श्रीपाल और मैनासुंदरी चरित्र के बिना अधूरी है नवपद ओलीजी की आराधना : धेर्यप्रभा
पोरवाल भवन में नौ दिवसीय नवपद ओलीजी का समापन*

*श्रीपाल और मैनासुंदरी चरित्र के बिना अधूरी है नवपद ओलीजी की आराधना : धेर्यप्रभा
*पोरवाल भवन में नौ दिवसीय नवपद ओलीजी का समापन*
इंदौर। नवपद ओलीजी एक ऐसी तप साधना है जिसमें साधक नौ दिनों तक नौ पदों का स्मरण, आराधना, आयंबिल और धार्मिक क्रियाएं करते हैं। इसका उद्देश्य आत्मशुध्दि, कर्मों की निर्जरा और मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर होना है। नवपद ओलीजी श्रीपाल और मैनासुंदरी के चरित्र के बिना अधूरी है।
ये प्रेरक विचार धर्म शेरनी महासती श्री धैर्यप्रभाजी मसा ने पोरवाल भवन जंगमपुरा के दिवाकर दरबार में व्यक्त किए।
आपने नौ दिनों तक नवपद ओलीजी के विभिन्न सुंदर प्रसंग सुनाकर धर्म सभा को भावविभोर कर दिया।
आपने कहा कि जैन आगमों में नवपद ओलीजी को अत्यंत पुण्यकारी तप माना गया है। इस तप को करने से अनंत गुना पुण्य की प्राप्ति होती है और भव भव के दुख कम होते हैं। इस ओलीजी में राजकुमार श्रीपाल और राजकुमारी मैनासुंदरी के चरित्र का वर्णन मिलता है। मैनासुंदरी के पिताश्री कुष्ठ रोगी श्रीपाल के साथ मैनासुंदरी का विवाह कर देते हैं। विवाह के बाद दोनों श्रध्दापूर्वक नवपद ओलीजी की आराधना करते हैं और शीघ्र ही श्रीपाल का कुष्ठ रोग समाप्त हो जाता है। इसलिए जैन समाज में नवपद ओलीजी की साधना में इनकी कथा अवश्य सुनाई जाती है।
पोरवाल संघ के अध्यक्ष विनोद जैन एवं मंत्री कमल जैन ने बताया कि बड़ी संख्या में समाजजनों ने नवपद ओलीजी की साधना अपनी सामर्थ्य अनुसार करके एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। आपकी साधना को पोरवाल संघ नमन करता हैं। शरद पूर्णिमा के अवसर पर महासतीजी आदि ठाणा के सान्निध्य में रात्रि 8 से 10 बजे तक सिर्फ महिलाओं के लिए जाप रखे गए, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया। दूसरे दिन प्रवचन के बाद खीर प्रसादी वितरित की गई।
प्रचार प्रमुख मुकेश जैन एवं अंकित जैन ने बताया कि महासतीजी के मुखारविंद से उत्तराध्यन सूत्र की वाचनी की जाएगी, जिसमें भगवान महावीर स्वामी की दुर्लभ अंतिम देशना 7 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 22 अक्टूबर तक चलेगी। इसके साथ ही सिद्धि तप की आराधना भी गतिमान हैं। सिद्धि तप आराधकों का पारणा महोत्सव 14 अक्टूबर को होगा। वाचनी और पारणा महोत्सव में परिवार सहित पधारकर अपने जीवन का कल्याण करे ।