इंदौर

अब एक बोतल और एक साड़ी में चुनाव जीत लेने का जमाना गया, सबको मिलकर ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’

परिसंवाद- सबने एक स्वर से कहा, सभी चुनाव एक साथ हों

अब एक बोतल और एक साड़ी में चुनाव जीत लेने का जमाना गया, सबको मिलकर ‘वन नेशन-वन इलेक्शन की बात करना होगी
‘झंडा ऊंचा रहे हमारा’ अभियान में प्रेस क्लब सभागृह में दिलचस्प परिसंवाद

सबने एक स्वर से कहा, सभी चुनाव एक साथ हों

इंदौर, । ‘ झंडा ऊंचा रहे हमारा ’ अभियान की प्रवृर्तक संस्था ‘सेवा सुरभि’ द्वारा इंदौर जिला प्रशासन, पुलिस, नगर निगम एवं विकास प्राधिकरण की सहभागिता में चलाए जा रहे ‘ झंडा ऊंचा रहे हमारा ’ अभियान के तहत मंगलवार को प्रेस क्लब के राजेन्द्र माथुर सभागृह में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन में महिलाओं की भूमिका’ विषय पर दिलचस्प परिसंवाद संपन्न हुआ। इस मौके पर उपस्थित शहर की प्रमुख एवं प्रबुद्ध महिलाओं ने एकमत से स्वीकार किया कि बार-बार के चुनाव से देश और समाज के अलावा अपने परिवार पर भी बोझ पड़ता है। अब वो जमाना गया, जब शराब की एक बोतल और एक साड़ी में हमारे नेता चुनाव जीत लिया करते थे। अब देश का हर मतदाता जागरूक हो गया है। हम सबको मिलकर ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ का प्रावधान करने के लिए पूरी ताकत से सामने आना होगा। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्राचार्य डॉ. अनामिका जैन थी।
प्रेस क्लब सभागृह में हुए इस परिसंवाद का विषय था ‘वन नेशन-वन इलेक्शन में महिलाओं की भूमिका’ । प्रमुख वक्ता के रूप में समाजसेवी श्रीमती सुमन ज्ञानी, शिक्षाविद डॉ. माया इंगले, अभिभाषक श्रीमती दीप्ति गौर और मीडिया विशेष  सोनाली नरगुंदे उपस्थित रही, जिन्होंने बहुत प्रभावी ढंग से अपनी बात रखी। प्रारंभ में कार्यक्रम संयोजक डॉ. रजनी भंडारी, कांचन तारे एवं आशा कारिया तथा संस्था सेवा सुरभि की ओर से पदाधिकारियों ने सभी वक्ताओं का स्वागत किया। विषय प्रवर्तन करते हुए संयोजक रजनी भंडारी ने कहा कि यह मिथक ही है कि महिलाएं केवल फैशन, कपड़ों, सौंदर्य प्रसाधनों, बाल संवारने और इस तरह के अन्य मामलों से आगे बढ़कर नहीं सोचती। हमें इस परिसंवाद के माध्यम से इस वहन को खत्म करना होगा। संस्था सेवा सुरभि पिछले 22 वर्षों से देशभक्ति का यह अलख जगाए हुए है। आज ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ की मांग में महिलाओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। चुनाव में साढ़े 5 लाख कर्मचारियों की ड्यूटी तो लगती ही है। 12 से 15 करोड़ रुपए और समय की भी बचत होगी। समाज के हर वर्ग को बार-बार चुनाव की परेशानी से बचने का अवसर भी मिलेगा।
प्रथम वक्ता के रूप में समाजेसवी *श्रीमती सुमन ज्ञानी* ने कहा कि ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’  समय की मांग है। बार-बार चुनाव से सबसे ज्यादा परेशानी टीचर्स को आती है, जिन्हें स्टूडेंट्स को पढ़ाने के साथ-साथ अपने सिलेबस को भी निर्धारित समय में पूरा कराना होता है। ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ की बात कठिन तो है और हमें इसे लागू करवाने में कठिनाईयां भी आएंगी, लेकिन लड़ना तो पड़ेगा। *शिक्षाविद डॉ. माया इंगले* ने कहा कि बार-बार चुनाव से समाज का हर वर्ग, हर बाजार, हर क्षेत्र, हर तबका प्रभावित होता है। आम लोग भी अपने मूल कार्य को भूलकर चुनाव में लग जाते हैं। इसी बात को मद्देनजर रखते हुए मोदी सरकार ने वर्ष 2023 में एक समिति बनाई और इस बात की पहल की कि देश में सभी चुनाव एक ही समय पर होना चाहिए। यह अपने आप में एक क्रांतिकारी कदम होगा। *एडवोकेट दीप्ति गौर* ने कहा कि ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के लिए कानून बनना चाहिए, लेकिन दिक्कत यह है कि कोई भी कानून बनाने की बात होते ही विरोधी खड़े हो जाते हैं। आज  यहां हो रही परिचर्चा से आम लोगों में इस मुद्दे पर समझ बढ़ेगी। *मीडिया विशेषज्ञ डॉ. सोनाली नरगुंदे* ने कहा कि अब शराब की एक बोतल और एक साड़ी में चुनाव जीतने का जमाना चला गया। देश का मतदाता अब जागरूक हो गया है। इसका विरोध वे लोग कर रहे हैं, जिनको चार साल तक चुनाव न होने की वजह से कई तरह के नुकसान उठाना पड़ेंगे। हमारा देश युवाओं का देश है इसलिए हमें इस मामले में युवाओं को भी जागरुक बनाना होगा।
मुख्य अतिथि डॉ. अनामिका जैन ने कहा कि ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के इस मुद्दे पर इस तरह की परिचर्चा एक सामयिक कदम है। हमारे देश में महिलाओं को कमतर समझा जाता है, जो गलत है। वर्किंग वूमन होना अच्छी बात है, लेकिन हाउस मेकर होना भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। याद रखें कि एक गृहिणी 24 घंटे ड्यूटी पर होती है, वह भी बिना किसी बहाने के और बिना किसी सेलेरी के। परिचर्चा में बड़ी संख्या में शहर धार्मिक, सामाजिक एवं महिला संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे। अंत में श्रीमती आशा कारिया ने आभार माना।

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