विविध

गोवर्धन पूजा कर भगवान को छप्पन भोग अर्पित

मानव सेवा कार्य के साथ गौ सेवा भी जारी

इन्दौर । पालदा पवनपुरी स्थित दुर्गा नगर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा में बुधवार को को गोवर्धन लीला के साथ भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन कथा में सुनाया व भगवान को छप्पन भोग अर्पि किए गए। पं. कृष्णकांत शास्त्री ने कथा के दौरान भगवान के जन्मोत्सव, उनके नामकरण और पुतना वध के साथ ही माखनचोरी की लीलाओं का वर्णन किया। उन्होंने गोवर्धन पर्वत प्रसंग पर सभी भक्तों व श्रद्धालुओं को कथा का रसपान करवाते हुए कहा कि इंद्र को अपनी सत्ता और शक्ति पर घमंड हो गया था। उसका गर्व दूर करने के लिए भगवान ने ब्रज मंडल में इंद्र की पूजा बंद कर गोवर्धन की पूजा शुरू करा दी। इससे गुस्साए इंद्र ने ब्रजमंडल पर भारी बरसात कराई। प्रलय से लोगों को बचाने के लिए भगवान ने कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। सात दिनों के बाद इंद्र को अपनी भूल का एहसास हुआ और उन्होंने कृष्ण से माफी मांगी। हमें हमारे जीवन में किसी प्रकार का अहंकार नहीं रखना चाहिए। छोटों से लेकर बड़ों तक सभी को आदर व सम्मान देना चाहिए। अहंकार करने वाले मनुष्य का सब कुछ नष्ट हो जाता है जबकि प्रेम बांटने वाले मनुष्य को चारों ओर से खुशियां ही प्राप्त होती है। बुधवार को कृष्ण की बाल लीला व गोवर्धन पर्वत उत्सव भक्तों ने उल्लास पूर्वक मनाया।

श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव समिति आयोजक एमआईसी सदस्य व पार्षद मनीष शर्मा मामा ने बताया कि बुधवार को श्रीमद् भागवत कथा में गोवर्धन पर्वत प्रसंग पर कथावाचक ने हजारों मातृशक्तियों को कथा का रसपान कराया। सैकड़ों मातृशक्तियों की उपस्थिति में इस अवसर पर छप्पन भोग भी प्रभु को समर्पित किए गए। भागवत कथा में प्रथम दिन से ही भजन गायकों ने अपने भजनों की प्रस्तुति से मातृशक्तियों व युवतियों को थिरकाए हुए हैं। कथा के दौरान विभिन्न प्रसंगों पर कलाकारों द्वारा राधा-कृष्ण, हनुमान व अन्य देवी-देवताओं की वेशभूषा में नृत्य की प्रस्तुतियां भी दी जा रही है। जो भागवत कथा में आने वाले भक्तों को मन मोह रही हैं। बुधवार को आयोजित भागवत कथा में हजारों की संख्या में मातृशक्तियां उपस्थित थी।

भागवत कथा में गौ सेवा भी- मनीष शर्मा (मामा) ने बताया कि भागवत कथा में जहां एक ओर पं. कृष्णकांत शास्त्री भक्तों को भक्ति व ज्ञान का संचार कर रहे हैं तो वहीं दुसरी ओर समिति के पदाधिकारियों द्वारा गौ सेवा व मानव सेवा कार्य भी किए जा रहे हैं। प्रतिदिन बनने वाली भोजन प्रसादी का प्रथम भोग भगवान के साथ-साथ गौ माता को भी दिया जा रहा है।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!