अहंकार युक्त ज्ञान और संस्कार मुक्त स्वतंत्रता व्यक्ति को पतन की ओर ले जाते हैं – पं. राहुल
धूमधाम से मना गोवर्धन पूजा का उत्स
इंदौर, । अहंकार युक्त ज्ञान और संस्कार मुक्त स्वतंत्रता व्यक्ति को पतन की ओर ले जाते हैं। जिस ज्ञान में अहंकार आ जाए, वह ज्ञान किसी भी काम का नहीं हो सकता। इसी तरह जिस स्वतंत्रता में संस्कार नहीं होते, वह स्वच्छंदता बन जाती है। वर्तमान युग धर्म के जागरण का युग है। भागवत कथा जीवन के संशयों से मुक्ति का सहज माध्यम है। जीवन का आनंद भक्ति में है, भोग में नहीं।
श्री श्रीविद्याधाम के आचार्य पं. राहुल कृष्ण शास्त्री के, जो उन्होंने देवेन्द्र नगर, अन्नपूर्णा रोड स्थित ‘पंचामृत सदन’ पर बैसाख माह के उपलक्ष्य में आयोजित भागवत ज्ञान यज्ञ के दौरान गोवर्धन पूजा एवं छप्पन भोग प्रसंग पर व्यक्त किए। कथा शुभारंभ के पूर्व संस्था सेवा सुरभि के संयोजक ओमप्रकाश नरेडा, म.प्र. वैश्य महासम्मेलन के प्रदेश मंत्री अरविंद बागड़ी, वैश्य महासम्मेलन के राजेश कुंजीलाल गोयल, डॉ. कमल हेतावल, सुभाष साकल्ले, ब्रजमोहन गुप्ता आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। अतिथियों की अगवानी संयोजक मयंग गुप्ता, नीलेश गुप्ता एवं नितिन गुप्ता ने की। महिला मंडल की ओर से श्रीमती वीणा शर्मा, भारती दुबे, शालिनी जैन, भारती कुमावत आदि ने उत्सव की व्यवस्थाएं संभाली। जैसे ही बालक कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाया, समूचा पंचामृत सदन भगवान के जयघोष से गूंज उठा। इस अवसर पर सभी भक्तों ने आचार्य पं.राहुल कृष्ण शास्त्री के आव्हान पर जूठन नहीं छोड़ने का संकल्प लेकर भगवान श्रीनाथ को छप्पन भोग समर्पित किए।
विद्वान वक्ता ने कहा कि केवल परमात्मा ही चैतन्य स्वरूप हैं। बाकी सब जड़ हैं। हम सब संसार के रिश्तों से ऊपर उठकर परमात्मा के ही तत्व हैं। भारत भूमि इतनी धन्य है कि जितने संत और महापुरुष इस धरती पर हुए हैं, उतने दुनिया के किसी देश में नहीं हुए। भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जिसे माता कहा जाता है। हमें अपने देश का खोया हुआ वैभव और विश्व गुरू का सम्मान वापस लाना होगा। भागवत कथा का श्रवण मन को निर्मलता और पवित्रता प्रदान करता है।