इंदौरधर्म-ज्योतिष

धनार्जन की तरह अपनी तिजोरी में सत्य, सत्संग और सेवा के संस्कारों की पूंजी जोड़ने का पुरुषार्थ भी करें – प.पू. उत्तम स्वामी

नवलखा अग्रवाल संगठन द्वारा आनंद नगर में चल रहे रामकथा महोत्सव में उमड़ रहा भक्तों का सैलाब-

धनार्जन की तरह अपनी तिजोरी में सत्य, सत्संग और सेवा के संस्कारों की पूंजी जोड़ने का पुरुषार्थ भी करें – प.पू. उत्तम स्वामी 

नवलखा अग्रवाल संगठन द्वारा आनंद नगर में चल रहे रामकथा महोत्सव में उमड़ रहा भक्तों का सैलाब-

आज अहिल्या माता गौशाला पर सेवा कार्य

इंदौर। अपने जीवन में हम दिन-रात परिश्रम कर अनेक तरीकों से धनार्जन में तो लगे रहते हैं, लेकिन जीवन की धन्यता और अधिक बढ़ जाएगी, जब हम अपनी तिजोरी में सत्य, सत्संग और सेवा के संस्कारों की पूंजी जोड़ने का पुरुषार्थ भी करेंगे। वस्तु प्रधान सुख कुछ क्षणों का होता है, लेकिन ईश्वर के सुमिरन से मिलने वाला सुख स्थायी होता है। जब तक हम स्वयं को अपने आराध्य की भक्ति से नहीं जोड़ेंगे, तब तक जीवन में कुछ न कुछ रिक्तता बनी रहेगी। जीवन की आपाधापी के बीच थोड़ी सी गुंजाईश परमात्मा की सेवा के लिए भी जरूर रखें। हमारी इंद्रियां जितना अधिक ईश्वर का चिंतन करेंगी, हमारे आनंद में उतनी अधिक वृद्धि होती रहेगी। समाज में विषाद और संताप का जहर घोलने वालों के लिए कोई जगह नहीं होना चाहिए। कैकेई और मंथरा जैसे पात्र हर युग में परिवार और समाज में मौजूद रहते हैं, जिनसे सतर्क रहने की जरूरत है।
कथा शुभारंभ के पूर्व जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट , विधायक गोलू शुक्ला, पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता, कमलेश खंडेलवाल, हरि अग्रवाल, अशोक गोयल, दीपक जैन टीनू, मनोज वर्मा, गोपाल गोयल, अतुल चायवाले, बालमुकुंद अग्रवाल, राजेश बंसल, गुरू भक्त मंडल के ओम सिलावट,  धनंजय शर्मा, आसिफ शाह, विवेक निगम, गौरव अग्रवाल, संगठन के अध्यक्ष महेश अग्रवाल, प.पू. उत्तम स्वामी के संसारी जीवन के बड़े भाई अनिल सनाप ने भी व्यासपीठ का पूजन किया।

संयोजक संदीप गोयल आटो ने बताया कि रविवार, 20 अप्रैल को सुबह 10 बजे संतश्री के सानिध्य में केशरबाग रोड स्थित अहिल्या माता गौ शाला पर गुरू भक्त मंडल एवं नवलखा अग्रवाल संगठन की मेजबानी में गौ सेवा का कार्य होगा
प्रख्यात मानस मनीषी महामंडलेश्वर प.पू. उत्तम स्वामी महाराज ने कहा कि किसी की जिंदगी बचाने के लिए बोला गया झूठ पाप की श्रेणी में नहीं आता। कसाई से यदि गाय को बचाने के लिए झूठ बोला जाए तो वह पाप नहीं, पुण्य होगा। समाज में आज भी विषाद और संताप का जहर घोलने वाले मौजूद हैं। अयोध्या में यदि कैकेई और  मंथरा राम को वनवास भेजकर रघुकुल में संताप की शुरुआत की तो आज उनका कहीं नाम नहीं है। ऐसे लोगों के लिए कहीं जगह नहीं होना चाहिए।  घर को शांति और सुख का सबसे बड़ा आश्रय माना जाता है, लेकिन यदि वहां भी व्यक्ति को चैन नहीं मिले तो कहां जाएंगे। जिनके हृदय में सत्य, सेवा, समर्पण और साधना निरंतर बने रहते हैं, उनकी बुद्धि को भ्रमित करने से सरस्वती भी इंकार कर देती है। रामचरित मानस की रामकथा इतनी अदभुत और अनुपम है कि विश्व में और कोई कथा नहीं मिलती। एक बार राम का उल्टा नाम बोल देने पर वाल्मिकी डाकू से संत बन गए, लेकिन चिंतन करें कि हम हजारों बार रोज राम नाम जपने के बाद भी खुद को क्यों नहीं बदल पा रहे हैं।

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