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देश में सबसे ज्यादा जंगल अतिक्रमण मध्य प्रदेश में फिर भी कार्यवाही के नाम पर कोरा कागज। देश के 25 राज्यों में मध्यप्रदेश में जंगल पर सबसे ज्यादा अवैध कब्जे

देश में 13,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक वन क्षेत्र पर अतिक्रमण, यह एरिया दिल्ली, सिक्किम और गोवा के कुछ भौगोलिक क्षेत्र से भी बड़ा

आशीष यादव धार
कहने को देश मे नेताओ व खुद प्रधानमंत्री जंगल बचाने की बात करते है। मगर जमीनीस्तर आज की वनों की कटाई व अतिक्रमण का काम आज भी बदस्तूर आज भी जारी है। वही सबसे ज्यादा टाइगर रिजर्व वाले मध्यप्रदेश में हर साल जंगलों में कब्जा बढ़ रहा है। यानी जंगल कम हो रहे हैं और वन अमले की सुस्ती टूट ही नहीं रही है। मप्र में जंगलों का ज्यादातर हिस्सा या तो खेतों में बदल चुका है या मिट्टी की खुदाई के चलते यहां गहरी खदानें नजर आने लगी हैं। जंगल की कटाई की सबसे तेज रफ्तार वाले प्रदेशों में मध्यप्रदेश दूसरे राज्यों से कहीं आगे है। देश के 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 13,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक वन क्षेत्र पर अतिक्रमण किया गया है। यह एरिया दिल्ली, सिक्किम और गोवा के कुछ भौगोलिक क्षेत्र से भी बड़ा है।
पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट खुलासा:
इस बात का खुलासा केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट से हुआ है, जो राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को सौंपी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश और असम अतिक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। कुछ समय पहले समाचार एजेंसी पीटीआई ने एक रिपोर्ट दी थी, जिसमें सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया गया था कि भारत में 7,50,648 हेक्टेयर (7,506.48 वर्ग किलोमीटर) वन क्षेत्र अतिक्रमण के अधीन है। यह क्षेत्र दिल्ली के आकार से पांच गुना बड़ा है। इस रिपोर्ट पर एनजीटी ने स्वतः संज्ञान लिया। और मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वन क्षेत्रों के अतिक्रमण का विवरण एक निर्धारित प्रारूप में संकलित करे।
इन राज्यों ने अभी नहीं दिया अतिक्रमण का डेटा
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अभी भी वन अतिक्रमण पर डेटा प्रस्तुत करना बाकी है। इनमें बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, नगालैंड, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख शामिल हैं।
मप्र में 5,460.9 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अतिक्रमण:
मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तुलना में सबसे अधिक वन क्षेत्र पर अतिक्रमण किया गया है। मार्च 2024 तक, राज्य में 5,460.9 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र अतिक्रमण के अधीन है, जबकि असम में 3,620.9 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र पर अतिक्रमण किया गया है।
ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड पर ज्यादा असर:
मप्र में जंगल में बेतहाशा खनन, पेड़ों की सफाई कर खेतों में बदलने और बड़े प्रोजेक्ट्स के कारण ग्वालियर-चंबल और बुदेलखंड अंचल सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। वन विभाग कब्जे रोकने का प्रयास तो कर रहा है, लेकिन अफसरों की अरुचि के चलते ये कारगर साबित नहीं हो पा रहा है। प्रदेश में 3 लाख 12 हजार हैक्टेयर में वन क्षेत्र हैं जिसका बड़ा हिस्सा कब्जों की चपेट में है। कहीं सैंकड़ों एकड़ के जंगल साफ कर अब वहां खेती की जा रही है। वहीं कई जगह मिट्टी की खुदाई की वजह से घना जंगल गहरी खदानों में बदला नजर आता है। ग्वालियर, शिवपुरी के साथ ही बुदेलखंड अंचल के छतरपुर, सागर, दमोह जिलों के अलावा मालवा निमाड़ के धार, इंदौर, झाबुआ  खंडवा और बुरहानपुर जिले जंगल पर कब्जों के मामले में सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। प्रशासन ने बीते साल एक हजार हैक्टेयर वनभूमि कब्जा मुक्त कराई थी, लेकिन इस साल फिर 700 एकड़ वनभूमि पर कब्जा कर लिया गया।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने एनजीटी को सौंपी रिपोर्ट:
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने हाल ही में एनजीटी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें कहा गया है कि मार्च 2024 तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 13,05,668.1 हेक्टेयर (13,056 वर्ग किमी) वन क्षेत्र अतिक्रमण के अधीन था। इनमें मध्यप्रदेश, अंडमान और निकोबार, असम, अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दादर और नगर तथा दमन और दीव, केरल, लक्षद्वीप, महाराष्ट्र, ओडिशा, पुडुचेरी, पंजाब, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, झारखंड, सिक्किम, मिजोरम और मणिपुर शामिल हैं।
किस राज्य में वन भूमि पर कितना अतिक्रमण
राज्य                      अतिक्रमण क्षेत्र
मध्यप्रदेश                    5,460.9
कर्नाटक                      863.08
महाराष्ट्र                       575.54
अरुणाचल                   534.9
ओडिशा                      405.07
उत्तरप्रदेश                   264.97
मिजोरम                     247.72
झारखंड                     200.40
छत्तीसगढ़                  168.91
तमिलनाडु                  157.68
आंध्र प्रदेश                 133.18
गुजरात                      130.08
पंजाब                        75.67
उत्तराखंड                   49.92
केरल।                       49.75
त्रिपुरा                        42.42
अंडमान-निकोबार        37.42
मणिपुर                      32.7
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