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अमृता शेरगिल के चित्रों में भारतीयता की गहरी छाप : डॉ. शरद पगारे

 

इंदौर. ग्रामीण परिवेश की भारतीय नारी की उदासी और सौन्दर्य का सुंदरतम स्वरुप अमृता शेरगिल की पेंटिंग्स में नज़र आता है. उनकी पेंटिंग्स की आत्मा को शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त करने का कार्य डॉ. नीलम वर्मा ने बेहद भावपूर्ण ढंग से किया है. ऐसा लगता है कि उन्होंने काव्य से पेंटिंग की है.

यह बात वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शरद पगारे ने हाइकू संग्रह “पेंटिंग में कविता’ के विमोचन समारोह में कही. वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शरद पगारे ने कहा कि पाश्चात्य कला दृष्टि एवं भारतीय कला दृष्टि में बहुत फ़र्क है, जिसे हम अजंता एलोरा के चित्रों में महसूस कर सकते हैं. अजंता के गुमनाम चित्रकारों ने प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए मात्र प्राकृतिक साधनों से बने रंगों से जो चित्रों की अनुपम विरासत छोडी है, उसके आगे पाश्चात्य जगत के बड़े –बड़े कलाकारों की कला फ़ीकी लगती है. अमृता शेरगिल के चित्रों में भारतीय संस्कृति, संस्कारों एवं विचारों के प्रति गहरा प्रेम नज़र आता है. मात्र 28 वर्ष की उम्र में अपने कलाकर्म के माध्यम से विश्व में भारतीयता की अमिट छाप छोड़ने वाली कलाकार अमृता शेरगिल के व्यक्तित्व और चित्रों पर आधारित दिल्ली की कलाकार एवं लेखिका डॉ. नीलम वर्मा द्वारा हाइकू संग्रह “पेंटिंग में कविता” का विमोचन एवं चर्चा का समारोह अभिनव कला समाज सभागार में सम्पन्न हुआ. विमोचन कृतिकार डॉ. वर्मा, डॉ. पगारे के अलावा चित्रकार डॉ. विम्मी मनोज, साहित्यकार तृप्ति मिश्रा, फ़ोटोग्राफ़र उमेश मेहता, अभिनव कला समाज के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल, वरिष्ठ चित्रकार शुभा वैद्य, वरिष्ठ साहित्यकार हरेराम बाजपेयी एवं संस्कृतिकर्मी आलोक बाजपेयी ने किया. इस अवसर पर बड़ी संख्या में कला प्रेमी एवं साहित्यप्रेमी उपस्थित थे.

डॉ. नीलम वर्मा ने बताया कि हाइकू शैली एवं अमृता शेर गिल की पेंटिंग्स दोनों में एक मिस्ट्री है और दोनों में आप डूबकर खो जाते हैं. स्व. अमृता शेरगिल ने भारतीयों एवं भारतीयता के प्रति अद्भुद संवेदनशीलता का प्रदर्शन किया और पाश्चात्य जगत में भारतीयता को सम्मान दिलाया. वही भाव आज के कलाकारों एवं लेखकों में आना चाहिए. भारतीय ग्रामीण परिवेश एवं श्रमिकों के प्रति उन्होंने दया भाव नहीं बल्कि सम्मान का भाव अपनी पेंटिंग्स में दिखाया जो कि उनके प्रति नतमस्तक कर देता है. उन्होंने इस पुस्तक की प्रेरणा अमृता शेरगिल के जीवन और पेंटिंग्स के प्रति गहरे आकर्षण को बताया.

डॉ. विम्मी मनोज ने कहा कि कला जगत में मील का पत्थर माने जाने वाली अमृता शेरगिल स्वभाव से विद्रोही थीं. भारतीय रंगों से लगाव उन्हें भारत वापस खींच लाया. उनकी पेंटिंग्स में उपनिवेशवाद का विरोध भी नज़र आता है. इम्प्रेशनिस्टिक एवं रिएल्सिटिक विधा के मिश्रण बनी उनकी पेंटिंग्स पर डॉ. नीलम वर्मा पर दिल की डॉक्टर नीलम वर्मा ने बड़े दिल से हाइकू लिखे हैं. कवियत्री तृप्ति मिश्रा ने अमृता शेरगिल और हाइकू संग्रह की अनेक विशेषताएं बताने के साथ इसे अपनी तरह की विलक्षण पुस्तक बताया. उन्होंने हाइकू संग्रह की अनेक रचनाओं का सस्वर पाठ भी किया. प्रकाशक प्रतिनिधि एवं वरिष्ठ छायाचित्रकार श्री उमेश मेहता ने कहा की भारतीय कला जगत की बेहद समृद्ध विरासत को सहेजने एवं विश्व के सामने लाने के लिए ऐसी पुस्तकों का बड़ा महत्व है.

प्रारंभ में अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन किया. अतिथियों का स्वागत प्रवीण कुमार खारीवाल, शुभा वैद्य, हरेराम बाजपेयी, रचना जौहरी, प्रवीण धनोतिया, बंसी लालवानी आदि ने किया. कार्यक्रम का प्रभावी संचालन बहुविध संस्कृतिकर्मी आलोक बाजपेयी ने किया. अंत में सोनाली यादव ने आभार माना.

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