जीवन में श्रद्धा और विश्वास के बिना किसी प्रार्थना, पूजा, या अन्य अनुष्ठान की सार्थकता नहीं होती – कृष्णानंद

और कोई साथ दे या न दे, ईश्वर और धर्म
हमेशा हमारे साथ रहते हैं – कृष्णानंद
इंदौर। भगवान भोलेनाथ की आराधना कभी भी, कहीं भी और कैसे भी करें – हमेशा कल्याणकारी फल देती है। शिव महादेव होते हुए भी सबसे सहज और सरल देव हैं। पाप का फल दुख है और पुण्य का फल सुख । पाप कर्म भोगते समय मीठा होता है, जबकि पुण्य कर्म व्यवहार में लाते समय कठिन या कड़वा। देश, धर्म और ईश्वर के लिए बलिदान देने वाला अमर हो जाता है, इसलिए इन तीनों के प्रति हमेशा दृढ़ता का भाव होना चाहिए। ईश्वर और धर्म मृत्यु के बाद भी हमारे साथ रहते हैँ। और कोई साथ दे या न दे, ईश्वर और धर्म जरूर हमारा साथ देते हैं।
वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद महाराज की सुशिष्या साध्वी कृष्णानंद ने आज गीता भवन में चल रही संगीतमय शिव पुराण कथा के दौरान उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए। कथा में दिनोंदिन भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है। साध्वी कृष्णानंद के मनोहारी भजनों पर भक्तों के थिरकने का क्रम पहले दिन से ही चल रहा है। आज कथा शुभारंभ के पूर्व समाजसेवी प्रेमचंद गोयल, सुनील गोयल, विमला अग्रवाल, गोपाल मंगल, पुरुषोत्तम गोयल, रामविलास राठी आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया।
साध्वी कृष्णानंद ने कहा कि जीवन में श्रद्धा और विश्वास के बिना किसी प्रार्थना, पूजा, या अन्य अनुष्ठान की सार्थकता नहीं होती। शिव श्रद्धा है और पार्वती विश्वास। जब तक हम प्रत्येक व्यक्ति में नारायण का अंश मानने की दृष्टि नहीं रखेंगे हमारी साधना अधूरी ही रहेगी। संसार की किसी कामना के लिए धर्म का हनन हो तो वह कर्म पाप की श्रेणी में आता है, लेकिन यदि ईश्वरीय कर्म करते हुए मर्यादा का उल्लंघन या ऐसा कुछ हो तो वही कर्म पुण्य की श्रेणी में आ जाता