इंदौरमध्यप्रदेश

धर्म से मिलती है चैतन्यता ,धर्म वहीं रहेगा,जहां सेवा-परमार्थ का भाव हो

रेडिसन चौराहा स्थित दिव्य शक्तिपीठ पर सात दिवसीय ज्ञान यज्ञ में स्वामी लोकेशानंद के आशीर्वचन

इंदौर। वर्तमान युग धर्म जागरण का है। धर्म से समाज को चैतन्यता मिलती है। धर्म वहीं रहेगा, जहां सेवा और परमार्थ का भाव होगा । सनातनी संस्कृति परंपराओं और मर्यादाओं से जुड़ी हुई है। भगवान का अवतरण जीवमात्र के कल्याण और उद्धार के लिए ही होता है। परमात्मा के साथ प्रकृति भी पूजनीय है। प्रकृति के साथ खिलवाड़ के नतीजे हमें ही नहीं, आने वाली पीढियों को भी भोगना पड़ सकते हैं। यदि गंगा में स्नान से हमारे पापों का नाश होता है, तो उस गंगा को प्रदूषित करना भी पाप कर्म ही है। यदि हमने पवित्र नदियों को नालों बदल दिया तो हमारे पाप कहां धुलेंगे ?
श्रीनारायण भक्ति पंथ के प्रमुख स्वामी लोकेशानंद महाराज के एमआर-10, रेडिसन चौराहा स्थित दिव्य शक्तिपीठ के सभागृह में आयोजित भागवत ज्ञान यज्ञ में व्यक्त किए।

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