विविध

भक्ति और मित्रता में सुदामा जैसा कोई नहीं- पं. कृष्णकांत शास्त्री

विद्वान पंडि़तों के सान्निध्य एवं मंत्रोउच्चार के बीच हजारों भक्तों ने की आहुतियां समर्पित

पूर्णाहुति के साथ भागवत कथा का हुआ समापन

इन्दौर । धन संपदा से व्यक्ति अमीर तो कहला सकता है लेकिन दरिद्र नहीं। क्योंकि दरिद्रता धन दौलत का अभाव नहीं बल्कि संतुष्टता का अभाव होती है। भक्ति और मित्रता में सुदामा जैसा कोई भक्त नहीं है। जिसने दरिद्र होते हुए भी भगवान का साथ और दोस्ती का हाथ कभी नहीं छोड़ा। भगवान अपने भक्त की भक्ति से संतुष्ट थे तो सुदामा भगवान की भक्ति व भजन से संतुष्ट थे। उक्त बात पालदा पवनपुरी स्थित दुर्गा नगर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के समापन अवसर पर वृंदावन के कथावाचक पंडि़त कृष्णकांत शास्त्री ने सभी भक्तों को कथा का रसपान करवाते हुए कही। उन्होंने कथा के आखरी दिन श्रद्धालुओं को मानव सेवा के साथ-साथ गौ सेवा करने का संकल्प भी मातृशक्तियों से लिया। श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव समिति आयोजक व पार्षद मनीष शर्मा (मामा) ने बताया कि भागवत कथा का समापन विद्वान पंडि़तों के सान्निध्य एवं हजारों मातृशक्तियों की उपस्थिति में यज्ञ-हवन में आहुतियां समर्पित की गई। कथा के समापन अवसर पर कृष्ण व सुदामा मिलन का भाव-पूर्ण चरित्र-चित्रण भी किया गया। जिसे देख भक्तों की आंखों से आंसू छलक पड़े।

50 हजार से अधिक ने ग्रहण की महाप्रसादी- आयोजक व पार्षद मनीष शर्मा (मामा) ने बताया कि सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव में अलग-अलग प्रसंगों पर चरित्र-चित्रण ने सभी मातृशक्तियों को भाव-विभोर कर दिया। रहवासियों ने स्वच्छता का भी परिचय दिया एवं भोजन स्थल पर भोजन प्रसादी ग्रहण करने के पश्चात डस्टबिन का उपयोग किया।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!