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सेंधवा; ऑनलाइन कार्यशाला में बौद्धिक संपदा अधिकार पर हुई चर्चा

सेंधवा। वीर बलिदानी खाज्या नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय सेंधवा में सोमवार को इंटलेक्चुअल प्रापर्टी राईट यानी बौद्धिक संपदा अधिकार (आइपीआर) विषय पर ऑनलाइन कार्यशाला आयोजित कि गई। इसमें मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. वीएस श्रीवास्तव प्राचार्य एवं डायरेक्टर एमजी टेली साइंस कालेज थालनेर महाराष्ट्र थे। उन्होंने बताया कि
इंटलेक्चुअल प्रापर्टी राईट यानी बौद्धिक संपदा अधिकार (आइपीआर)मानव मस्तिष्क के विचारों से उत्पन्न एक उपज है। भारत वर्ष में आठ अधिनियम के अन्तर्गत बौद्धिक संपदा अधिकार सुरक्षित किये गए हैं। आधुनिक युग में बौद्धिक संपदा सबसे मुल्यवान संपत्ति है, क्योंकि यह मानवीय विकास को गति देने वाली तकनीकी नवाचार को पुरस्कृत करती है।


उन्होंने आइपीआर के मुख्य प्रकारों में अविष्कारों के लिए पेटेंट, ब्रांडिंग के लिए ट्रेडमार्क, कलात्मक और साहित्यकारों के लिए कापीराइट, गुप्त व्यवसायिक सुचना के लिए व्यापारिक गोपनीयता तथा उत्पादों की प्रस्तुति के लिए औद्योगिक डिजाइन शामिल हैं के बारे में विस्तार से समझाया। उन्होंने पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट, इंडस्ट्रियल डिजाइन, सेमीकंडक्टर इनटिग्रेटेट ले आउट डिजाइन और ट्रेंड सिक्रेट आदि के प्रकार और उन्हें कैसे प्राप्त किया जा सकता है उन्हें सरलता से उदाहरण देकर समझाया। दरअसल बौद्धिक संपदा अधिकार अविष्कारक या निर्माता को एक निश्चित अवधि के लिए अपने अविष्कार या रचना कि रक्षा के लिए कानूनी अधिकार को सर्दभित करता है।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. एमएल अवाया ने बताया की वर्तमान समय में स्टॉफ एवं विद्यार्थियों को बौद्धिक संपदा अधिकार को जानने समझने की न सिर्फ आवश्यकता बल्कि वर्तमान समय की मांग भी है। ऐसे यह कार्यशाला उपयोगी हो जाती है। वक्ता परिचय डॉ दिनेश कनाडे ने दिया। प्राचार्य डॉ जीएस वास्कले ने कार्यशाला से सिख कर उसका व्यक्तिगत जीवन में लाभ लेने को कहा। संचालन करते हुए प्रो. मनोज तारे ने कहा एक व्यक्ति जो अपने सघन प्रयासों के उपरांत किसी नये अविष्कार अथवा विचार को उत्पन्न करता है। वास्तव में उस अविष्कार अथवा विचार का मूल श्रेय उसी को मिलना चाहिए, किन्तु वर्तमान में ऐसे कई उदाहरण सामने आये है, जहां एक व्यक्ति की वास्तविक उपलब्धि को दुसरे ने गलत तरीके से अपने नाम के साथ जोड़ा है। ऐसी स्थिति किसी व्यक्ति के साथ न आवे इसी तारतम्य में यह कार्यशाला आयोजित कि गई है। आभार कार्यशाला की सहसंयोजक डॉ संतोषी अलावा ने माना। ब्राडकास्टिंग आपरेट डॉ. महेश बाविस्कर द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ चंदा यादव, प्रो प्रियंका यादव, डॉ संगीता परमार, प्रो दिपक मरमट, प्रो विरेन्द्र मुवेल, प्रो राजेश नावडे, डॉ राकेश चौहान, प्रो शिव बार्चे सहित स्टाफ बाडकास्टिंग रुम में उपस्थित था। इसके अलावा विद्यार्थी और स्टॉफ आनलाइन भी जुड़ा था।

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