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गर्भवती महिलाएं श्रेष्ठ साहित्य और संस्कारित लोगों के सत्संग को निमयित दिनचर्या बनाएं

शहर के वरिष्ठ समाजेसवी स्व. श्यामदास अग्रवाल की जयंती पर हुआ दिलचस्प संगोष्ठी का आयोजन

इंदौर से विनोद गोयल की रिपोर्ट :–

इंदौर, । हमारे देश में विवाह एक ऐसा संस्कार है, मुख्यतः एक औजस्वी, बुद्धिमान एवं हष्ट-पुष्ट संतान को जन्म देने के लिए पूर्ण किया जाता है। प्रतिभा संपन्न और बलवान संतान परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए कल्याणकारी सिद्ध होती है और इन समस्त गुणों को धारण करने वाली संतान के माता-पिता बनने के इच्छुक दम्पति को विशेष प्रयास करना होते हैं। गर्भवती महिलाओं को श्रेष्ठ साहित्य, संस्कारित लोगों के सत्संग एवं पौष्टिक खाद्य पदार्थों को अपनी निमयित दिनचर्या में शामिल करना चाहिए।

सेठ श्री श्यामदास जगन्नाथ धार्मिक एवं पारमार्थिक ट्रस्ट द्वारा जाल सभागृह में शहर के प्रख्यात समाजसेवी एवं शिक्षाविद स्व. श्यामदास अग्रवाल भैय्याजी की 94वीं जयंती के उपलक्ष्य में देश की प्रख्यात शिक्षाविद, अनेक पुरस्कारों से अलंकृत एवं पुनरुत्थान विद्यापीठ अहमदाबाद की कुलपति सुश्री इंदुमति काटदरे ने ‘गर्भाधान के समय शिशु को प्रदान किए जाने वाले संस्कार’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में उक्त विचार रखे। स्व. श्यामदास अग्रवाल शहर के प्रतिष्ठित समाजसेवी एवं सर सेठ हुकमचंद के परम मित्र रहे हैं। वे सेठ जगन्नाथ अग्रवाल के सुपुत्र थे। उनकी स्मृति में प्रतिवर्ष ट्रस्ट द्वारा इस तरह से परिवार को समृद्ध बनाने जैसे विषयों पर संगोष्ठी के आयोजन किए जाते रहे हैं।

कार्यक्रम में वरिष्ठ समाजसेवी एवं देवपुत्र के संपादक कृष्णकुमार अष्ठाना, उद्योगपति राधेश्याम गुरूजी, नारायण अग्रवाल (420 पापड़), उद्योगपति एवं ट्रस्ट के अध्यक्ष रामदास गोयल एवं डॉ. निर्मल महाजन आदि ने मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता सुश्री काटदरे का स्वागत किया। संचालन कुणाल मिश्रा ने किया और श्रीमती प्रेरणा कुलकर्णी ने सरस्वती प्रस्तुत की। वंदे मातरम का गान श्रीमती स्मृति अंबेगांवकर ने किया। अंत में आभार माना राधेश्याम शर्मा ने ।

काटदरे ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि गर्भधारण करने वाली महिलाओं को उचित देखभाल की जवाबदारी पूरे परिवार को उठाना चाहिए, ताकि उसे इस दौरान किसी तरह की तकलीफ न हो। महिलाएं अपनी दिनचर्या में उचित खानपान और नियमित रूप से थोड़ी कसरत को शामिल कर ले तो सामान्य प्रसूति का सुख भी मिल सकता है। संतान यदि प्राकृतिक रूप से जन्म ले तो यह संतान एवं माता के लिए भी परम सुख का विषय होकर दोनों के बीच रिश्तों की प्रगाढ़ता का कारण बन जाएगा।

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