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उज्जैन: नागपंचमी पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, नागचंद्रेश्वर मंदिर में 2 लाख भक्तों ने किए दर्शन

उज्जैन के महाकाल मंदिर में नागचंद्रेश्वर के साल में एक बार खुलते पट, 2 लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन, सेंधवा के नांगलवाड़ी में भी 50 हजार से अधिक श्रद्धालु पहुंचे।

उज्जैन। सत्याग्रह लाइव। नागपंचमी पर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट 24 घंटे के लिए खोले गए, जहां अब तक 2 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। सुरक्षा और व्यवस्था के लिए भारी इंतजाम किए गए।


नागपंचमी के पावन अवसर पर उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट रविवार रात 12 बजे श्रद्धालुओं के लिए खोले गए। महानिर्वाणी अखाड़ा के महंत विनीत गिरी महाराज ने त्रिकाल पूजन किया, जिसके बाद भक्तों के दर्शन प्रारंभ हुए। सुबह 10 बजे तक ही 2 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके थे। बारिश के बावजूद गेट नंबर 4 पर लगभग 2 किलोमीटर लंबी कतार देखी गई।

सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद

भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने विशेष प्रबंध किए। कुल 200 वरिष्ठ अधिकारी, 2,500 कर्मचारी, 1,800 पुलिसकर्मी और 560 सीसीटीवी कैमरों की मदद से सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता किया गया। मंदिर के पट हर वर्ष केवल नागपंचमी के दिन 24 घंटे के लिए खोले जाते हैं। दोपहर 12 बजे महानिर्वाणी अखाड़ा द्वारा विशेष पूजन किया जाएगा, जबकि रात 12 बजे अंतिम पूजा के बाद मंदिर के कपाट अगले वर्ष के लिए बंद कर दिए जाएंगे।

नागचंद्रेश्वर की अद्भुत प्रतिमा

उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर की प्रतिमा 11वीं शताब्दी की मानी जाती है। इस प्रतिमा में शिव और पार्वती, फन फैलाए सप्तमुखी नाग पर विराजमान हैं। शिव के गले और भुजाओं में नाग लिपटे हुए हैं। पास ही नंदी और सिंह की प्रतिमाएं भी मौजूद हैं।

महाकाल मंदिर की संरचना तीन खंडों में है—महाकालेश्वर गर्भगृह, ओंकारेश्वर मंदिर और शीर्ष पर नागचंद्रेश्वर मंदिर। इतिहासकारों के अनुसार, इसका निर्माण परमार वंश के राजा बोजराजा ने 1050 ईस्वी में करवाया था। 1732 ईस्वी में राणोजी सिंधिया द्वारा इसका जीर्णोद्धार किया गया था।


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