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जिस दिन हमारे कर्मों में परमार्थ और व्यवहार में सदभावआ जाएगा, भक्ति फलीभूत हो उठेगी – साध्वी कृष्णानंद

गीता भवन में महामंडलेश्वर भास्करानंद के सानिध्य में भागवत ज्ञान यज्ञ में आज मनेगा कृष्ण जन्मोत्सव 

जिस दिन हमारे कर्मों में परमार्थ और व्यवहार में सदभावआ जाएगा, भक्ति फलीभूत हो उठेगी – साध्वी कृष्णानंद

गीता भवन में महामंडलेश्वर भास्करानंद के सानिध्य में भागवत ज्ञान यज्ञ में आज मनेगा कृष्ण जन्मोत्सव

इंदौर, । भगवान को छप्पन भोग या महंगे मेवा मिष्ठान अथवा चकाचौंध कर देने वाली साज-सज्जा से प्रसन्न नहीं किया जा सकता। उन्हें प्रसन्न करने के लिए हमारे कर्मों में परमार्थ और श्रेष्ठता का भाव जरूरी है। जिस दिन हमारे कर्मों में परमार्थ और व्यवहार में सदभाव आ जाएगा उस दिन भक्ति भी फलीभूत हो उठेगी। कोई भी परिवार स्नेह और मर्यादा की नींव पर ही खड़ा रह सकता है। धन के बल पर हम आलीशान बंगले तो बना सकते हैं, लेकिन इनमें रहने वाले परिजनों को जोड़ने के लिए स्नेह, सदभाव और विश्वास का जोड़ भी जरूरी है।

ये दिव्य विचार हैं वृंदावन-हरिद्वार की साध्वी कृष्णानंद के, जो उन्होंने मनोरमागंज स्थित गीता भवन सत्संग सभागृह में आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद महाराज के सानिध्य में चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ में व्यक्त किए। कथा शुभारंभ के पूर्व उत्तरप्रदेश विधान परिषद के सदस्य विजय कुमार शिवहरे, भोपाल से आए हरिओम गुप्ता, महू से आए श्रीराम जायसवाल, पूर्व पुलिस अधीक्षक राजेश जायसवाल, श्रीमती वंदना ललित अग्रवाल, श्रीमती शोभा शिवहरे आदि ने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद एवं साध्वी कृष्णानंद का पूजन किया। संतों की अगवानी सुरेशचंद्र-शशि गुप्ता, शिवकुमार-रजनी शिवहरे, श्रीमती सुजाता शिवहरे, नेहा और चांदनी शिवहरे ने की। संयोजक कमलेश शिवहरे ने बताया कि गीता भवन में भागवत ज्ञान यज्ञ का यह दिव्य अनुष्ठान 29 अप्रैल तक प्रतिदिन सायं 4 से 7 बजे तक जारी रहेगा। शनिवार, 26 अप्रैल को कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा।

साध्वी कृष्णानंद ने कहा कि भगवान गोकुल और वृंदावन में रहते थे, क्योंकि वहां बाल-ग्वालों से लेकर बृज भूमि में रहने वाले सभी लोगों का एक परिवार बना हुआ था। एक साथ रहकर ही हम एक दूसरे के दुख-दर्द को समझ सकते हैं। आजकल संयुक्त परिवार की प्रवृत्ति सिमटती जा रही है। संयुक्त परिवार की ताकत सबसे बड़ी होती है। हमारा परिवार गोकुल की तरह होना चाहिए। जिस दिन हमारा घर आंगन गोकुल बन जाएगा, उस दिन भगवान स्वयं हमारे घर चले जाएंगे। भक्ति में यदि प्रेम का समावेश हो जाए तो वह भक्ति सहज ही दूसरों को भी अपना बना लेती है।

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