धराशायी होती मजदूरों की महात्वाकांक्षी योजना “मनरेगा”


सत्याग्रह लाइव,भीकनगांव :- भारत सरकार की महात्वाकांक्षी योजना “मनरेगा” का मुख्य उद्देश्य है कि मेहनतकश मजदूरों को ग्राम पंचायत स्तर पर ही श्रम-मुलक रोजगार उपलब्ध कराया जाए ताकि ग्रामीण मजदूरों को रोजगार की तलाश में परिवार छोड़कर कहीं अन्यत्र पलायन न करना पड़े! भारत सरकार ने इसके लिए बाकायदा महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 लागू किया। इस कानून में ग्रामीण क्षेत्रों के जरूरतमंद मेहनतकश मजदूरों को वित्तीय वर्ष में 100 दिवस का रोजगार ग्राम पंचायतों में स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध कराने की रोजगार की गारंटी दी गयी है साथ ही रोजगार की मांग करने की तिथि से 14 दिवस तक यदि स्थानीय ग्राम पंचायत रोजगार देने में असमर्थ रहती है तो आवेदक मजदूरों को निश्चित बेरोजगारी भत्ता दिए जाने का अधिकार भी दिया गया है। जनपद पंचायत भीकनगांव की सभी 65 ग्राम पंचायतों में मजदूरों की जीवनदायिनी मनरेगा योजना का क्या हाल है इसे मनरेगा के पब्लिक पोर्टल पर देखकर आसानी से समझा जा सकता है। भीकनगांव जनपद के अंतर्गत आने वाली कुल 65 ग्राम पंचायतों ने वित्तीय वर्ष 2023-24 मे 8749 मनरेगा जाब- कार्डधारियों में से मात्र 44 परिवारों को ही पुरे 100 दिवस का रोजगार उपलब्ध कराया है या यूं कहा जाए कि एक ग्राम पंचायत ने औसतन मात्र एक परिवार से भी कम परिवार को 100 दिवस की निश्चित मजदूरी की गारंटी का लाभ दिया है।

फिसड्डी साबित होती जनपद में पदस्थ है मनरेगा के दो-दो अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी !
भीकनगांव जनपद में पदस्थ मनरेगा अमले की अगर बात की जाए तो लगभग सभी 65 ग्राम पंचायतों में 01-01 ग्राम रोजगार सहायक, 07 उपयंत्री, एसडीओ, लेखाधिकारी, कार्यक्रम अधिकारी सहित 02-02 अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारीयों की विशेष सौगात प्राप्त है जो ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजना के कार्यों की रूपरेखा तैयार कर ग्रामों के अधोसंरचनात्मक विकास के साथ साथ जरूरतमंद मेहनतकश मजदूरों को स्थानीय स्तर पर ही श्रम- मूलक रोजगार उपलब्ध करा सकते हैं । शासन ने अधिकारियों को सतत् मानिट्रींग करने के लिए बाकायदा चार पहिया वाहन भी उपलब्ध कराया गया है बावजूद इसके जिले की अन्य जनपदों की तुलना में भीकनगांव जनपद का फिसड्डी होना यहां पदस्थ मनरेगा अमले की न केवल निष्क्रियता ओर लापहरवाही को ही नहीं प्रदर्शित करता है बल्कि क्षेत्र के अधो- संरचनात्मक विकास के साथ-साथ गरीब मजदूरों के अधिकारों का भी हनन करता है जो गरीब मजदुर परिवारों की आजीविका विकास में बाधक बनकर उनको गांव छोड़कर पलायन करने के लिए भी मजबूर करता है ।
रोजगार नहीं मिलने से इन ग्राम पंचायतों के मजदूरों को देना पड़ेगा बेरोजगारी भत्ता…!

जनपद पंचायत भीकनगांव क्षैत्र की अधिकतर ग्राम पंचायतों में प्रमुख रूप से टेमला के 225 मजदूरों को कुल 1,47,793₹, सुर्वाकोयड़ा के 33 मजदूरों को कुल 32,930₹, अंजनगांव के 48 मजदूरों को कुल 31,934₹, बड़ियां (सहे) के 30 मजदूरों को कुल 35,806₹, शकरगांव के 55 मजदूरों को कुल 35,082₹, वल्का के 34 मजदूरों को कुल 22,265₹, अंदड़ के 39 मजदूरों को कुल 21,099₹, बिटनेरा के 24 मजदूरों को कुल 21,216₹, दौड़वां के 20 मजदूरों को कुल 51,051₹, एकतासा के 28 मजदूरों को कुल 20,332₹, इंगरिया के 24 मजदूरों को कुल 15,248₹, जामन्या बुजुर्ग के 06 मजदूरों को 10,829₹, खेरदा के 18 मजदूरों को कुल 26,520₹, निमोनी के 10 मजदूरों को कुल 11,934₹, पिपराड़ के 05 मजदूरों को कुल 14,144₹, पिपल्या बुजुर्ग के13 मजदूरों को कुल 11,934₹, पोखरखुर्द के 33 मजदूरों को कुल 20,495₹, सांगवी के 16 मजदूरों को कुल 19,227₹, सिराली के 18 मजदूरों को कुल 21,216₹, उमरिया के 07 मजदूरों को कुल 11,657₹ सहित अन्य 20 ग्राम पंचायतो के मजदूरों का 1000₹ से लेकर 9000 रुपए तक का बेरोजगारी भत्ता दिए जाने की पात्रता है इस प्रकार भीकनगांव जनपद की ग्राम पंचायतों में 6,39,206₹ का मजदूरों को बेरोजगारी भत्ते का भुगतान होना है। जिला युवक कांग्रेस के अध्यक्ष प्रशांत भालसे ने बताया कि संपूर्ण जिले के जनपदों की वर्ष 2023-24 की मनरेगा योजना की जानकारी का डाटा मेरे पास उपलब्ध है। जानकारी के अभाव में गरीब मजदूर अपने अधिकार का प्रयोग नहीं कर पाते हैं आज तक किसी गरीब मजदूर को बेरोजगारी भत्ते का एक रूपये का भुगतान जिले में नहीं हुआ है। जिले में पदस्थ मनरेगा के अधिकारी इस संबंध में जानकारी लगते ही मनरेगा पोर्टल में छेड़खानी कर डाटा हटा देते हैं। गरीब मजदूरों को उनका हक दिलाना जाएगा। भीकनगांव जनपद पंचायत क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में धराशायी मनरेगा योजना को पटरी पर लाने के लिए जिला कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा तथा कलेक्टर से चर्चा करेंगे तथा लापरवाही बरतने वाले मनरेगा के अधिकारी कर्मचारीयों के खिलाफ कलेक्टर खरगोन को रिकॉर्ड सहित शिकायत दर्ज कराई जाएगी।