कर्म सत्ता के आगे कर्मों का हिसाब देना ही होगा- आदर्शरत्न सागर मसा
मन, वचन और काया से किए कार्यों का प्रभाव मनुष्य के जीवन पर अवश्य पड़ता है
इंदौर से विनोद गोयल की रिपोर्ट:—–
इंदौर । मन, वचन और काया से किए कार्यों का प्रभाव मनुष्य के जीवन पर अवश्य पड़ता है। अच्छे कार्यों का अच्छा और बुरे कर्मों का बुरा ही प्रभाव पड़ता है। संसार की सुख सुविधाओं का आनंद तो हम ले सकते हैँ लेकिन वह अधिक समय तक साथ नहीं रहता। वह कार्य जिससे मन प्रसन्न हो ऐसा कार्य ही हमें सच्चा सुख व आनंद देता है। स्व का आनंद ही अदभुत होता है। यह बात मंगलवार को कंचनबाग स्थित नीलवर्णा पाश्र्वनाथ मंदिर के अवलोकन के बाद जैन संत आदर्शरत्न सागर जी महाराज ने कही। उन्होंने सभी श्रावक-श्राविकाओं को प्रवचनों की अमृत वर्षा करते हुए कहा कि आनंद पर पदार्थ का नहीं स्व का आनंद होता है। संसार का आनंद क्षणिक होता है लेकिन मन का या स्व का आनंद स्थायी होता है। हमारे मन के भाव भी हमारे लिए शुभ अशुभ परिणाम को निर्धारित करते हैं। हमारा चिंतन बीज के समान होता है जैसा हमारा चिंतन होगा वैसा ही फल हमें प्राप्त होता है। इस अवसर पर जैन मुनि अक्षत रत्न सागर जी ने सम्बोधित करते कहा कि वन में वृक्ष होते हुए भी हमें डर लगता है तो उपवन में में लगे पेड़ हमें सुख व शांति प्रदान करते है क्योंकि उन्हें माली द्वारा संवारा जाता है। जीवन वन जैसा बनाएं या उपवन जैसा यह आप ही निर्भर रहता है।
श्री नीलवर्णा पाश्र्वनाथ जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक ट्रस्ट अध्यक्ष विजय मेहता ने बताया कि इसके पूर्व सुबह के सत्र में सभी समाज बंधुओं की मौजूदगी में नवकारसी की गई। वहीं इसके पश्चात आचार्यश्री का भव्य मंगल जुलूस निकाला गया। मंगल जुलूस के दौरान सभी भक्तों ने गुरूवर की अगवानी की। आचार्यश्री द्वारा नवनिर्मित मंदिर का अवलोकन भी किया। वहीं इस अवसर पर ट्रस्ट पदाधिकारियों ने आचार्यश्री को कांबली भी ओढ़ाई। कार्यक्रम में सांसद शंकर लालवानी, विधायक आकाश विजयवर्गीय सहित बड़ी संख्या में समाज बंधु शामिल हुए थे।