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गिद्धों की घटती संख्या घोर चिंता का सबब दो साल से इस बार गणना में नजर आए 5 गिद्ध।

यहां ऊंचे पेड़ व पथरीले पहाड़ नहीं होने से गिद्धों के रहने के लिए अनुकूल स्थान नहीं।

आशीष यादव धार:

ये वाकई चिंता की बात है कि पर्यावरण के रक्षक या कवच कहे जाने वाले गिद्धों की संख्या देश के अन्य शहरों के अलावा धार जिले में भी आश्चर्यजनक रूप से कम होती जा रही है। ज्ञातव्य है कि 2023 की गणना में शहर में कुल 2 गिद्ध मिले थे, जबकि अब इनकी संख्या तेजी से घटकर जा रही है इसबार सिर्फ 5 हो गई है। धार वन मंडल फिलहाल इन गिद्धों की गिनती की गई है। जो इसबार पिछली बार से 3 ज्यादा आई है। सबसे ज्यादा तीन गिद्ध धार शहर पास चाकलिया में मिले है। जो धार वनपरिक्षेञ में आता है व 2 मांडू में गिद्ध दिखाई दिए हैं। क्योंकि धार गिद्धों को लेकर  से अच्छी खबर नही है। दरअसल देशभर में जहां गिद्धों की प्रजाति विलुप्ति की कगार पर है वहीं धार में 3 दिनी गणना के बाद बुधवार को बीते साल की तुलना में कुल 3 गिद्ध अधिक पाए गए। वन व राजस्व क्षेत्रों में गिद्धों की उपस्थिति देखी गई

दो साल में मात्र 5 गिद्ध नजर आए:
जिले में इनकी संख्या 5 सामने आ रही है किंतु आश्चर्य की बात यह हैं कि धार जिले में पिछले दो साल से 5 भी गिद्ध नजर नहीं आया है। जी हां यह तथ्य वन विभाग की गिद्ध गणना में लगी टीम की रिपोर्ट में सामने आया है। विभाग ने इसके लिए टीम बनाई जो 96 बीट में 151 वनरक्षक व रेंजर , एसडीओ , वनपाल , उप वनपाल मैदान में लगे थे। वन विभाग ने पिछले दिनों प्रदेश के साथ ही जिले में भी गिद्ध गणना का काम किया। वन मंडलाधिकारी अशोक कुमार सोलंकी के अनुसार गिद्ध गणना के तहत हमने जिले में संभावित स्थानों पर इनकी निगरानी के लिए टीमें लगा रखी है किंतु अब तक 5 गिद्ध सामने आया है।

ऐसे स्थानों पर मिलते:
यह था गिद्धों की संख्या में गिरावट का कारण:
गिद्ध की संख्या में कमी का मुख्य कारण डाइक्लोफेनिक दवा का उपयोग था, जिसे पशुओं के इलाज के लिए दिया जाल था। सरकार ने इस दवा पर रोक लगाई है। यह दवा गिद्धों के लिए जहरीली साबित हुई और इसका सेवन करने वाले गिद्धों की मौत होने लगी थी। हालांकि इसमें कुछ अन्य कारण भी शामिल रहे थे। गर्मी में फिर होगी गणना गिद्धों की गणना साल में दो बार होती है। वे ठंड में आते हैं और गर्मी में चले जाते है। अब अप्रैल-मई में  गणना संभावित हैं जिसमें सिर्फ एक दिन की गणना की जाएगी। इससे आंकड़ों को लेकर  स्पष्टता सामने आती है, अगर गिद्ध माइरोट होते हैं। साल 2001 में स्थापित गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र को गिद्ध देखभाल केंद्र के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि सरकार ने गिद्धों के प्रजनन और संरक्षण के लिए डाइक्लोफेनेक दवा के बजाय मैलोक्लाइजिंगकेम के उपयोग को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया था। पर्यावरण की स्वच्छता के अलावा किसानों के लिए भी गिद्धों का अस्तित्व बेहद जरूरी माना गया है ताकि मरे हुए पशु-पक्षियों के मांस का निस्तारण गिद्धों के मार्फत अच्छे से किया जा सके।

मध्यप्रदेश देश मे सबसे अधिक गिद्धों वाला राज्य:
मध्यप्रदेश ने गिद्ध संरक्षण में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। आगामी 2024-25 की गणना में गिद्धों की संख्या बढ़कर 12,000 से अधिक होने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री डाक्टर मोहन यादव ने एक्स पर पोस्ट कर इस बात की पुष्टि की कि राज्य में गिद्धों की संख्या वर्तमान में 11,233 तक पहुँच चुकी है, जो कि एक सकारात्मक संकेत है। उन्होंने यह भी कहा कि मध्यप्रदेश विभिन्न विलुप्त होती प्रजातियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है। राज्य में बाघ, चीता और तेंदुआ जैसी जीव-जंतुओं की सुरक्षा को लेकर भी ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। जैव विविधता संरक्षण की दिशा में यह प्रयास न केवल गिद्धों के लिए, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। मध्यप्रदेश की यह उपलब्धि निश्चित रूप से मिसाल बनेगी।

जिले पांच गिद्ध मिले:
पिछले साल गणना से ज्यादा गिद्ध इस बार मिले है वही पिछले साल 2 थे तो इसबार 5 गिद्धों की गणना की गई है। तीन चली गाणना में मांडू रेंज में 2 ओर धार रेंज के चाकलिया बीट में 3 मिस्र गिद्ध देखे गए।
अशोक कुमार सौलंकी डीएफओ धार

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