हमारी भक्ति अडिग और अखंड रहेगी तो भक्तों की रक्षा के लिए भगवान को आना ही पड़ेगा-ऋषभदेव
हमारी संस्कृति में कुछ भी कपोल-कल्पित नहीं है।

इंदौर, । भगवान का अवतरण भक्तों की रक्षा और दुष्टों के विनाश के लिए हुआ है। उनकी लीलाओं में प्राणी मात्र के प्रति सदभाव और कल्याण का चिंतन होता है । संसार की दृष्टि से भगवान की लीलाओं का चाहे जो अर्थ-अनर्थ निकाला जाए, यह शाश्वत सत्य है कि यदि हमारी भक्ति अडिग और अखंड रहेगी तो भगवान को हमारी रक्षा के लिए आना ही पड़ेगा। भक्ति निष्काम और निर्दोष होना चाहिए। भक्ति मनुष्य को निर्भयता प्रदान करती है।
बाल व्यास आचार्य पंडित ऋषभदेव ने कहा कि भगवान की भक्ति कभी निष्फल नहीं होती। कृष्ण की बाललीलाएं पूतना वध से शुरू होकर कंस वध तक जारी रही और सबमें भक्तों के कल्याण का ही भाव है। ब्रज की भूमि आज भी भगवान की लीलाओं की साक्षी है, जहां हजारों वर्ष बाद भी गोपी गीत, महारास और कालिया देह नाग के मर्दन के जीवंत उदाहरण मौजूद हैं। हमारी संस्कृति में कुछ भी कपोल-कल्पित नहीं है। जितने प्रसंग हमारे धर्म शास्त्रों में बताए गए हैं, उन सबके प्रमाण आज भी देखे जा सकते हैं। यह भारत भूमि का ही चमत्कार है कि यहां सबसे ज्यादा देवी-देवता अवतार लेते हैं। भक्तों की भी यही भूमि है और लीलाओं का अलौकिक मंचन भारत की पुण्य धरा पर ही होता है।