धर्म-ज्योतिषधार

मरने के बाद मुझे समाधी देना और उसके पास सांईबाबा का मंदिर बनाना।

रिपोर्टर शाहीद पठान

नगर में एक अनोखा मामला सामने आया। जिसे देखकर नगर के नागरिक भी हतप्रभ रह गए। मृत्यु से पूर्व व्यक्ति अपनी जमीन जायजाद को लेकर अंतिम इच्छा जताता है। लेकिन नगर के मधुराव भंवर ने अपनी मृत्यु के बाद अपने शव के क्रियाकर्म के बारे में अंतिम इच्छा जाहिर की। खास बात यह है की भरेपूरे परिवार वालो ने भी बिना किसी हिचकिचाहट के उनकी अंतिम ईच्छा उनके कहे अनुसार पूरी की।
नगर का भंवर परिवार संयुक्त परिवारों में बड़ा परिवार माना जाता है। जिसमे करीब 60 सदस्य है। हालांकि भाई मकान छोटा होने से अलग अलग रह रहे है लेकिन हमेशा एकजुट रहे है। 6 भाईयो के इस परिवार में अमृतराव, लक्ष्मणराव, धन्नाराव, पुरुषोत्तमराव, मधुकरराव और ओमप्रकाश में से दो भाई पूर्व में दिवंगत हुए। भाईयो में पांचवे नंबर पर मधुभाऊ अपनी दिनचर्या सात्विक भजन पूजन वाली रही। उन्होंने अपनी मृत्यु के पूर्व परिवारवालों को अपनी अंतिम ईच्छा बताते हुए, उनके मरने के बाद उन्हें पुनर्वासस्थल के अपने निजी भूखंड में समाधि दी जाए। उनकी समाधि से 6 फीट की दूरी पर सांईबाबा का मंदिर बनाने की इच्छा जाहिर की थी। गौरतलब है की वे बकायदा कागज पर अपने हाथ से समाधी के कब्र की लंबाई चौड़ाई के साथ, समाधी के पास बनने वाले मंदिर का रफ डिजाइन भी लिखकर गए।
हिन्दू धर्म को मानने वाले इस परिवार ने बिना किसी संकोच के उनके बताए अनुसार उनकी चाहे गए स्थान पर ही उनके बताए अनुसार परिजनों ने समाधिस्थ किया। परिवार के सभी सदस्यों ने उनकी इच्छा अनुसार साईं मंदिर जल्द निर्माण करने की बात कही।
नगर में समाधी का पहला मामला है। जिसके कारण ये चर्चा का विषय बन गया। सभी धर्मो के लोगो ने अंतिम यात्रा में हिस्सा लिया।

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