बड़वाह; हिन्दू नववर्ष पर नगरवासियों में दिखा उत्साह,ब्राह्मण समाज ने मुख्य चौराहा तो शिक्षक संघ ने जय स्तम्भ चौराहे पर तिलका लगाकर दी नए साल की बधाई

विशाल कुमरावत बड़वाह हिन्दू नववर्ष को लेकर नगर में बेहद उत्साह देखने को मिला।विभिन्न समाज एवं संस्थाओं द्वारा अलग-अलग तरीके से नववर्ष मनाया गया।तो वही नववर्ष पर घरो में गुड़ी स्थापित कर पूजा की गई।सर्व ब्राम्हण महासभा के सदस्यों ने हिंदू नववर्ष के अवसर पर राहगीरों को चन्दन का तिलक लगाकर नए वर्ष की बधाई दी।इस दौरान उन्हें प्रसाद भी वितरित किया गया।सुबह 9 बजे समाजजनो ने मुख्य चौराहे के समीप मंच लगाकर कार्यक्रम का आयोजन किया।शुरुआत में वेदपाठी पंडितो द्वारा विश्व शांति की कामना के लिए नर्मदाष्टक भी किया गया। इस अवसर पर महाराष्ट्रीयन संस्कृति की झलक भी देखने को मिली।पूजन अर्चन कर गुड़ी स्थापित की गई।सर्वब्राह्मण महासभा अध्यक्ष राजेंद्र जोशी,सर्वब्राह्मण युवा वाहिनी अध्यक्ष पीयूष शर्मा सहित अन्य विप्रजन मौजूद रहे।यहां पंडित सुरेंद्र पंड्या,दिलीप शर्मा,राजेंद्र पण्डित,राजा शर्मा सबको नये वर्ष की बधाई दी।भगवान परशुराम की प्रतिमा आकर्षण का केंद्र रही।भगवान के पूजन अर्चन के बाद उपस्थित विप्र जनों ने बाईक सवारों एवं राहगीरों को तिलक लगाकर उन्हें नववर्ष की बधाई दी।सुबह 11 बजे तक यह क्रम चलता रहा।
शिक्षक संघ ने भी तिलका लगाकर दी नववर्ष बधाई दी– मंगलवार को सुबह 7:30 बजे जय स्तंभ चौराहा बड़वाह पर पर नव वर्ष गुड़ी पड़वा मध्य प्रदेश शिक्षक संघ तहसील एवं ब्लॉक इकाई बड़वाह द्वारा जेष्ठ एवं श्रेष्ठ माननीय नागरिकों का तिलक लगाकर एवं मिष्ठान से स्वागत किया गया। शिक्षक संघ के जिला सह सचिव चरणजीत सिँह खन्ना,सुरेश जायसवाल,विजय सिंग चौहान सहित अन्य सदस्यों ने जय स्तम्भ चौराहे पर मजदूरों, वाहन चालको एवं गुजरने वाले लोगो का तिलक लगाकर मुंह मीठा करवाया।
महाराष्ट्रीयन परिवारों में भी मनाया गुड़ी पड़वा पर्व –गुड़ी पड़वा का पर्व महाराष्ट्रीयन परिवारों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।अर्चना सुबोध आरस ने बताया की इस दिन सुबह से ही गुड़ी बनाकर घर के मुख्य द्वार पर लगाई जाती है। गुड़ी सुख समृद्धि एवं वैभव का प्रतीक होती है इसे लगाकर पूजन कर कामना की जाती है कि वर्ष भर पूरे परिवार में सुख शांति एवं समृद्धि बनी रहे। साथ ही घर में विशेष साज-सज्जा कर एक दूसरे को तिलक लगाकर नव वर्ष की शुभकामनाएं दी जाती है एवं श्रीखंड एवं पूरन पोली का भोग भी लगाया जाता है।