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हरि से भी बड़ी हरि कथा- गोस्वामी दिव्येश कुमार

दु:ख और सुख की स्थिति कभी भी स्थिर नहीं होती

इंदौर से विनोद गोयल की रिपोर्ट

इंदौर । दु:ख और सुख की स्थिति कभी भी स्थिर नहीं होती। लेकिन आनंद ही एकमात्र ऐसा है जिसकी स्थिति स्थिर होती है। जो भगवान श्रीकृष्ण की प्राप्ति के लिए प्रयास करते है वे सदा आनंदित रहते है। भगवान श्री कृष्ण स्वयं आनंद का रूप है। श्री कृष्ण से भी बड़ी उनकी कथा है। संसार में भगवान का कोई स्थिर निवास नहीं है वे तो जहाँ हरि कीर्तन होता है वहाँ वे स्वत: निवास या उपस्थित हो जाते हैं। यह बात गोस्वामी दिव्येश जी महाराज ने मल्हारंगज स्थित गोवर्धननाथ हवेली प्रांगण में जारी पुरूषोत्तम मास महामहोत्सव के द्वितीय सत्र नंदकुमाराष्टकम के तीसरे दिन रविवार को मंदिर परिसर में उपस्थित वैष्णवजनों को संबिधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने सभी वैष्णवजनों को भगवान श्रीकृष्ण के आनंद का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण स्वंय ही आनंद है। उनकी भक्ति में जो भक्त रम जाता है वह भी हमेशा ही आनंद की अनुभूति करता है।

श्री पुरूषोत्तम मास महामहोत्सव समिति जानकीलाल नीमा ने बताया कि रविवार को गोवर्धननाथ हवेली प्रांगण में भक्तों व श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। नंद महोत्सव में जहां गोस्वामी दिव्येश कुमार ने सुमधुर भजनों से सभी को आनंदित कर दिया। रविवार को मालवा-निमाड़ सहित अन्य स्थानों से भी बड़ी संख्या में वैष्णवजन नंद महोत्सव में शामिल हुए। रविवार को व्यासपीठ का पूजन गिरधर गोपाल नागर, अनिरूद्ध नागर, नाना भाई सोनी, मदन नीमा, दिलीप नीमा ने किया। धार, पोलाय कला, बागन खेड़ा जैसे अनेक गांवों के वैष्णवजन भी नंदउत्सव में शामिल हुए।

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