विविध

जीवन में सुख और दुख कर्मों के परिणाम होते हैं- पं. कृष्णकांत शास्त्री

कैलाशजी के भजनों पर झूम उठी मातृशक्तियां

युवाओं को नशा मुक्ति का दिया संदेश, हजारों भक्त प्रतिदिन कर रहे कथा का रसपान, प्रतिदिन अलग-अलग व्यंजनों का लग रहा महाभोग

इन्दौर ।भगवान ना तो किसी को दुख देते हैं और ना सुख। मनुष्य के जीवन में आने वाले दुख व सुख उसके स्वंय के कर्मों के ही परिणाम होते हैं। जिस प्रकार आग का कार्य केवल जलाना होता है उसी प्रकार भगवान का कार्य अपने भक्तों को बचाना होता है। उक्त बात पालदा पवनपुरी स्थित दुर्गा नगर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन वृंदावन के कथावाचक पंडि़त कृष्णकांत शास्त्री ने सभी भक्तों को कथा का रसपान करवाते हुए कही। उन्होंने आगे कथा में सभी को कहा कि दृष्टांत के माध्यम से समझाया कि जिस प्रकार जलने के बाद उसका निशान रह जाता है और वह कभी नहीं मिटता है। उसी प्रकार जिसे एक बार भगवान की भक्ति का रंग चढ़ जाता है फिर वह कभी नहीं मिटता है। प्रेम के जीवन का सूत्र ही भगवान होता है। जिस व्यक्ति के जीवन में प्रेम है उसी का जीवन इस युग में सफल है। उन्होंने गुरू की महिमा बताते हुए कहा कि जिसके जीवन में कोई गुरू नहीं होता उस व्यक्ति के द्वारा किया गया हर कार्य निष्फल होता है। हमें जीवन में गुरू अवश्य बनाना चाहिए गुरू ही मनुष्य को भक्ति का मार्ग बताता है। कथा शुभारंभ से पूर्व व्यासपीठ का पूजन पार्षद मनीष-सपना शर्मा (मामा) एवं भक्तों द्वारा किया गया। कथा के तीसरे दिन नशा मुक्ति का संदेश भी दिया गया। सोमवार को भागवत कथा में कैलाश विजयवर्गीय, आकाश विजयवर्गीय, सपना सोनम विजयवर्गीय,आयुष शर्मा, परी शर्मा सहित हजारों की संख्या में मातृशक्तियां उपस्थित थी।

कैलाश जी ने भजनों से बांधा समा- पालदा दुर्गा नगर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में सोमवार को बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी कथा का श्रवण करने पहुंचे। इस अवसर पर उन्होंने भक्ति से सराबोर होकर भजन भी गाया। छोटी-छोटी गय्या भजन जैसे ही उन्होंने गाना शुरू किया वैसे ही समूचे पांडाल में उपस्थित मातृशक्तियां झूमते हुए नजर आई।

महाप्रसादी में प्रतिदिन अलग-अलग व्यंजन- कथा स्थल पर जहां एक ओर भक्त कथा का रसपान कर रहे हैं तो वहीं शाम को आरती के पश्चात श्रद्धालुओं के लिए भोजन की व्यवस्था भी की गई है। जिसमें प्रतिदिन अलग-अलग महाप्रसादी तैयार की जा रही है। प्रतिदिन 5000 हजार से ज्यादा लोग भोजन प्रसादी कथा स्थल पर ही ग्रहण कर रहे हैं।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button