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आत्मा को शुद्ध करने का वैचारिक यज्ञ है गीता – स्वामी रामदयाल महाराज

इंदौर। परमात्मा हमारी मदद के लिए हर समय तत्पर रहते हैं। संसार के सारे संबंधों को एक तरफ रखकर हम केवल एक परमात्मा के साथ ही अपना मजबूत रिश्ता जोड़ लें तो जीवन धन्य हो जाएगा। गीता आत्मा को शुद्ध करने का वैचारिक यज्ञ है। हम नए वर्ष और जन्मदिन मनाने के नाम पर जो कुछ कर रहे हैं, वह न तो संस्कृति के अनुरूप है और न ही हमारी प्रतिष्ठा के। हमारा जन्मदिन उस परमात्मा के चरणों में मंदिर में अथवा गौशाला में बैठकर मनाएंगे तो जीवन में कभी विपत्ती नहीं आएगी। आनंद और शांति की अनुभूति तभी संभव है, जब हम स्वयं अंतःकरण से शुद्ध हो जाएंगे। गीता उस मां की तरह है, जो अपनी शरण में आने वाले हर व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के बच्चे की तरह संभालकर रखती है और जीवन संग्राम में चलना सीखा देती है।
अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के आचार्य जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज ने सोमवार को गीता भवन में चल रहे 66वें अ.भा. गीता जयंती महोत्सव की धर्मसभा में उपस्थित हजारों भक्तों को संबोधित करते हुए उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए। स्वामी रामदयाल महाराज ने भक्तों को सनातन धर्म की महत्ता बताते हुए शपथ दिलाई कि वे अपने आसपास की गोशालाओं में प्रतिदिन अथवा सप्ताह में एक दिन सपरिवार पहुंचकर गोसेवा के अनुष्ठान में शामिल होंगे। अव्वल तो सनातनी बंधु को अपने घर-आंगन में ही गोमाता का पालन करना चाहिए, लेकिन शहरी क्षेत्र में जगह की कमी होने से यदि ऐसा संभव नहीं हो तो उन्हें अपने बच्चों के लिए घर में गाय का दूध प्रयुक्त करने की शपथ भी लेना चाहिए। करतल ध्वनि के बीच हजारों बंधुओं ने शपथ ग्रहण की। सोमवार सुबह आचार्य पं. कल्याणदत्त शास्त्री द्वारा भगवान शिव के सामूहिक रुद्राभिषेक एवं आरती के साथ महोत्सव का शुभारंभ हुआ। डाकोर से आए देवकीनंदन दास, उज्जैन के स्वामी असंगानंद, भीकनगांव के पं. पीयूष महाराज, ऋषिकेश के शंकर चैतन्य महाराज, गोराकुंड रामद्वारा के स्वामी अमृतराम महाराज एवं वेदांत आश्रम इंदौर के स्वामी आत्मानंद सरस्वती ने भी अपने प्रभावी उदबोधन में गीता की महत्ता एवं उपयोगिता बताई। गोधरा से आई साध्वी परमानंदा सरस्वती, गोंडा उ.प्र. से आए पं. प्रहलाद मिश्र रामायणी एवं हरिद्वार से आए स्वामी सर्वेश चैतन्य ने भी सत्संग सत्र में अपने विचार व्यक्त किए। अध्यक्षीय उदबोधन में जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज ने सबके मंगल की कामना की।
प्रारंभ में गीता भवन ट्रस्ट मंडल की ओर से अध्यक्ष राम ऐरन, मंत्री रामविलास राठी, कोषाध्यक्ष मनोहर बाहेती, संरक्षक ट्रस्टी गोपालदास मित्तल, न्यासी मंडल के पवन सिंघानिया, दिनेश मित्तल, टीकमचंद गर्ग, महेशचंद्र शास्त्री, प्रेमचंद गोयल, हरीश माहेश्वरी, संजीव कोहली, राजेश गर्ग केटी आदि ने संतों एवं विद्वानों का स्वागत किया। न्यासी पवन सिंघानिया की ओर से सोमवार को महोत्सव में आए सभी संतों सम्मान कर उन्हें श्रद्धा निधि समर्पित की गई, वहीं आसपास के अंचलों से आए करीब 300 संतों को कम्बल भी भेंट किए। मंच का संचालन स्वामी देवकीनंदन दास ने किया।

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