैं। दरअसल हर साल उच्च शिक्षा विभाग सभी नए-पुराने कॉलेजों को उनके ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया व दस्तावेजों के आधार पर एनओसी जारी करता है। उसके बाद ही ऑनलाइन एडमिशन प्रक्रिया में कॉलेजों का नाम जुड़ता है। लेकिन पहली बार सभी कॉलेजों में जिला प्रशासन व प्रोफेसरों की संयुक्त टीम निरीक्षण कर रही है। इसकी रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की प्रक्रिया शुरू होगी।
मुरैना में फर्जी कॉलेज का खुलासा:
मुरैना जिले के झुंडपुरा में फर्जी कॉलेज का खुलासा होने के बाद सरकार अलर्ट दिख रही है। अब उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश – में संचालित प्राइवेट कॉलेजों का फिजिकल वेरिफिकेशन कराया जाएगा। उच्च शिक्षा विभाग ने इसके लिए प्रदेश के सभी अग्रणी शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों को निर्देश जारी कर सात दिन में रिपोर्ट देने को कहा है। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि प्रदेश के सभी जिलों को यह रिपोर्ट देनी है कि उनके जिले में पहले से संचालित और प्रस्तावित नए प्राइवेट कॉलेजों का फिजिकल वेरिफिकेशन के बाद क्या स्थिति है। इसके लिए हर जिले में शासकीय महाविद्यालय के दो नियमित शिक्षकों की समिति का गठन कर निरीक्षण कराया जाएगा। निरीक्षण दल की रिपोर्ट अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा को सौंपनी होगी। अग्रणी महाविद्यालयों से यह रिपोर्ट सात दिन में सौंपने को कहा हा गया है ताकि शासन द्वारा ऐसे कालेजों को एनओसी जारी किए जाने के मामले में फैसला लिया जा सके।
कॉलेज बिल्डिंग की जानकारी देनी होगी:
निरीक्षण दल को यह देखना होगा कि महाविद्यालय का संचालन खुद के भवन, किराए के भवन या लीज पर लिए भवन में हो रहा है। समिति को उपलब्ध कुल भूमि (एकड़ में), खसरा नंबर और भूमि डायवर्जन की जानकारी देनी होगी। कॉलेज परिसर में मौजूद भवनों की संख्या, उनके क्षेत्रफल और कुल निर्मित क्षेत्रफल का विवरण भी देना होगा जांच में प्राचार्य कक्ष, व्याख्यान कक्ष, कार्यालय, स्टाफ कक्ष, पुस्तकालय, एनसीसी, एनएसएस कक्ष, छात्राओं के लिए कॉमन रूम, प्रयोगशालाएं, कंप्यूटर कक्ष, खेल मैदान और पार्किंग क्षेत्र की व्यवस्था का ब्यौरा देना आवश्यक होगा।
स्टूडेंट्स की डिटेल भी बताना होगी:
इंस्पेक्शन टीम को कॉलेज में कुल विद्यार्थियों की संख्या (छात्र-छात्राओं की अलग-अलग), नियुक्त शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक स्टाफ की जानकारी भी जुटानी होगी। साथ ही प्राइवेट कॉलेज खोलने या नए सिलेबस शुरू करने के लिए एनओसी की स्थिति भी जांचनी होगी। टीम यह भी बताएगी कि अध्ययन और अध्यापन के लिए पर्याप्त व्यवस्था है या नहीं। इस बार सरकार निजी स्कूलों के साथ अब निजी कॉलेजों में सरकार के कड़े नियम रहेंगे।
ये मापदंड देख रही है कमेटी:
• कॉलेज के पास कुल कितने एकड़ भूमि है।
• परिसर में कुल कितने भवन हैं।
• विद्यार्थियों के लिए सुविधाजनक टॉयलेट, दिव्यांग छात्रों के लिए रैंप हैं या नहीं।
• कॉलेज में कोर्स के अनुसार पढ़ाने के लिए पर्याप्त फैकल्टी हैं या नहीं।
यह जानकारी भी देना होगी रिपोर्ट में।
•प्राइवेट कॉलेज का नाम और कोड क्रमांक स्थापना वर्ष, ईमेल आईडी और टेलीफोन नंबर
•संचालन स्थल का पूरा पता और पिनकोड संचालन समिति, ट्रस्ट या कंपनी का नाम छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग वॉशरूम और दिव्यांगजनों के लिए रैंप की व्यवस्था
• बच्चो के लिए खेल मैदान के साथ पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए।