जीवन की महाभारत जीतने के लिए अर्जुन की तरह अपनी गाड़ी की चाबी भगवान कृष्ण को सौंप दें
शरण में आने वाले व्यक्ति को जब हम क्षमा कर देते हैं तो चिंतन करें कि भगवान भी अवश्य क्षमा करेंगे
बक्षीबाग कालोनी में चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ में आचार्य पं. शुकदेव महाराज के प्रेरक आशीर्वचन
इंदौर । संसार के भौतिक संसाधनों की आपाधापी में मनुष्य भटक रहा है। परिवार बिखर रहे हैं, रिश्तों में दरारें आ रही हैं। इसका मुख्य कारण यही है कि हम संस्कारों और संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। हमारी नई पौध को अब शिक्षा के साथ संस्कारों की भी जरूरत है जो भागवत, रामायण और गीता जैसे दिव्य धर्मग्रंथों से ही प्राप्त हो सकते है। रामायण जीवन की और भागवत मोक्ष की कथा है। जीवन की महाभारत जीतना है तो अर्जुन की तरह हमे भी अपने जीवनरथ रूपी गाड़ी की चाबी श्रीकृष्ण के हाथों में सौंप देना चाहिए। भगवान तो इतने दयालु हैं कि भक्तों की चरण पादुका को भी मस्तक से लगा सकते हैं।
भागवताचार्य पं. शुकदेव महाराज ने कहा कि कलियुग में भागवत जैसी साक्षात भगवान की वाणी का श्रवण मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। भागवत भारत भूमि का विलक्षण ग्रंथ है, जिसे हजारों बार सुनने के बाद भी भक्ति की प्यास खत्म नहीं होती। रामायण जीवन जीने और भागवत मृत्यु को मोक्ष में बदलने की कथा है। भागवत और रामायण भारतभूमि की अनमोल धरोहर हैं, जो युगों-युगों तक हमारी प्रेरणा एवं ऊर्जा के केंद्र बने रहेंगे। भक्ति के नाम पर पाखंड और प्रदर्शन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकते। भारत भूमि भक्तों की ही भूमि है। भक्ति में समर्पण जरूरी है। शरण में आने वाले व्यक्ति को जब हम क्षमा कर देते हैं तो चिंतन करें कि भगवान भी अवश्य क्षमा करेंगे।