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लापरवाही ने ली दो बेगुनाहों की जान पीथमपुर-सागौर में निर्माणाधीन रेलवे ओवरब्रिज पर पलटी क्रेन, पोकलेन और क्रेन की मदद से निकाले शव
ठेकेदार और ड्राइवर पर एफआईआर दर्ज, मुआवजे पर हुआ समझौता

आशीष यादव धार
औद्योगिक नगरी पीथमपुर में गुरुवार सुबह हुए भीषण हादसे ने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया। निर्माणाधीन रेलवे ओवरब्रिज पर कार्यरत एक भारी-भरकम क्रेन अचानक असंतुलित होकर पलट गई और नीचे से गुजर रहे दो वाहनों पर जा गिरी। हादसे में दो युवकों की मौत हो गई, जबकि चार अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हुए। मृतकों की पहचान ग्राम सागौर निवासी कल्याण और अभय पाटीदार के रूप में हुई है। हादसे के बाद क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई। मौके पर पहुंचे लोग मलबे में फंसे घायलों को बचाने में जुट गए। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद पोकलेन और दूसरी क्रेन की मदद से शवों को बाहर निकाला गया।

दलदली मिट्टी में धंसी क्रेन, सड़क पर चलता यातायात बना मौत का कारण:
घटना गुरुवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे सेक्टर-1 स्थित सागौर मस्जिद के पास हुई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, क्रेन से ओवरब्रिज के सीमेंट पिलर को शिफ्ट करने का काम चल रहा था। तभी क्रेन का पिछला हिस्सा दलदली मिट्टी में धंस गया और देखते ही देखते पूरा संतुलन बिगड़ गया। भारी वजन उठाए क्रेन का ऊपरी हिस्सा पलट गया और बगल से गुजर रहे दो पिकअप वाहनों पर गिर पड़ा। दोनों वाहन पूरी तरह चकनाचूर हो गए। मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि निर्माण स्थल पर सड़क दोनों ओर से बंद नहीं की गई थी, जिसके चलते आम लोग उसी मार्ग से आ-जा रहे थे। यह लापरवाही हादसे की गंभीरता का सबसे बड़ा कारण बनी।
मौके पर हड़कंप, बचाव कार्य में जुटे अधिकारी:
हादसे की सूचना मिलते ही धार एसपी मयंक अवस्थी, एडिशनल एसपी पारुल बेलापुरकर, टीआई प्रकाश सरोदे सहित पुलिस बल मौके पर पहुंचा। बचाव दल ने भारी मशीनों की मदद से मलबा हटाया। लगभग एक घंटे के रेस्क्यू के बाद शवों को बाहर निकालकर अस्पताल भेजा गया। इस दौरान पूरे इलाके में सन्नाटा पसर गया और लोगों की भीड़ जमा हो गई। प्रशासन ने तुरंत आसपास का यातायात डायवर्ट किया।

हादसे के बाद उफना आक्रोश, सतनाला चौराहे पर चक्काजाम:
मृतकों के परिजन और स्थानीय लोगों का गुस्सा हादसे के बाद भड़क उठा। दोपहर करीब 2:30 बजे परमार समाज और नगर पालिका अध्यक्ष सुरेश पटेल, पीथमपुर बचाओ समिति के सदस्य डॉ. हेमंत हिरोले, सामाजिक कार्यकर्ता संदीप रघुवंशी और बड़ी संख्या में ग्रामीण सतनाला चौराहे पर पहुंच गए। परिजनों ने मृतकों के शव सड़क पर रखकर मुआवजे और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग करते हुए चक्काजाम कर दिया।
महू-नीमच राजमार्ग पर करीब 8 किलोमीटर लंबा जाम लग गया। 
नारेबाजी के बीच माहौल तनावपूर्ण हो गया। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए नगर पालिका के पानी के टैंकर और आंसू गैस गन तक मौके पर बुलवा ली थी। समझौते से खत्म हुआ प्रदर्शन, 12 लाख की सहायता पर बनी सहमति करीब डेढ़ घंटे तक चले हंगामे के बाद एसडीएम राहुल गुप्ता, टीआई ओमप्रकाश अहीर और अन्य अधिकारियों ने परिजनों से चर्चा की। प्रशासन और परिजनों के बीच हुई बातचीत में मृतकों के परिवार को 12 लाख रुपये की आर्थिक सहायता राशि देने पर सहमति बनी। इसके बाद शाम करीब चार बजे प्रदर्शन खत्म हुआ और परिजन शव लेकर रवाना हो गए। हालांकि, लोगों का गुस्सा अब भी ठंडा नहीं हुआ है। उनका कहना है कि इस लापरवाही का जिम्मेदार केवल ठेकेदार नहीं, बल्कि प्रशासन भी है जिसने निर्माण कार्य के दौरान सुरक्षा इंतजामों की अनदेखी की।

प्रशासन और रेलवे में ठनाव: दोनों ने एक-दूसरे पर डाली जिम्मेदारी:
हादसे के बाद प्रशासन और रेलवे विभाग आमने-सामने आ गए हैं। प्रशासन का दावा है कि ठेकेदार ने निर्माण कार्य के दौरान सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया और सड़क को ब्लॉक किए बिना ही काम जारी रखा। धार एसपी मयंक अवस्थी ने कहा, “यह गंभीर लापरवाही है। सड़क दोनों ओर से बंद नहीं की गई, जिसके चलते आमजन की जान चली गई। ठेकेदार और संबंधित इंजीनियरों की भूमिका की जांच की जा रही है, दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।”
वहीं, रेलवे के पीआरओ खेमराज मीणा ने पलटवार करते हुए कहा, “हमने प्रशासन को कई बार पत्र लिखकर सड़क मार्ग से यातायात रोकने की मांग की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। यदि समय रहते ट्रैफिक डायवर्ट किया जाता, तो यह हादसा नहीं होता।” रेलवे का यह बयान प्रशासनिक समन्वय की कमी को उजागर करता है। ठेकेदार और क्रेन ड्राइवर के खिलाफ मामला दर्ज पुलिस ने प्रारंभिक जांच के बाद ठेकेदार और क्रेन चालक के खिलाफ लापरवाही से मौत का प्रकरण दर्ज कर लिया है। टीआई प्रकाश सरोदे ने बताया कि दोनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304A (लापरवाही से मृत्यु) और 336 (जीवन को संकट में डालने का अपराध) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। मामले की जांच के लिए विशेष टीम गठित की गई है।
तीन साल से लटका निर्माण, कई बार उठ चुकी हैं सुरक्षा को लेकर आवाजें:
जानकारी के अनुसार, सागौर में करीब 500 मीटर लंबे रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण पिछले तीन साल से जारी है। काम की धीमी रफ्तार और सुरक्षा उपायों की कमी को लेकर स्थानीय लोगों ने कई बार शिकायतें की थीं। बावजूद इसके न तो प्रशासन ने ध्यान दिया और न ही ठेकेदार कंपनी ने सुधार किए। क्षेत्रवासियों का कहना है कि इस पुल के आसपास दलदली मिट्टी और संकरी सर्विस रोड है, जहां रोजाना सैकड़ों वाहन गुजरते हैं। ऐसी जगह पर निर्माण के दौरान यातायात नियंत्रित न करना अपने आप में गंभीर लापरवाही है।
राजनीतिक बयानबाजी तेज:
हादसे के बाद प्रदेश की राजनीति भी गरमा गई है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार पर सीधा हमला बोला।
जीतू पटवारी ने कहा, “सरकार मजदूरों और आम जनता की जान की कीमत आंकने लगी है। यह महज प्रशासनिक गलती नहीं, बल्कि मानवता पर प्रहार है। जब तक दोषियों को सजा नहीं मिलती, तब तक यह आवाज थमेगी नहीं।”
वहीं, सिंघार ने ट्वीट कर कहा कि “पीथमपुर में दो निर्दोष युवकों की मौत सरकार की लापरवाही का नतीजा है। मुख्यमंत्री को तुरंत जांच के आदेश देने चाहिए और मृतकों के परिवार को स्थायी मुआवजा मिलना चाहिए।”
			
		 
				 
					
 
						


