इंदौरधर्म-ज्योतिष

राइटिंग और फोटोग्राफी कॉम्पिटिशन, नृत्य और रैम्प वॉक की प्रस्तुतियों ने मोहा मन

आंगनवाड़ी सखियों ने दिखाया हुनर, पैरेंटिंग पर विशेषज्ञ ने दिए टिप्स

ईशान फाउंडेशन ने मनाया मदर्स डे को स्पेशल

इंदौर, । माँ शब्द ही हर भावना को व्यक्त करने के लिए काफी है। माँ बनना या माँ हो जाना दोनों ही अपने आप में किसी उपलब्धि से कम नहीं। इन्हीं भावनाओं के साथ मदर्स डे पर ईशान फाउंडेशन व रावल फर्टिलिटी सेंटर द्वारा एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसके अंतर्गत महिलाओं के लिए माँ होना आसान नहीं विषय पर राइटिंग कॉम्पिटिशन से लेकर बेबी और मॉम फोटोग्राफी कॉम्पिटिशन, मदर एंड बेबी रैम्प वॉक आदि जैसी गतिविधियां रखी गईं। ईशान फाउंडेशन द्वारा गोद ली गईं आंगनवाड़ियों में चलाए जा रहे निशुल्क सिलाई प्रशिक्षण को प्राप्त करने वाली महिलाओं ने अपने बनाये वस्त्रों को अतिथियों के सामने प्रस्तुत किया। पैरेंटिंग कोच ने इस अवसर पर उपस्थित पैरेंट्स को पोस्टपार्टम व अन्य स्थितियों से उबरने के टिप्स दिए। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अविराम शक्ति संस्था की संस्थापक श्रीमती साधना गोलचा व पैरेंटिंग कोच एंड एक्सपर्ट श्रीमती राहिला मौजूद थीं।

इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए, ईशान फाउंडेशन व रावल फर्टिलिटी सेंटर की प्रमुख, डॉक्टर निकिता रावल ने कहा- माँ की भूमिका केवल बच्चे के जन्म और विकास तक सीमित नहीं होती। वे पूरे परिवार और समाज की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होती हैं। साथ ही उनकी भूमिका दूसरों को भी प्रेरित कर सकती है। इसी भाव के साथ हमने आज चुनौतियों को स्वीकार कर उनसे जीतने वाली हर माँ को समर्पित कर यह आयोजन किया। विभिन्न प्रतियोगिताओं में महिलाओं ने भागीदारी की और पुरस्कार जीते। बच्चों के साथ रैम्प वॉक और डांस किया और आंगनवाड़ी में सिलाई प्रशिक्षण द्वारा आत्मनिर्भर बनने वाली महिलाओं का सम्मान किया गया।

अतिथि श्रीमती साधना गोलचा ने बताया कि अभी तीन आंगनवाड़ियों में प्रशिक्षण जारी है और आगे ईशान फाउंडेशन द्वारा गोद ली गई अन्य आंगनवाड़ियों में भी यह प्रशिक्षण जारी रहेगा। प्रशिक्षण सुश्री प्रियंका दुबे के मार्गदर्शन में दिया जा रहा है।

पैरेंटिंग एक्सपर्ट श्रीमती राहिला जी ने उपस्थित पैरेंट्स को बच्चों के साथ साथ खुद के रूटीन और स्वास्थ्य का ध्यान रखने के टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि कई कारणों से बच्चे के जन्म के बाद माएँ गिल्ट में आने लगती हैं। इसके बाहर निकलना जरूरी है।
कार्यक्रम का संचालन रिमी होलकर ने किया।

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