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सेंधवा। शिव महापुराण को ‘पुराणों का पुराण’ बताते हुए रुद्राक्ष और रुद्राभिषेक की महिमा का किया वर्णन

सेंधवा। महाराष्ट्र मंडल ब्राह्मण समाज द्वारा आयोजित सात दिवसीय शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन परम पूज्य आदित्य प्रकाश त्रिपाठी ने प्रवचन दिया। उन्होंने कहा कि शिव महापुराण को ‘पुराणों का पुराण’ कहा जाता है, जिसे स्वयं भगवान महादेव ने रचा और वेदव्यास ने प्रकट किया।

इसमें सात संहिताएं और 24 हजार श्लोक शामिल हैं। प्रवचन के दौरान उन्होंने बताया कि प्रथम संहिता विद्येश्वर संहिता है, जिसकी शुरुआत मंगलाचरण से होती है और जिस ग्रंथ में मंगलाचरण हो, वह अमर हो जाता है।

कथा में पार्थिव शिवलिंग की उत्पत्ति, रुद्राभिषेक की विधि और बिल्वपत्र की महिमा का विस्तृत वर्णन किया गया। पंडित त्रिपाठी ने एकमुखी से चौदहमुखी रुद्राक्ष के महत्व पर प्रकाश डालते हुए ‘श्री शिवाय नमस्तुभ्यं’ मंत्र की महत्ता समझाई। उन्होंने बताया कि महामृत्युंजय मंत्र का जप सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है और भगवान शिव अकारण ही प्रसन्न होने वाले, भोले और शीघ्र करुणा करने वाले देवता हैं।

कथा में समाजजन बड़ी संख्या में मौजूद रहे और श्रद्धा भाव से प्रवचन सुना। इस अवसर पर वरिष्ठ सदस्यों ने पंडित त्रिपाठी का स्वागत किया। उपस्थित सदस्यों में अनिल वाघ, छोटू चौधरी, महेश मित्तल, राधेश्याम अग्रवाल, गोपी अग्रवाल, मकरंद ओक, मंगला पंडित, मनोरमा लोनारी, डॉ. नीलिमा पवार, विमला वाघ सहित महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण समाज के कई सदस्य शामिल हुए।

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