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अब शिवराज, विजयवर्गीय और प्रहलाद पटेल की क्या भूमिका होगी?

भोपाल। मोहन यादव को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री चुन लिया गया है। भाजपा नेतृत्व के इस फैसले के बाद राज्य के सीनियर नेताओं की भूमिका पर संशय बढ़ गया है। इसके अलावा यह भी कयास लगाए जा रहे थे कि लोकसभा चुनाव तक शिवराज सिंह चौहान को फिर मौका दिया जा सकता है, लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर यह संदेश दिया कि संगठन अब नई लीडरशीप प्रदेश में तैयार करना चाहता है। बता दे मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में सबसे आगे कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल के नाम दौड़ में थे। पार्टी ने नरेंद्र सिंह तोमर को मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष बनाकर उन्हें प्रदेश की राजनीति तक सीमित कर दिया है। अब चर्चा यह भी कि शिवराज, विजयवर्गीय और प्रहलाद पटेल को संगठन क्या जिम्मेदारी देता है। अगले साल लोकसभा चुनाव होना है। माना जा रहा है कि तीनो दिग्गजों का उपयोग लोकसभा चुनाव में किया जाएगा और उनकी नई भूमिका आने वाले कुछ दिनों में तय कर सकता है। बात शिवराजसिंह चौहान की करे तो उन्हें केंद्र में जिम्मेदारी मिल सकती है। मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान ने बतौर मुख्यमंत्री लंबी पारी खेली है, लेकिन संगठन अब उन्हें केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी दे सकता है। केंद्रीय मंत्रीमंडल में उन्हें शामिल किया जा सकता है या फिर संगठन में महत्वपूर्ण पद मिल सकता है। इस बीच यह लगभग तय हो गया है कि शिवराज सिंह चौहान दिल्ली जा सकते हैं। उनकी भूमिका पर फैसला पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह लेंगे।

प्रहलाद पटेल केंद्र सरकार में मंत्री रहे है, लेकिन अब केंद्र सरकार का कार्यकाल भी कुछ महीनों का है। इस स्थिति में प्रहलाद पटेल को भी शीर्ष नेतृत्व नई भूमिका दे सकता है। उन्हें संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में महत्वपूर्ण पद दिया जा सकता है। इसके अलावा छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र पर भी फोकस करने को कहा जा सकता है, क्योकि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र को छोड़कर शेष 28 सीटों पर जीत दर्ज कराई थी।

कैलाश विजयवर्गीय मुख्यमंत्री तो नहीं बन पाए, लेकिन वे प्रदेश संगठन में महत्वपूर्ण पद के लिए भी प्रयास कर सकते है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर संगठन उन्हें भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बना सकता है, या फिर मालवा निमाड़ की अनारक्षित सीटों से लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार भी बना सकता है।

अगर गुजरात फॉर्मूला लागू होता है तो शिवराज सिंह चौहान की पिछली सरकार में मंत्री रहे सभी दिग्गज बाहर होंगे। बड़े नेताओं की भी भूमिका सत्ता में नहीं होगी। नए चेहरों के साथ मोहन यादव सरकार चलाएंगे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस बारे में अभी कुछ वक्त लग सकता है, क्योंकि दिल्ली के निर्देशों के बाद ही मप्र में सरकार का स्वरूप तय होगा।

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