इंदौर

संसाधनों ने समाजसेवा के स्वरूप को बहुत कुछ बदल डाला, फिर भी समर्पित सेवाभावना कायम है

श्रद्धा सुमन सेवा समिति के तत्वावधान में समाजसेवी स्व. मोहनलाल सोनी के प्रथम पुण्य स्मरण पर परिसंवाद

श्रद्धा सुमन सेवा समिति, इंदौर

संसाधनों ने समाजसेवा के स्वरूप को बहुत कुछ बदल डाला, फिर भी समर्पित सेवाभावना कायम है

श्रद्धा सुमन सेवा समिति के तत्वावधान में समाजसेवी स्व. मोहनलाल सोनी के प्रथम पुण्य स्मरण पर परिसंवाद

इंदौर, । पचास के दशक में न तो सोशल मीडिया था और न ही कम्प्यूटर और अत्याधुनिक कैमरे । तब समाजसेवा का स्वरूप बहुत अलग भी था और मेहनत और समय भी ज्यादा मांगता था। वातानुकूलित कमरों या वाहनों से अलग हटकर उस समय के समाजसेवी साइकिल पर या पैदल चलकर अपने कार्यक्रम स्थलों तक पहुंचते थे। एक-दूसरे के सुख-दुख में आत्मीयता के साथ भागीदार बनते थे और प्रचार-प्रसार से दूर रहकर कई बड़े-बड़े और सेवा के अनूठे काम कर जाते थे। अब वक्त बदल गया है। संसाधनों ने सेवा के स्वरूप को अर्थ से जोड़ दिया है। डिग्रियां और समाजसेवा के क्षेत्र में उपाधियां बिकने लगी हैं। जितना अधिक पैसा देंगे, उतना बड़ा सम्मान मिल जाएगा। इसके बावजूद आज भी ऐसे समर्पित लोग हमारे बीच हैं, जो दूसरों की आंखों के आंसू पोंछने में ही अपने जीवन को सार्थक मानते हैं। समर्पित सेवा भावना आज भी कायम है। अनेक संस्थाएं भी ऐसी हैं, जो बिना किसी स्वार्थ के समाज के अनछुए और पीड़ित मानवता से जुड़े पहलुओं से जुड़कर सेवा के लक्ष्य को सार्थक बना रही है।

ये कुछ विचार हैं, जो बिजासन रोड स्थित अखंड धाम आश्रम पर श्रद्धा सुमन सेवा समिति द्वारा ‘समाजसेवा का स्वरूप – कल और आज’ विषय पर आयोजित परिसंवाद में विभिन्न वक्ताओं ने व्यक्त किए। समिति के संस्थापक ब्रह्मलीन मोहनलाल सोनी के प्रथम पुण्य प्रसंग के उपलक्ष्य में श्रद्धा सुमन सेवा समिति ने यह दिलचस्प आयोजन रखा था। इस मौके पर सांसद शंकर लालवानी के मुख्य आतिथ्य एवं हंसदास मठ के महामंडलेश्वर श्रीमहंत रामचरणदास महाराज की अध्यक्षता में अखंड धाम के महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी चेतन स्वरूप, महामंडलेश्वर राधे राधे बाबा, महामंडलेश्वर पवनदास महाराज, विद्याधाम के न्यासी पं. दिनेश शर्मा, भागवताचार्य पं. पुष्पानंदन पवन तिवारी, ज्योतिषाचार्य पं. रामचंद्र शर्मा वैदिक, पं. संतोष भार्गव, पं. राजेन्द्र शास्त्री, खजराना गणेश मंदिर के पुजारी पं. अशोक भट्ट, समाजसेवी विष्णु बिंदल, ठा. विजयसिंह परिहार, साहित्यकार हरेराम वाजपेयी, पत्रकार कीर्ति राणा, चंद्रप्रकाश गुप्ता, अभिभाषक कमल गुप्ता, सांई भक्त पं. महेश शर्मा, संत राजानंद एवं भाजपा नेता जगमोहन वर्मा आदि ने इस परिसंवाद में तब और अब के समाजसेवा के क्षेत्र को दिलचस्प अंदाज में व्यक्त किया और कहा कि सेवा के मायने अब बहुत कुछ बदल गए हैं। स्व. मोहनलाल सोनी जैसे समर्पित समाजसेवी ने ज्ञात-अज्ञात 25 हजार दिवंगतों की अस्थियों को देश की पवित्र नदियों में विधि-विधान से विसर्जित करने का अभियान जीवन पर्यंत चलाया और बिना किसी स्वार्थ के शास्त्रों में वर्णित उस काम को पूरा किया, जिसे दिवंगतों के रिश्तेदारों को करना चाहिए था। सांसद शंकर लालवानी ने भी कहा कि यह महत्वपूर्ण नहीं है कि कितने वर्ष जिएं, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि हमने समाज को क्या दिया है। सोनीजी ऐसे ही बिरले समाजसेवी थे।

प्रारंभ में आयोजन समिति की ओर से अध्यक्ष हरि अग्रवाल, राजेन्द्र सोनी, राजेन्द्र गर्ग, डॉ. चेतन सेठिया, अशोक गोयल, मुरलीधर धामानी, अवलेश सोनी, विजय सोनी, गौरव एवं मनीष सोनी ने अतिथियों का स्वागत किया। मंच पर स्व. सोनी के आदमकद चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। सभी वक्ताओं और संतों ने स्व. सोनी की सेवाओं का उल्लेख करते हुए समाज, शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में उनके योगदान की खुले मन से प्रशंसा की। प्रतिवर्ष श्राद्ध पक्ष में हंसदास मठ पर होने वाले तर्पण महोत्सव के लिए भी समिति के पदाधिकारियों ने संकल्प व्यक्त किया कि उनकी भावनाओं के अनुरूप यह निशुल्क अनुष्ठान जारी रहेगा। श्रद्धा सुमन सेवा समिति की ओर से इस मौके पर स्व. सोनी के सहयोगी और समकालीन साथियों का शाल-श्रीफल भेंटकर सम्मान भी किया गया। संचालन हरि अग्रवाल ने किया और आभार माना राजेन्द्र सोनी ने।

 

 

 

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