ब्राह्मणोचित धर्म का पालन कर शिखा सूत्र की रक्षा करें: आचार्य पं. शर्मा
विप्रबंधु बोले- भगवान परशुरामजी धर्म के रक्षक, कर्म के दाता और परब्रह्म के साथ ही अष्ट चिरंजीवों में एक

ब्राह्मणोचित धर्म का पालन कर शिखा सूत्र की रक्षा करें: आचार्य पं. शर्मा
भगवान परशुरामजी के जन्मोत्सव की पूर्व संध्या पर वैदिक विद्वान, ब्राह्मण , शोधार्थियों और अग्रवाल-वैश्य सहित क्षत्रिय समाज के लोगों ने किया अभिषेक-पूजन, महाआरती
इंदौर. भगवान परशुराम जी के जन्मोत्सव की पूर्व संध्या पर गुरुवार को भगवान परशुरामजी का वैदिक मंगलमंत्रों के साथ पूजन-अर्चन, अभिषेक किया गया। साथ ही महाआरती की गई। मप्र ज्योतिष एवं विद्वत परिषद, भारतीय वैदिक संस्कृति उत्थान मित्र मंडल और अग्रवाल समाज युवा संस्कार मित्र मंडल के तत्वावधान में संगमनगर स्थित दुर्गामाता-गणेश मंदिर परिसर में मध्यप्रदेश ज्योतिष एवम् विद्वत परिषद के प्रदेशाध्यक्ष आचार्य पं. रामचंद्र शर्मा वैदिक के आचार्यत्व में भगवान परशुरामजी का विविध पूजा उपचारों से पूजन ,.अर्चन किया गया। साथ ही उनकी प्रतिमा का पवित्र नदियों के जल और पंचामृत अभिषेक से मंत्रोच्चार के बीच अभिषेक किया गया। इसके बाद विशेष शृंगार कर अर्चन किया गया।
इस मौके पर आचार्य पं. शर्मा ने कहा भगवान परशुरामजी धर्म के रक्षक, कर्म के दाता और परब्रह्म के साथ ही अष्ट चिरंजीवों में एक है। महाभारत, विष्णुपुराण के अनुसार परशुरामजी का मूल नाम राम था लेकिन भगवान शिव ने अपना परशु अस्त्र प्रदान किया जिससे उनका नाम परशुरामजी हो गया। नाम संस्कार के बाद वे परशुराम कहलाए। शिवजी से उन्हें त्रैलोक्य विजय कवच, स्तवराज स्तोत्र और मंत्रकल्पतरू भी प्राप्त हुआ। भगवान परशुराम शस्त्र विद्या के महागुरु थे। उनका महामंत्र था ब्राह्मणोचित धर्म का पालन कर शिखा सूत्र की रक्षा करें ’ ब्राह्मणों को चाहिए कि वे उनके बताए रास्ते पर चले। इस मौके पर भगवताचार्य पंडित संतोष भार्गव ,पंडित राजेंद्र शर्मा, राजेश दुबे, दयानंद शर्मा, मुकेश उपाध्याय, जुगलकिशोर शास्त्री, देवकिशऩ राजपुरोहित, शिव जिंदल, विनोद गोयल, राजू शर्मा, पं. नंदकिशोर शर्मा, आशुतोष ठक्कर सहित विप्रबंधु, वैदिक विद्वान, बटुक, ब्राह्मण, वेद-संस्कृत के युवा शोधार्थी शामिल हुए। इस मौके पर अग्रवाल-वैश्य समाज के पदाधिकारी-सदस्य सहित बड़ी संख्या में क्षेत्र के रहवासी मौजूद थे।राजेंद्र शर्मा ने माना।