इंदौर

मध्यप्रदेश में अल्ट्राटेक का कम्युनिटी वाटरशेड प्रोजेक्ट: बायो डाइवर्सिटी को संजीवनी और ग्रामीण आजीविका को नई रफ्तार

मध्यप्रदेश में अल्ट्राटेक का कम्युनिटी वाटरशेड प्रोजेक्ट: बायो डाइवर्सिटी को संजीवनी और ग्रामीण आजीविका को नई रफ्तार

*मध्यप्रदेश में अल्ट्राटेक का कम्युनिटी वाटरशेड प्रोजेक्ट: बायो डाइवर्सिटी को संजीवनी और ग्रामीण आजीविका को नई रफ्तार*

*इंदौर,। भारत की सबसे बड़ी सीमेंट और रेडी-मिक्स कंक्रीट (RMC) कंपनी, अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड ने मध्यप्रदेश के नीमच स्थित अपनी इंटीग्रेटेड सीमेंट मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट विक्रम सीमेंट वर्क्स द्वारा चलाए जा रहे कम्युनिटी वाटरशेड डेवलपमेंट प्रोग्राम से जैव विविधता के उत्साहजनक और आजीविका से जुड़े सकारात्मक परिणाम सामने आने की जानकारी दी है।

नीमच ज़िले के चिताखेड़ा क्षेत्र में कराए गई एक बायो डाइवर्सिटी स्टडी से पता चला कि अल्ट्राटेक के वाटरशेड डेवलपमेंट प्रोग्राम के चलते क्षेत्र में पर्यावरण में सुधार उल्लेखनीय रूप से बढ़े हैं। जल उपलब्धता बढ़ने से हरियाली में वृद्धि हुई है, वनस्पति फली-फूली है और बीते वर्षों के बाद अब यहाँ रेड वॉटल लैपविंग, ग्रे फ्रैंकोलिन और व्हाइट-थ्रोटेड किंगफिशर जैसी 20 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ देखी गई हैं। एनिकट से बनाए गए जलाशय अब नीलगाय, पाम गिलहरी, गोल्डन सियार और जंगली बिल्ली जैसे जीवों के लिए आश्रयस्थल बन चुके हैं। पानी में उगने वाली और नमी पसंद करने वाली वनस्पतियाँ भी दोबारा पनपी हैं, जिससे क्षेत्र में नमी का स्तर बेहतर हुआ है। वहीं, चेनपुरा का मगरा वन क्षेत्र को समाज की भागीदारी से संरक्षित किया गया है, जहाँ बीते पाँच वर्षों से न जंगल में आग लगी है, न ही पेड़ों की अवैध कटाई हुई है।

यह प्रोजेक्ट वर्ष 2010 में ‘कैपेसिटी बिल्डिंग फेज़’ के साथ शुरू हुआ, जिसमें जागरूकता अभियान, सामुदायिक भागीदारी, वाटरशेड कमेटियों का गठन और प्रशिक्षण जैसे कार्य शामिल थे। यह फेज़ दो वर्षों तक चला और सामुदायिक समर्थन ने इस प्रोजेक्ट को साकार करने में अहम भूमिका निभाई।

इस प्रोजेक्ट को अल्ट्राटेक द्वारा भारत सरकार की ‘वाटरशेड मैनेजमेंट स्कीम’ के अंतर्गत मध्यप्रदेश सरकार के साथ पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल में लागू किया गया। अल्ट्राटेक इस योजना में नॉलेज पार्टनर और इम्प्लिमेंटिंग पार्टनर दोनों के रूप में शामिल रहा, साथ ही कुल लागत का लगभग 10% व्यय भी कंपनी ने वहन किया। वर्ष 2012 में वाटरशेड सम्बंधी निर्माण कार्य शुरू हुए, जिसके अंतर्गत पाँच गांवों चेनपुरा, पिपल्या जागीर, कंनपुरा, धमनिया जागीर और घसुंडी जागीर में 67 वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर, जिनमें 65 चेक डैम, 2 फार्म पोंड और कई हेक्टेयर में कंटूर ट्रेंच बनाई गई।

इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य जल संकट और गिरते भूजल स्तर जैसी गंभीर समस्याओं को हल करना था, जिससे जुड़े अन्य मुद्दे जैसे—वन कटाई, मृदा क्षरण और आजीविका के अवसरों का नुकसान भी पैदा हो रहे थे, जिससे स्थानीय लोग वर्षा आधारित खेती पर निर्भर होते जा रहे थे।

जेव-विविधता को बढ़ावा मिलने के साथ ही इस प्रोजेक्ट के द्वारा, कृषि और ग्रामीण आजीविका पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। मिट्टी की उर्वरता और जल धारण क्षमता में सुधार से किसान अब रबी और उच्च मूल्य वाली फसलें जैसे चिया, लहसुन, गेहूं, सरसों, मेथी और अजवाइन उगा पा रहे हैं। चेक डैम्स की मदद से मानसून के बाद भी तीन महीने तक जल संरक्षित रह पाता है, जिससे फसलों और वन्यजीवों दोनों को लाभ होता है। टिकाऊ कृषि तकनीकों का सामुदायिक प्रशिक्षण मिलने से जंगलों पर निर्भरता घटी है और कंसर्वेशन व प्रोडक्टिविटी का एक स्व-संचालित चक्र बना है।

स्थानीय समुदाय की भागीदारी प्रोजेक्ट की शुरुआत से ही केंद्र में रही है—चाहे वह योजना हो, निर्माण हो या रखरखाव। शुरुआती वर्ष 2010 से ही इस प्रोजेक्ट की प्रतिभागिता ने एक सुदृढ़ सामुदायिक प्रमुख को बढ़ावा दिया है, जिससे की दीर्घ कालीन स्थायित्व प्राप्त हुआ है। 2019 से इन पाँच गांवों के निवासियों ने प्रोजेक्ट का पूरा स्वामित्व स्वयं ले लिया है और अल्ट्राटेक आवश्यकता अनुसार सहयोग देता रहा है। वन अधिकारियों और स्थानीय निवासियों ने इन गांवों में इकोलॉजिकल बैलेंस में बेहतरी और जीवन गुणवत्ता में बढ़ोतरी दर्ज की है।

*विक्रम सीमेंट वर्क्स, अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड के यूनिट हेड  अवासा मिश्रा ने कहा* -“नीमच ज़िले के कुछ हिस्सों में जल संकट एक पुरानी समस्या रही है और एक ज़िम्मेदार कंपनी के रूप में अल्ट्राटेक स्थानीय लोगों के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह देखकर संतोष होता है कि वाटरशेड प्रोजेक्ट सम्बन्धी वर्षों की मेहनत रंग लाई है और यह प्रयास न केवल कम्युनिटी वेलबीइंग, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन को भी बढ़ावा दे रहा है विशेषकर जब क्षेत्र में देशी वनस्पतियों और जीवों की वापसी दिख रही है।”

यह पहल अल्ट्राटेक की बायो डाइवर्सिटी पॉलिसी और 2050 तक “नो नेट लॉस” की प्रतिबद्धता के अनुरूप है। कंपनी जल को साझा संसाधन मानती है जो पारिस्थितिकी और समुदाय दोनों के लिए आवश्यक है। वित्त वर्ष 2025 तक अल्ट्राटेक ने 120 मिलियन क्यूबिक मीटर से अधिक जल संरक्षण किया है और 4.9 गुना जल पॉजिटिव बन चुकी है, जिसमें ऐसे कम्युनिटी-नेतृत्व वाले वाटरशेड प्रोग्रामों की अहम भूमिका रही है।

यह पहल अल्ट्राटेक की सतत विकास की एकीकृत रणनीति को मजबूती देती है, जहाँ पर्यावरणीय संरक्षण, जल सुरक्षा और आजीविका विकास साथ-साथ चलते हैं और समाज पर दीर्घकालिक, सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

अल्ट्राटेक अपने सभी सोशल प्रोग्राम्स को ‘आदित्य बिरला सेंटर फॉर कम्युनिटी इनिशिएटिव्स एंड रूरल डेवलपमेंट’ के तहत संचालित करता है, जिसकी अध्यक्षता श्रीमती राजश्री बिरला करती हैं। अल्ट्राटेक का सीएसआर फोकस शिक्षा, स्वास्थ्य, सतत आजीविका, कम्युनिटी इंफ्रास्ट्रक्चर और सामाजिक कार्यों पर केंद्रित है। अल्ट्राटेक देश के 16 राज्यों के 500 से अधिक गांवों में 18 लाख से अधिक लाभार्थियों तक अपनी पहुंच बना चुका है।

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