इंदौर

आरएसएस के शताब्दी समारोह के पथ संचलन में विजयवर्गीय परिवार की तीन पीढ़ियां हुई शामिल*

संघ की शाखा में राष्ट्र और व्यक्ति निर्माण की बातें होती है - मंत्री कैलाश विजयवर्गीय*

*आरएसएस के शताब्दी समारोह के पथ संचलन में विजयवर्गीय परिवार की तीन पीढ़ियां हुई शामिल*

मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, पुत्र आकाश विजयवर्गीय एवं पौत्र काशी व शिवाय के साथ हुए शामिल*

*संघ की शाखा में राष्ट्र और व्यक्ति निर्माण की बातें होती है – मंत्री कैलाश विजयवर्गीय*

*संघ भारत को परमवैभव पर ले जा रहा है- आकाश विजयवर्गीय*

इंदौर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस के सौ वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर जिला बद्रीनाथ, विश्वकर्मा नगर से विशाल पथ संचलन निकाला गया। पथ संचलन में नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, विधायक रमेश मेंदोला और पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय समेत बड़ी संख्या में सीनियर और जूनियर स्वयं सेवको ने भाग लिया। इस अवसर पर बोलते हुए मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को तुष्टिकरण, वोटबैंक से कोई मतलब नहीं है उनको राष्ट्र भक्ति और राष्ट्र प्रथम के साथ चलना है। पथ संचलन में विजयवर्गीय परिवार की तीन पीढ़ियां एकसाथ कदमताल करती हुई नजर आई।

*संघ राष्ट्र निर्माण का संदेश देता है*

मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि इस देश को यदि कोई बचा सकता है तो केवल राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ बचा सकता है। संघ को ना कुर्सी चाहिए ना कोई राजनीतिक लाभ लेना है। राष्ट्र मजबूत हो यही संघ का उद्देश है। इसलिए संघ व्यक्ति, समाज और राष्ट्र निर्माण की बात करता हैं। संघ की शाखा में राष्ट्र और व्यक्ति निर्माण की बातें होती है। एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होने कहा कि आरएसएस सौ वर्षों की तपस्या का फल है उसके पीछे तीन पीढ़ियां खप गई है। वर्तमान में संघ की गणवेश पहनने वाला गौरवान्वित महसूस करता है। वह देश का समर्पित कार्यकर्ता समझता है। संघ की गणवेश देश के लिए जीने मरने का संदेश देती है राष्ट्र निर्माण के लिए पीढ़ियां लगती है और संघ ने स्वयं को इसके लिए तैयार किया है संघ की स्थापना के समय हेडगेवारजी ने कहा था कि यह एक दिन का काम नहीं वर्षों का काम है।

संघ देश की एकता एवं अखंडता के लिए कार्य करता है*

आकाश विजयवर्गीय ने एक शेर के माध्यम से अपनी बात रखते हुए कहा कि यूनान, मिस्त्र, रोम सभी मिट गए जहां से, लेकिन अब तक बाकी है नामोनिशां हमारा, कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौरे जमां हमारा।

यूनान, मिस्त्र, रोम सभी की अलग-अलग सभ्यताएं थी, लेकिन इस्लाम और ईसाई धर्म ने इन सभ्यताओं को नष्ट कर दिया, लेकिन सनातन संस्कृति ने हमलावरों के कई हमले झेलने के बाद भी अपना अस्तित्व बनाए रखा हैं। शिवाजी, महाराणा प्रताप जैसे महापुरूषों ने राष्ट्र की रक्षा की, वर्तमान में देश की एकता, अखंडता के लिए जो सबसे अच्छा कार्य कर रहा है वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ है। इस बात को देशवासी भलीभांति समझ रहे हैं इसलिए आज आगे बढ़कर बड़ी संख्या में लोग पथ संचलन में शामिल हुए हैं।

पथ संचलन में हजारों की संख्या में स्वयंसेवकों ने भाग लिया

पथ संचलन के मार्ग में स्वामी विवेकानंद, भारतमाता, रानी लक्ष्मीबाई, देवी अहिल्या बाई, नेताजी सुभाष चंद बोस, शहीद राजगुरु, शहीद चंद्रशेखर आजाद, महाराणा प्रताप, शिवाजी महाराज और भारतीय सैनिक की वेशभूषा धारण कर बच्चे-युवा स्वागत में खड़े हुए थे।

संचलन का जगह-जगह पर मंच लगा कर बड़ी संख्या में लोगों ने भव्य स्वागत किया।

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