इंदौर

पधारो म्हारे देश: इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 की भव्य शुरुआत, पहले दिन सजी लोक संगीत, साहित्य और विचारों की चौपाल

फिल्मों के नायक असली समाज से कोसों दूर, देश में ऐसे नायक हों जो समाज को प्रेरित करें- विवेक रंजन अग्निहोत्री

पधारो म्हारे देश: इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 की भव्य शुरुआत, पहले दिन सजी लोक संगीत, साहित्य और विचारों की चौपाल

दुनिया के 150 से अधिक देशों में हिंदी बोली जा रही है, हमें अपने इतिहास, संस्कृति को सहेजने की बहुत जरूरत- विनय सहस्त्रबुद्धे

फिल्मों के नायक असली समाज से कोसों दूर, देश में ऐसे नायक हों जो समाज को प्रेरित करें- विवेक रंजन अग्निहोत्री

इंदौर, । इंदौर लिटरेचर फ़ेस्टिवल 2025 के 11वें सीजन के पहले दिन डेली कॉलेज परिसर साहित्य, कला और संस्कृति के रंगों से सराबोर दिखाई दिया। कार्यक्रम की शुरुआत माजिद खान और उनकी टीम द्वारा प्रस्तुत राजस्थानी लोक गीतों से हुई, जहाँ उन्होंने “पधारो म्हारे देश” गाकर मेहमानों का गर्मजोशी से स्वागत किया। इसके तुरंत बाद डेली कॉलेज के विद्यार्थियों ने मनमोहक शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुति दी, जिसने उद्घाटन समारोह के माहौल को और अधिक सांस्कृतिक और भव्य बना दिया।उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि विवेक रंजन, विनय सहस्त्रबुद्धे, शहर के गणमान्य व्यक्तित्व और बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे। आयोजक प्रवीण शर्मा द्वारा सभी मेहमानों का स्वागत किया गया और कार्यक्रम को औपचारिक शुरुआत दी।

अपने स्वागत भाषण में श्री प्रवीण शर्मा ने कहा, “इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल के 11वें सीजन में आप सभी का स्वागत है। लगातार एक दशक से हम इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं, इसमें हमारे सभी साथीगण और टीम का आभार व्यक्त करता हूं। सभी अतिथियों का अभिनंदन करता हूं जिन्होंने हमारा आमंत्रण स्वीकार किया। इस आयोजन का उद्देश्य है कि साहित्य, कला, संगीत को समाज के उन तबकों को पहुंचा सकें जहां इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।”

लेखक, विचारक और प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ विनय सहस्त्रबुद्धे ने साहित्य, भारतीय लोकचेतना और समसामयिक मुद्दों पर अपने विचार साझा किए, जिसे दर्शकों ने उत्सुकता से सुना। उन्होंने सौम्य संपदा यानि सॉफ्ट पॉवर पर चर्चा करते हुए बताया, “भारत के इतिहास से ही विभिन्न राष्ट्र से संबंध रहे हैं, यही कारण है कि आज भी भारत पूरे विश्व से सकारात्मक रूप से जुड़ा हुआ है। दुनिया के 150 से अधिक देशों में हिंदी बोली जा रही है, हमें अपने इतिहास, संस्कृति को सहेजने की बहुत जरूरत है, देश विदेश में हमारे साहित्य को पढ़ाया जा रहा है। इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल को शुभकामनाएं, वे इसे सहेज रहे हैं।”

द कश्मीर फाइल्स जैसी चर्चित फिल्मों के लिए प्रसिद्ध डॉ. विवेक रंजन अग्निहोत्री ने “सिनेमा और इतिहास” विषय पर गहन और प्रेरक चर्चा की। उन्होंने फिल्मों के सामाजिक प्रभाव, सिनेमा की ज़िम्मेदारी और नई पीढ़ी की कथावाचन शैली पर प्रभावशाली दृष्टिकोण साझा किए। भारतीय फिल्म इंडस्ट्री पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, “कहा जाता है सिनेमा समाज का आईना होता है, जो समाज में होता है वही सिनेमा में दिखाया जाता है लेकिन ये सिनेमा की भी जिम्मेदारी है कि वो सच परोसें, लेकिन हम लोगों ने इसे केवल मनोरंजन का साधन बना लिया है जो गलत नहीं है लेकिन अधूरा है। हमें जरूरत है कि सच को सच की तरह लोगों को बताया जाए। देश को आगे बढ़ाने के लिए दो तरीके हैं पहला तो देश में ऐसे नायक हों जो समाज को प्रेरित करें और दूसरा कि जो लोगों की, देश की कहानियों को सही ढंग से दिखाया जाए। आज के फिल्मों के नायक असली समाज से कोसों दूर है, जिसे हमें बदलना होगा। इसके लिए हमें साहित्य, कला और संस्कृति से रूबरू होना पड़ेगा, इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल को बधाईयां और धन्यवाद कि आप युवाओं को साहित्य के करीब ला रहे हैं।”

दिनभर चले अन्य सत्रों में विकसित भारत पर संवाद, समकालीन लेखन, और कला की बदलती दिशा पर भी चर्चा हुई। दिन का समापन शानदार कवि सम्मेलन से हुआ, जिसमें सोनरूपा विशाल, रामायणधर चतुर्वेदी, विवेक चतुर्वेदी और अमन अक्षर ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। हास्य, व्यंग्य, श्रृंगार और राष्ट्रभाव से भरी कविताओं ने पहले दिन को यादगार बना दिया।

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पहला दिन बड़ी संख्या में आए छात्रों, साहित्यप्रेमियों और कला-रसिकों की उपस्थिति के साथ ऊर्जावान और सफल रहा। आयोजन समिति ने कहा कि पहले दिन की यह शानदार शुरुआत आने वाले दो दिनों के लिए उत्साह को और बढ़ा रही है और इंदौर लिटरेचर फ़ेस्टिवल अपनी पहचान के अनुरूप साहित्य का यह पर्व पूरे वैभव के साथ आगे बढ़ेगा।

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