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धरमपुरी पहुंचकर माँ नर्मदा के किये दर्शन, भगवान शिव का अभिषेक और महर्षि दधिच की प्रतिमा का पूजन किया*

मुख्यमंत्री ने देखा खुरासानी इमली का प्राचीन पेड़ मौजूद थे वन विभाग के अधिकारी

आशीष यादव धार

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुधवार को रात्रि विश्राम माण्डू में किया। आज गुरूवार की प्रातः उन्होंने रुचिपूर्वक माण्डू के ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक वैभव को देखा। मुख्यमंत्री  ने यहां जहाज महल, हिंडोला महल का भ्रमण किया। पुरातत्व विभाग के अधिकारियों द्वारा उन्हें इन ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में जानकारी दी गई। मुख्यमंत्री  ने गत रात्रि माण्डू में लाइट एंड साउंड शो के ज़रिए यहां के इतिहास को देखा। इस अवसर पर केन्द्रीय राज्यमंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर, विधायक धरमपुरी तथा अन्य जनप्रतिनिधि, संभागायुक्त दीपक सिंह, कलेक्टर , पुलिस अधीक्षक  मनोज सिंह एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।


  1. मुख्यमंत्री ने देखा खुरासानी इमली का प्राचीन पेड़:
    मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज माण्डू भ्रमण के दौरान यहां पीडब्ल्यूडी के खुरासानी कोठी परिसर में लगे खुरासानी इमली के प्राचीन पेड़ को देखा। कलेक्टर धार प्रियंक मिश्र के साथ डीएफओ अशोक कुमार सौलंकी व एसडीओ धनसिंह मेड़ा मौजूद थे। अधिकारियों ने बताया कि माण्डू में खुरासानी के वृक्ष पाए जाते हैं, जिनमें से कुछ 500 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं। खुरासानी कोठी परिसर के इस वृक्ष का तना 10.85 मीटर व्यास का है। खुरासानी इमली घना छायादार पेड़ होता है। यह पेड़ अपने भीतर सवा लाख लीटर पानी जमा करके रख सकता है। उल्लेखनीय है कि 14वीं शताब्दी में ये पेड़ लगाए गए थे। कई पेड़ यहां पांच-छ: सौ साल पुराने हैं। पर्यटक माण्डू आने की स्मृति के तौर पर माण्डू की इमली खरीदकर ले जाते हैं। कई आदिवासी परिवारों को इसे बेचने से आय हो रही है। मूलतः यह वृक्ष अफ्रीका, अरब और मेडागास्कर पर पाया जाता है। ये पेड़ अति विशाल हैं, इसकी उम्र हज़ारों साल होती हैं। मराठीभाषी क्षेत्रों में इसे गोरखचिंच (चिंच याने इमली) कहकर सन्त गोरखनाथ से इसका पवित्र सम्बन्ध जोड़ा जाता है।

धरमपुरी में किया नर्मदा पूजन:
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जनप्रतिनिधियों के साथ धरमपुरी भी पहुंचे। मुख्यमंत्री ने धरमपुरी में नर्मदा दर्शन कर पूजन किया। धरमपुरी नर्मदा नदी के किनारे बसा हुआ नगर है। यहाँ नर्मदा नदी की दो धाराओं के बीच बेंट नामक एक टापू स्थित है, जहां बिल्वामृतेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर स्थित है। मुख्यमंत्री ने यहां भगवान शिव का अभिषेक किया। मंदिर के निकट महर्षि दधिच की प्रतिमा का पूजन किया। उल्लेखनीय है कि पौराणिक मान्यता अनुसार यहां दधिच ऋषि की समाधि एवं तपस्या स्थली भी है। इसी स्थान पर इन्द्र स्वयं आये थे और दधिचि ऋषि से उन्होंने राक्षस के वध के लिये अस्थियां माँगी थी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने  बिल्वामृतेश्वर महादेव मंदिर बैंट के हर तरह के संरक्षण के निर्देश अधिकारियों को दिये। इसके पश्चात वे वापस माण्डू हेलीपेड आये। मुख्यमंत्री डॉ. यादव माण्डू हेलीपेड से बदनावर के लिए रवाना हुए। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने उन्हें भावभीनी विदाई दी। इस अवसर पर केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर, विधायक सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं अधिकारीगण मौजूद थे।

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