
निति_रघुवंशी परिवार ही नही, इंदौर के भरोसे के साथ हुआ विश्वासघात_
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*’ सनम ‘ की हत्यारिन सोनम..!*
_17 दिन बाद जिंदा मिली सोनम ने जन जन के भरोसे को मार दिया_
_जिसने सुना, हिल गया, स्तब्ध रह गए इन्दौरी, इंदौर के माथे लगा कलंक_
_सब मेघालय सरकार व पुलिस को कोसते रहें, मेघालय सीएम ने ट्विट कर अपनी पुलिस को सराहा_
लेख नितिनमोहन शर्मा
सोमवार को इंदौर अभी ठीक से जागा भी नही था। अलसाई व जम्भाई के बीच ही था कि ऐसी मनहूस ख़बर से उसका सामना हुआ, जो बिजली के करंट के समान थी। इस झटके ने पूरे इंदौर की नींद एक झटके में उड़ा दी। आधी रात के बाद उत्तरप्रदेश के गाजीपुर से आई एक ख़बर ने ख़ुशी-गम एक साथ दिए। खुशी सोनम के 17 दिन बाद जीवित मिलने की तो ग़म सोनम के ही अपने सनम की हत्या की सलिप्तता की थी। इस सनसनीखेज व ह्रदयविदारक खुलासे से आपका अपना पक्क़ा इन्दौरी अखबार ख़ुलासा फर्स्ट रात 1.30 से ही जुड़ गया था। फ़िर सब कुछ की पड़ताल में कब सुबह हो गई, पता ही नही चला। इंदौर तो गहरी नींद में था। उसे क्या इल्म कि सुबह उसका सामना, इंदौर के माथे बैठे ठाले कलंक लग जाएगा। न इंदौर ऐसा है, न इंदौर की बेटियां। अब देशभर में इंदौर दिन निकलते ही बदनाम हो गया। आख़िर राजा-सोनम प्रसंग देशभर में भी तो गूंज रहा था। इंदौर ही नही, देश की नजरें, खबरें इस हनीमून मिस्ट्री से जो जुड़ी हुई थी। सीएम से लेकर पीएम तक इस मामले में जुड़े हुए थे। देश के गृहमंत्री से लेकर इंदौर से जुड़े प्रदेश के मंत्री तक निरंतर इंदौर की बेटी के लिए चिंतित थे। सब उसकी सलामती के लिए दुआएं कर रहें थे। दो दिन पूर्व मनाई गई ईद के मुख्य जलसे में भी सोनम के लिए दुआओं में हाथ उठे थे। अब हम सब गमगीन व शर्मसार हैं। ये पुलिसिया जांच व निष्कर्ष के साथ साथ समाज के चिंतन व चिंता का विषय हो गया हैं। कलियुग है, ये तो सबको पता है लेक़िन एक नई दुल्हन के स्तर पर ये इतना विभत्स, क्रूर व निरकुंश होगा…कल्पना भी नही की जा सकती। इन्दौरी मन तो अब भी ये कह रहा है कि सब कुछ मिथ्या निकले। आख़िर ये अहिल्या नगरी की प्रतिष्ठा का भी तो विषय हैं। है न?_
उफ़्फ़… दिमाग सुन्न हो गया। क्या ये सुनने के लिए हम सब दुःखी, गमगीन व उद्वेलित थे? हम सब तो राजा-सोनम की सलामती के लिए प्रार्थनारत थे। राजा रघुवंशी की पार्थिव देह मिलने के बाद भी सोनम के लिए ही तो दुआओं में हाथ उठ रहें थे। सबकी जुबां पर बस एक ही बात थी कि कम से कम सोनम सही सलामत मिल जाये। इंदौर के ‘ राजा बेटे ‘ का खोने का गम बीटिया मिल जाने से कुछ तो कम होगा। बावजूद इसके कई कई अंदेशे सोनम को लेकर भी ज़ेहन के साथ फ़िज़ा में गहरा रहें थे। सोनम जिंदा भी हैं कि नही? सोनम को किडनैप तो नही किया गया? सोनम ह्यूमन ट्रैफिकिंग का शिकार तो नही हो गया? सोनम को बांग्लादेश को तो बेच नही दिया?_
_हम सब मेघालय सरकार व शिलांग पुलिस की सुस्ती को कोस रहें थे। पूर्वोत्तर के इस राज्य के प्रति ग़ुस्से में भरे हुए थे। मेघालय नही जाने की अपील व आग्रह कर रहें थे। परिजन तो चिखचिखकर मेघालय पुलिस ही नही, स्थानीय बाशिंदों को भी कोस रहें थे। मैदानी इलाकों के लोगो के प्रति पहाड़ो की नफ़रत का नैरेटिव बन रहा था। मेघालय का पुरा का पुरा टूरिज्म सेक्टर औऱ उसकी साख दांव पर लग गई थी। भावनाओ का अतिरेक सिर चढ़कर बोल रहा था। इंदौर की सड़कों पर प्रदर्शन हो रहें थे। मध्यप्रदेश सरकार से गुहार लग रही थी। नए-पुराने सीएम की चौखट पर दस्तकें दी जा रही थी मदद के लिए, मेघालय सरकार पर दबाव बनाने के लिए। देश के गृहमंत्री तक फ़ोन घनघनाये जा रहें थे। एक दिन पहले राज्य के सीएम डॉ मोहन यादव ने सीबीआई जांच के लिए केंद्र से आग्रह भी कर लिया था।_*
*_सब कुछ एक झटके में खत्म हो गया। प्रयास, प्रार्थना, भरोसा, विश्वास सब एक झटके में खत्म हो गया। 17 दिन से लापता सोनम ही अपने ‘ सनम ‘ की हत्यारिन निकली। जिसके साथ राजा रघुवंशी ने भविष्य के सपने बुने, वही जीवनसंगिनी अपने जीवनसाथी के क़त्ल की क़िरदार निकली। जिसने सुना, मुंह खुला का खुला ही रह गया। कलयुग है, ये सबको पता है लेक़िन कोई इतना नीचे गिर सकता हैं, नीच भी हो सकता हैं, किसी को कल्पना नही थी। शादी के महज़ 10 दिन बाद ही कोई दुल्हन कैसे अपने दुल्हे को मौत के घाट उतार सकती हैं? भरोसा नही होता न? लेक़िन ये भरोसा भरभराकर ढह गया। ये सामाजिक स्तर पर भी बेहद चिंता का विषय हो गया। आख़िर बहुसंख्यक समाज की बहू-बेटियों का ये कैसा पतन? क्योंकि इसमें की खबरें आये दिन ‘ इधर ‘ से ही तो आ रही हैं, ‘ उधर ‘ से नही।_*
_ये रघुवंशी परिवार के ही नही, इंदौर के भरोसे के साथ एक भयानक छल हुआ। ये विश्वासघात हैं हर उस व्यक्ति के लिए जो राजा-सोनम से कोई नाते के बिना भी उनके दुःख में दिल से शामिल था। जिसने सुना, एक बार विश्वास ही नही हुआ। जैसे सोनम के पिता को भरोसा नही, वैसे ही किसी ने सोचा न था कि एक नवब्याहता हनीमून टूर पर अपने पति की भाड़े के हत्यारों से हत्या करवा सकती हैं? निर्दोष मन, भारतीय मानस तो अब भी ये ही प्रार्थना कर रहा है कि है प्रभु ये जो सुन रहे हैं, वह एक बार फ़िर वैसे ग़लत साबित हो जाये, जैसे कालकवलित हुई सोनम जीवित मिल गई। ऐसे ही एक बार फ़िर भरोसा जिंदा हो जाये कि भारतीय परिवारों में ऐसा नही होता। अन्यथा क्या मुंह दिखाएंगे उन लोगों को, जिनके समक्ष हम सब भारतीय जीवन मूल्यों व परिवार संस्कृति का दम्भ भरते हैं?
_नितिनमोहन शर्मा