पेरेंट्स और टीचर्स बच्चों के एक्सप्रेशंस को समझे और उनकी जिज्ञासा स्वीकारें , उन्हें खुल कर बोलने दे
एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ अभ्युदय वर्मा ने एग्जाम टाइम स्ट्रेस एवं हेल्थ पर चर्चा

इंदौर। एग्जाम टाइम स्ट्रेस एवं हेल्थ पर क्रिएट स्टोरीज सोशल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा आयोजित परिचर्चा एक निजी स्कूल ( अय्यप्पा पब्लिक ) में हुई जिसमे एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ अभ्युदय वर्मा ने चर्चा बच्चे , पेरेंट्स और टीचर्स से रूबरू हुए एवं इस खास मौके पर स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ दीपिका वर्मा मौजूद थी।
विशेषज्ञ डॉ अभ्युदय वर्मा ने बताया काफी बार देखा गया है की परीक्षा और परिणाम के बाद काफी बच्चे अंडरवेट और ओवरवेट के शिकार हो जाते है जो की सही नही है क्यूंकि यह कई बड़ी बिमारियों को जन्म देने लगता है जो की हमे बाद में समझ आती है । बच्चे या तो काफी ओवरईटिंग करते है या ज़रुरत से बहुत कम मात्र में सेवन करते है , जो की गलत है ।
पेरेंट्स और टीचर्स बच्चों को खुल कर बोलने दे , उनके एक्सप्रेशंस को समझे , उनकी जिज्ञासा को स्वीकार करें । इससे बच्चे का भय समाप्त होगा और जीवन के हर उतार चढाव में वे अपनी बात को आज़ादी से घर परिवार और समाज के सामने रखने में सक्षम होंगे । जैसे हम मुश्किलों से डरते है , ये समझना भूलकर की ये मुश्किलें हमे बेहतर बनाती जा रही है अगर हम शांत मन से सोचेंगे और समझेंगे तो हमे शायाद समझ आएगा की हमे शायद गलत होने से डर न लगे अगर गलत होने पर हमे सजा और मजाक बनाने की जगह सीख मिले । ये सब बच्चे शेयर नही कर पाते और फिर वो डिजिटल फ्रेंड्स से शेयर करने लगते है जो की सेफ नही है ।
जब हम स्ट्रेस्ड होते है तब हमारी बॉडी में “कोर्टिसोल” रिलीज़ होता है जिससे हम फटाफट रियेक्ट करते है, पर अगर हम हमेशा स्ट्रेस्ड रहेंगे तो हमारी बाकी बॉडी के पार्ट्स में ब्लड फ्लो लिमिटेड होता है और ओवरआल हमारे बॉडी के फंक्शन में प्रॉब्लम आने लगती है ।
कुछ टिप्स-
· पानी अपने पास रखे और खुद को हाइड्रेटेड रखे ।
· पढ़ते वक्त कई बार हम यूरिन को रोकते है वो न करें पढ़ते वक्त कई बार हम यूरिन को रोकते है
· सेव, केला , अनार , मौसंबी में से कोई भी एक फल दिन में एक बार ज़रूर खाइए ।
· वह खाइए जिसमे हाई प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट हो ।
· जंक फ़ूड अवॉयड करिए सिर्फ घर का बना खाइए ।
· फाइबर अपनी डाइट में इन्क्लूड करिए क्यूंकि वे वजन कम करने में मदद करते है जो की फ्रूट्स एंड सब्जियों से मिलते है ।
· शुगर और नमक वजन बढ़ाते है इसलिए इसका सेवन कम करिये ।
· पढ़ते वक्त तली गली चीज़े कम खाए और पास में न रखें जैसे नमकीन , समोसा आदि इसके वजाय ड्राईफ्रूट्स खाएं और पास में रखिये ।
· सुबह हैवी ब्रेकफास्ट जैसे मूंगफली , स्प्राउट्स , दही , रोटी या परांठा , दूध या जूस लीजिये ।
· लंच में फुल मील लीजिये जैसे दही , दाल, एक कटोरी सलाद , एक कटोरी हरी सब्जी, रोटी या चावल , जो भी आप खा सकते है ।
· रात के समय हल्का खाना जैसे दाल और रोटी या रस वाली सब्जी ।
· रात को सोने के पहले बिना मलाई का गाय का दूध , गुड और हल्दी डालकर लीजिये ।
पेरेंट्स ध्यान दे यदि बच्चे के नेचर के कुछ बदलाव नज़र आये या कुछ गतिविदी बच्चा ऐसी करे जो वो नहीं करता या वो शांत रहे एवं उसके डेली रूटीन में बदलाव नज़र आये तो हमें समझ जाना चाहिए की बच्चा किसी चीज़ से परेशान है एवं हमे उसे शांतिपूर्वक ढूंड के साल्व करना होगा अन्यथा बच्चा डिप्रेशन में जा सकता है , बच्चे की उदासी को नज़रंदाज़ न कर्रे । बचपन का डिप्रेशन सामान्य से अलग होता है और रोज़मर्रा की भावनाएँ जो बच्चे के विकसित होने पर होती हैं। सिर्फ इसलिए कि एक बच्चा दुखी लगता है जरूरी नहीं कि वह महत्वपूर्ण डिप्रेशन हैएंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ अभ्युदय वर्मा ने एग्जाम टाइम स्ट्रेस एवं हेल्थ पर चर्चा की पेरेंट्स और टीचर्स बच्चों के एक्सप्रेशंस को समझे और उनकी जिज्ञासा स्वीकारें , उन्हें खुल कर बोलने दे इंदौर एग्जाम टाइम स्ट्रेस एवं हेल्थ पर क्रिएट स्टोरीज सोशल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा आयोजित परिचर्चा एक निजी स्कूल ( अय्यप्पा पब्लिक ) में हुई जिसमे एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ अभ्युदय वर्मा ने चर्चा बच्चे , पेरेंट्स और टीचर्स से रूबरू हुए एवं इस खास मौके पर स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ दीपिका वर्मा मौजूद थी। विशेषज्ञ डॉ अभ्युदय वर्मा ने बताया काफी बार देखा गया है की परीक्षा और परिणाम के बाद काफी बच्चे अंडरवेट और ओवरवेट के शिकार हो जाते है जो की सही नही है क्यूंकि यह कई बड़ी बिमारियों को जन्म देने लगता है जो की हमे बाद में समझ आती है । बच्चे या तो काफी ओवरईटिंग करते है या ज़रुरत से बहुत कम मात्र में सेवन करते है , जो की गलत है । पेरेंट्स और टीचर्स बच्चों को खुल कर बोलने दे , उनके एक्सप्रेशंस को समझे , उनकी जिज्ञासा को स्वीकार करें । इससे बच्चे का भय समाप्त होगा और जीवन के हर उतार चढाव में वे अपनी बात को आज़ादी से घर परिवार और समाज के सामने रखने में सक्षम होंगे । जैसे हम मुश्किलों से डरते है , ये समझना भूलकर की ये मुश्किलें हमे बेहतर बनाती जा रही है अगर हम शांत मन से सोचेंगे और समझेंगे तो हमे शायाद समझ आएगा की हमे शायद गलत होने से डर न लगे अगर गलत होने पर हमे सजा और मजाक बनाने की जगह सीख मिले । ये सब बच्चे शेयर नही कर पाते और फिर वो डिजिटल फ्रेंड्स से शेयर करने लगते है जो की सेफ नही है । जब हम स्ट्रेस्ड होते है तब हमारी बॉडी में “कोर्टिसोल” रिलीज़ होता है जिससे हम फटाफट रियेक्ट करते है, पर अगर हम हमेशा स्ट्रेस्ड रहेंगे तो हमारी बाकी बॉडी के पार्ट्स में ब्लड फ्लो लिमिटेड होता है और ओवरआल हमारे बॉडी के फंक्शन में प्रॉब्लम आने लगती है । कुछ टिप्स- · पानी अपने पास रखे और खुद को हाइड्रेटेड रखे । · पढ़ते वक्त कई बार हम यूरिन को रोकते है वो न करें पढ़ते वक्त कई बार हम यूरिन को रोकते है · सेव, केला , अनार , मौसंबी में से कोई भी एक फल दिन में एक बार ज़रूर खाइए । · वह खाइए जिसमे हाई प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट हो । · जंक फ़ूड अवॉयड करिए सिर्फ घर का बना खाइए । · फाइबर अपनी डाइट में इन्क्लूड करिए क्यूंकि वे वजन कम करने में मदद करते है जो की फ्रूट्स एंड सब्जियों से मिलते है । · शुगर और नमक वजन बढ़ाते है इसलिए इसका सेवन कम करिये । · पढ़ते वक्त तली गली चीज़े कम खाए और पास में न रखें जैसे नमकीन , समोसा आदि इसके वजाय ड्राईफ्रूट्स खाएं और पास में रखिये । · सुबह हैवी ब्रेकफास्ट जैसे मूंगफली , स्प्राउट्स , दही , रोटी या परांठा , दूध या जूस लीजिये । · लंच में फुल मील लीजिये जैसे दही , दाल, एक कटोरी सलाद , एक कटोरी हरी सब्जी, रोटी या चावल , जो भी आप खा सकते है । · रात के समय हल्का खाना जैसे दाल और रोटी या रस वाली सब्जी । · रात को सोने के पहले बिना मलाई का गाय का दूध , गुड और हल्दी डालकर लीजिये । पेरेंट्स ध्यान दे यदि बच्चे के नेचर के कुछ बदलाव नज़र आये या कुछ गतिविदी बच्चा ऐसी करे जो वो नहीं करता या वो शांत रहे एवं उसके डेली रूटीन में बदलाव नज़र आये तो हमें समझ जाना चाहिए की बच्चा किसी चीज़ से परेशान है एवं हमे उसे शांतिपूर्वक ढूंड के साल्व करना होगा अन्यथा बच्चा डिप्रेशन में जा सकता है , बच्चे की उदासी को नज़रंदाज़ न कर्रे । बचपन का डिप्रेशन सामान्य से अलग होता है और रोज़मर्रा की भावनाएँ जो बच्चे के विकसित होने पर होती हैं। सिर्फ इसलिए कि एक बच्चा दुखी लगता है जरूरी नहीं कि वह महत्वपूर्ण डिप्रेशन है। यदि उदासी लगातार बनी रहती है, या सामान्य सामाजिक गतिविधियों, रुचियों, स्कूलवर्क या पारिवारिक जीवन में हस्तक्षेप करती है, तो यह संकेत दे सकता है कि उसे अवसाद की बीमारी है। ध्यान रखें कि डिप्रेशन एक गंभीर बीमारी है । यदि उदासी लगातार बनी रहती है, या सामान्य सामाजिक गतिविधियों, रुचियों, स्कूलवर्क या पारिवारिक जीवन में हस्तक्षेप करती है, तो यह संकेत दे सकता है कि उसे अवसाद की बीमारी है। ध्यान रखें कि डिप्रेशन एक गंभीर बीमारी है ।