विविध

स्नेह और सदभाव का निवेश भी जरूरी – डॉ. शास्त्री

छावनी अनाज मंडी प्रांगण में चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ में हर दिन नाच रहा पूरा पांडाल

इंदौर, । यदि आपस में प्रेम, सदभाव और सहयोग का भाव नहीं है तो ऐसा परिवार भारतीय नहीं हो सकता। धन के बल पर आलीशान बंगले का निर्माण तो किया जा सकता है लेकिन उसमें रहने वाले परिजनों को जोडने के लिए स्नेह और सदभाव का निवेश भी जरूरी है। प्रेम जीवन का अलंकार है। हमारा परिवार गोकुल की तरह होना चाहिए, जहां हम एक-दूसरे के दर्द को भी समझ सकें। हमारे कर्म चंदन की तरह दूसरों को सुगंध देने वाले होना चाहिए। अपने घर-आंगन को गोकुल बना लें, भगवान स्वयं चले आएंगे। स्नेह और मर्यादा की नींव पर ही कोई परिवार एवं समाज टिका रह सकता है।

 कथा में बाल लीला, छप्पन भोग एवं नंदोत्सव प्रसंगों के दौरान भजनों पर आज भी वृंदावन से आए संगीतज्ञों और गायकों का जादू देखने को मिला जब पूरा पांडाल एक साथ थिरक उठा। विधायक आकाश विजयवर्गीय भी लगभग एक घंटे कथा श्रवण के लिए रूके और भजनों पर थिरके भी। उन्होंने पं. शास्त्री का स्वागत भी किया। नंद उत्सव के लिए आज भगवान गिरिराज का अनाज से निर्मित भव्य चित्र भी व्यासपीठ और मंच के सामने सुशोभित था, जो दर्शकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना रहा। भगवान गिरिराज की यह कृति मूंग, मक्का, गेहूं, चना, काबुली चना एवं तुअर से श्रृंगारित की गई थी। इसके निर्माण में मंडी समिति के सदस्यों ने ही पूरा श्रमदान किया। 

डॉ. शास्त्री ने भगवान की बाल लीलाओं, गोवर्धन पूजा एवं अन्य प्रसंगों की व्याख्या करते हुए कि समय के साथ बदलाव होना चाहिए लेकिन हमारे प्रेम के संबंध नहीं टूटना चाहिए। भगवान के प्रति हमारी श्रद्धा-आस्था है तो सही, लेकिन इसके साथ जीवन में दूसरों के काम आने का भाव भी होना चाहिए। भगवान केवल छप्पन भोग या मिष्ठान से प्रसन्न नहीं होते, उन्हें प्रसन्न करने के लिए हमारे कर्मों में परमार्थ का चिंतन भी जरूरी है। भगवान तो इतने करूणा प्रधान हैं कि शिशुपाल और कंस जैसे दुष्टों का भी उन्होंने कल्याण ही किया है। जीवन को मर्यादित बनाने के लिए धर्म-शास्त्रों का आश्रय सर्वश्रेष्ठ माना गया है। हमारा जीवन केवल भोग-विलास तक सीमित नहीं रहना चाहिए। भागवत और भगवान की लीलाएं एक स्वस्थ एवं समृद्ध परिवार, शालीन समाज और सुदृढ़ राष्ट्र के निर्माण की आधारशिला है।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!