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मोक्ष कल्याणक के साथ पंच कल्याणक महोत्सव संपन्न

आत्मा से परमात्मा बनने के लिए मोहरूपी शत्रु का दमन जरूरी

Indore se Vinod Goyal ki riport:—
इंदौर । जिसका मोक्ष हो जाता है, उसका मनुष्य भव में जन्म लेना सार्थक हो जाता है। जब तक संसार है तब तक चिंता रहती है, हमें अपनी आत्मा को परमात्मा बनाने के लिए मोहरूपी शत्रु का नाश करना पड़ता है, तब मोक्ष प्राप्त होता है। अत: हमें सभी छोटों और बड़ों के प्रति मन में सम्मान तथा विनय भाव धारण करना चाहिए, क्योंकि विनय ही मोक्ष का द्वार है। नीतिकार कहते हैं श्रेष्ठ कार्य में विघ्न आते ही नहीं अगर आते हैं तो वह श्रेष्ठ कार्य नहीं। हमारा जन्म तभी सार्थक है ज़ब कृति की कीमत उसके कृतित्वार्थ से होती है।

यह बात आचार्य आदित्य सागर जी महाराज ने आज अंबिकापुरी में पंच कल्याणक महोत्सव के अंतिम दिन मोक्ष कल्याणक पर उपस्थित सैकड़ों जैन धर्म अनुयाईयों को सम्बोधित करते कही।
डॉ. अभिषेक सेठी ने जानकारी देते हुए बताया कि आज पूज्य मुनिश्री आदित्यसागरजी की 37 वाँ जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया । इंदौर, बडौदा, भोपाल, अहमदाबाद, भीलवाडा, धार आदि अनेक स्थानों के मुनिभक्त परिवारों ने पूज्य श्री को अष्ट द्रव्य समर्पित किए । श्री विजेन्द्र सोगानी ने बताया कि इस मौके पर मुनिश्री द्वारा रचित सहीं बाते, ओम इग्नोराय नम: सहित छ: पुस्तकों का विमोचन किया गया ।
भोजन व्यवस्था प्रमुख श्री चित्रेश टोंग्या, रूपेश कालाकुण्ड, दिवेश जैन के कुशल नेतृत्व में जन्म जयंती के अवसर पर लगभग 4000 साधर्मियों ने वात्सल्य भोज का लाभ लिया ।
श्टोनी गंगवाल, आशीष जैन, संदीप्त सांवला ने बताया कि मुनिश्री आदित्यसागरजी महाराज की जन्म जयंती की पूर्व संध्या पर विशेष दीप श्रृंगार आरती एवं ख्यात भजन गायक लवेश भुरड की भजन संध्या का आयोजन किया गया ।
प्रतिष्ठाचार्य नितिनजी झांझरी, पंकज कालाकुण्ड ने बताया कि प्रात:कालीन सत्र में अभिषेक, शांतिधारा, नित्यमह पूजन, ज्ञान कल्याणक पूजन, कैलाश पर्वत से आदिनाथ भगवान का मोक्ष गमन, श्रीजी भव्य शोभायात्रा के साथ नूतन जिनालय की नूतन वेदिका पर कलशारोहण, विश्व शांति महायज्ञ, पुण्याहवाचन आदि संपादित हुए ।
श्री पंकज परमहंस एवं निकेश ने बताया कि दोपहर के सत्र में श्रुत संवेगी श्रमण श्री आदित्यसागरजी मुनिराज के 37 वें अवतरण दिवस पर इंदौर एवं बाहर से पधारे हुए श्रावकों द्वारा जिनभारती पूजन, आचार्यश्री पूजन, गुरूपूजन, विनयांजली, प्रवचन एवं सम्मान समारोह आदि माँगलिक कार्यक्रम संपन्न हुए ।

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