अंजनि नगर पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में अब पांच आचार्यों के चरण स्थापित होंगे
प.पू. आदित्यसागर म.सा. की प्रेरणा से भक्तामर के अखंड पाठ में परिवारों ने लिया संकल्प
इंदौर। चरित्र सबसे बड़ा धन माना गया है। समाज में धन और संपदा अर्जित करना तो बहुत आसान है, लेकिन चरित्र को प्राप्त करना और उसे नियमित बनाए रखना बहुत बड़ी चुनौती है। समाज में उसी की प्रतिष्ठा मानी जाती है, जिसका चरित्र उत्तम या श्रेष्ठ हो। चरित्र हमारे व्यक्तित्व और कृतित्व के आंकलन का मानदंड होता है। चरित्र और संस्कार एक-दूसरे के पूरक हैं। यदि संस्कार श्रेष्ठ होंगे तो चरित्र भी श्रेष्ठ बन जाएगा। श्रेष्ठ चरित्र ही श्रेष्ठ मानव का निर्माण कर सकता है। दया,करूणा, अहिंसा और परमार्थ के भाव ही मानव को श्रेष्ठ बनाते हैँ।
ये प्रेरक विचार हैं प्रातः वंदनीय मुनिश्री आदित्य सागर म.सा. के, जो उन्होंने अंजनि नगर एयरपोर्ट रोड स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर के चंद्रप्रभु मांगलिक भवन पर चल रहे भक्तामर के अखंड पाठ के दौरान उपस्थित समाजबंधुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। मुनिश्री की प्रेरणा से आज मंदिर पर पांच आचार्यों के चरण स्थापित करने और छतरी लगाने की घोषणा राजेन्द्र-कविता जैन, निर्मल राजेश कुमार काला एवं संजय पाटनी, सुशीलाबाई, सुशील जैन, अनिल-उषा पांड्या एवं श्रीमती मैना-प्रवीण-कल्पना रामावत परिवार की ओर से की गई।
मुनिराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में देव और शास्त्र तो थे ही, अब गुरू के चरण भी यहां स्थापित होने जा रहे हैं। इस तरह देव, शास्त्र और गुरू –तीनों के दर्शन इस जिनालय में आने वाले भक्तों को हो सकेंगे और उनका जीवन सार्थक एवं पुण्यवान बन सकेगा।