इंदौरधर्म-ज्योतिष

पितृ पर्वत पर खाटू श्याम महायज्ञ की पूर्णाहुति

इंदौर, । पितृ पर्वत पर चल रहे 25 कुंडीय खाटू श्याम महायज्ञ में अभिजीत मुहूर्त में जैसे ही 7 लाख 51 हजार वीं  आहुति संपन्न हुई, समूची यज्ञशाला एवं पितृ पर्वत खाटू श्याम बाबा और यज्ञ देवता के जयघोष से गूंज उठा। इस मौके पर अंतर्राष्ट्रीय खाटू श्याम अखाड़े के  सभापति किन्नर महमंडलेश्वर संतोषी महाराज ने भक्तों को बरकती सिक्के बांटे। पूर्णाहुति में महामंडलेश्वर गोपालदास महाराज के सानिध्य एवं आचार्य पं. प्रद्युम्न दीक्षित के निर्देशन में 75 विद्वानों ने 200 यजमानों के साथ भाग लिया। इस अवसर पर केवड़ा स्वामी कालभैरव आगर के पीठाधीश्वर सूरज पंडा, महामंडलेश्वर ऋषिदास महाराज, महामंडलेश्वर आनंदीमाई एवं जूना अखाड़ा की जमात के 50 से अधिक साधु-संत भी शामिल हुए।

        आयोजन समिति के प्रमुख महंत नीलू बाबा ने बताया कि गत 30 नवम्बर से चल रहे पांच दिवसीय 25 कुंडीय खाटू श्याम महायज्ञ में 11 महामंडलेश्वरों के अलावा बड़ी संख्या में दूर-दूर से आए श्याम भक्तों एवं साधु-संतों ने भाग लिया। अभिजीत मुहूर्त में महायज्ञ की पूर्णाहुति हुई, जिसमें विधायक रमेश मेंदोला, पार्षद भरत पारेख सहित अनेक राजनेता और सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। वृंदावन से आए आचार्य गिरधर महाराज, महामंडलेश्वर श्याम चेतन्यपुरी ने भी आशीर्वचन देते हुए यज्ञ की सफलता के लिए श्याम भक्तों को बधाई दी। महांमडलेश्वर स्वामी गोपालदास महाराज ने इस मौके पर इंदौर में 51 कुंडीय खाटू श्याम महायज्ञ कराने का संकल्प भी व्यक्त किया। अतिथि संतों का स्वागत राजकिशोर शर्मा, गोपाल शर्मा, जितेन्द्र चौहान, रितेश चौहान, शिव प्रजापत एवं सुमन शर्मा ने किया। इसके पूर्व कल रात गत 1 दिसम्बर से श्याम प्रिया मुस्कान शर्मा के श्रीमुख से चल रही तीन दिवसीय नानीबाई के मायरे की कथा का भी समापन हुआ। किन्नर महामंडलेश्वर एवं खाटू श्याम अखाड़े के सभापति संतोषी महाराज ने पूर्णाहुति के बाद भक्तों को बरकती सिक्के बांटे। उन्होंने कहा कि इंदौर की पावन भूमि पर खाटू श्याम महायज्ञ का दिव्य आयोजन हम सबके लिए प्रेरणा और गौरव का विषय है। इंदौर की धरती में पग-पग पर धर्म और सेवा के संस्कार रचे-बसे हैं। अब जबलपुर में भी इसी तरह से खाटू श्याम महायज्ञ आयोजित करने की प्रेरणा देंगे। अंत में महंत नीलू बाबा ने आभार माना। समापन बेला में पांच हजार से अधिक भक्तों ने भंडारे में प्रसाद का पुण्य लाभ उठाया।

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