नीना गुप्ता ने इस तरह दूर भगाया मसाबा का डर!
मुंबई। मदर्स डे पर ज़ी की फिल्म रुमाय फर्स्ट स्टोरीटेलर में मसाबा ने शेयर किया ज़िंदगी का एक खास सबक, जो उन्होंने अपनी मां नीना गुप्ता से सीखा था
मदर्स डे पर कुछ ऐसी फिल्में बनीं, जो अपनी सादगी से सबके दिलों को छू गईं, जिनमें बड़ी गहराई से एक प्यारा-सा पैगाम दिया गया है। ऐसी ही एक फिल्म ज़ी की ओर से बनाई गई है, जो सीधे आपके दिल में उतर जाती है। ज़ी के इस अनोखे अभियान का नाम है रुमाय फर्स्ट स्टोरीटेलर, जिसमें बड़ी खूबसूरती से एक बच्चे की पहली स्टोरीटेलर के रूप में मां की भूमिका को उजागर किया गया है। यह फिल्म दिखाती है कि कैसे मांएं अपनी कहानियों के जरिए बच्चों में उत्सुकता जगाकर उन्हें जिं़दगी की राह दिखाती हैं। आखिर हमारी मांओं से सुनी गईं पहली कहानियां ही हमें हमारी जड़ों से जोड़ती हैं, हमें एक खास सांचे में ढालती हैं, जो आगे चलकर समाज को एक आकार देती हैं।
इस फिल्म को लेकर अपने जज़्बात ज़ाहिर करते हुए पॉपुलर फैशन डिज़ाइनर एवं एक्ट्रेस मसाबा गुप्ता ने अपनी जिं़दगी का एक खास सबक शेयर किया, जो उन्होंने अपनी पहली स्टोरीटेलर, अपनी मां एक्टर नीना गुप्ता से सीखा था। मसाबा ने बताया कि किस तरह इस सीख ने उनके मूल्यों का आधार रखा, जो आज भी उनके साथ हैं।
मसाबा ने अपनी पोस्ट में लिखा है: ‘‘जब मैंने मदर्स डे पर ज़ी की फिल्म देखी तो मांओं को हमारी ज़िंदगी की पहली स्टोरीटेलर्स के नजरिए से देखने का आइडिया मुझे बहुत अच्छा लगा। जब उनकी टीम ने मुझसे मेरी पहली स्टोरीटेलर यानी मेरी मां के बारे में अपनी एक प्यारी याद साझा करने को कहा, तो मुझे याद आया कि वो किस तरह मुझे आराम महसूस कराती थीं। बचपन में मुझे अंधेरे से डर लगता था। मुझे याद है, जब मैं 4 साल की थी तो मैं सोने से घबराती थी। हर रात मां मुझे कसकर थाम लेती थीं और मेरे साथ गायत्री मंत्र बोलते हुए मुझे सुलाती थीं, चाहे वो कितनी भी बिज़ी रहें। ऐसी ही एक रात उन्होंने मुझे गायत्री मंत्र का मतलब समझाया और इसकी शक्ति के बारे में बताया। यह कुछ ऐसा है जो अब भी मेरे ज़हन में है। आज भी जब मुझे किसी चीज से डर लगता है या मैं कोई नया काम करती हूं तो मैं गायत्री मंत्र का बोलती हूं, अपनी मां को याद करती हूं और आगे कदम बढ़ाती हूं। उनका प्यार और सपोर्ट हर दिन मेरे साथ रहता है। यह एक ऐसी तरकीब है, जो हमेशा काम आती है! आज मैं जो कुछ भी हूं वो उन मूल्यों की वजह से हूं जो मैंने उनकी कहानियों के ज़रिए अपनी ज़िंदगी में उतारे हैं।‘‘
अपनी मां नीना से सीखे इस अनमोल सबक के बारे में बताते हुए मसाबा भी ज़ी के इस अभियान में शामिल हो गई हैं और लोगों से अपील कर रही हैं कि वे भी अपनी मां की सुनाई गई वो कहानियां साझा करें, जो अब भी उनके मन में बसी हुई हैं।