हंसदास मठ पर श्रद्धा सुमन सेवा समिति द्वारा आयोजित निशुल्क तर्पण अनुष्ठान में प्रतिदिन शामिल हो रहे सैकड़ों साधक
नई पीढ़ी को भी संस्कारों में ढालती है तर्पण क्रिया

नई पीढ़ी को भी संस्कारों में ढालती है तर्पण क्रिया
हंसदास मठ पर श्रद्धा सुमन सेवा समिति द्वारा आयोजित निशुल्क तर्पण अनुष्ठान में प्रतिदिन शामिल हो रहे सैकड़ों साधक
इंदौर। एक तरह से तर्पण क्रिया में दिवंगत परिजनों के साथ स्वयं हमारा भी कल्याण निहित है। हमारी आने वाली पीढ़ी भी हमारे लिए यह सब करना सीखेगी। तर्पण भारतीय संस्कृति की ऐसी प्रक्रिया है जो अपने दिवंगत परिजनों के साथ अपनी नई पीढ़ी को भी संस्कारों में ढालती है। हम अपने बुजुर्गों और दिवंगतों को सम्मान और श्रद्धा का समर्पण करेंगे तो हमारे अपने बच्चे भी हमें वैसा ही सम्मान देंगे।
ये प्रेरक विचार हैं भागवताचार्य पं.पुष्पानंदन पवन तिवारी के, जो उन्होंने एयरपोर्ट रोड, पीलियाखाल स्थित हंसदास मठ पर आश्रम के महामंडलेश्वर श्रीमहंत रामचरणदास महाराज एवं महामंडलेश्वर महंत पवनदास महाराज के सानिध्य में श्रद्धा सुमन सेवा समिति द्वारा आयोजित निःशुल्क तर्पण अनुष्ठान में आए साधकों को तर्पण क्रिया कराते हुए व्यक्त किए। राष्ट्रकवि पं. सत्यनारायण सत्तन भी आज अतिथि के रूप में अनुष्ठान में शामिल हुए और भारतीय संस्कृति में तर्पण की महत्ता तथा पूर्वजों के आशीर्वाद पर ओजस्वी उदबोधन दिया। प्रारंभ में संस्था की ओर से हरि अग्रवाल, राजेन्द्र सोनी, हरिनारायण विजयवर्गीय, डॉ. चेतन सेठिया, जगमोहन वर्मा, मुरलीधर धामानी, सूरजसिंह राठौड़, महेन्द्र विजयवर्गीय, डॉ. महेश गुप्ता आदि ने वैदिक मंगलाचरण के बीच अतिथियों का स्वागत किया। अनुष्ठान में आज भी 500 से अधिक साधकों ने विधि-विधानपूर्वक अपने-अपने पितरों के प्रति तर्पण क्रिया संपन्न की।
पं. पुष्पानंदन पवन तिवारी ने कहा कि दो तिथियों का संशय आज के बाद नहीं रहेगा अर्थात शेष सभी तिथियां क्रमांनुसार 12 सितम्बर को छठी, 13 को सप्तमी तिथि रहेगी। तर्पण के बाद निर्धनों, पशु-पक्षियों के लिए खीर प्रसाद, गौ सेवा, ब्राह्मण सेवा, देव दर्शन आदि की व्यवस्था भी यहां प्रतिदिन रखी गई है, जिन साधकों के पास तर्पण में बैठने के लिए धोती की व्यवस्था नहीं है, वे भी यहां धोती प्राप्त कर तर्पण में भाग ले सकेंगे।
सुबह 8 बजे तक पहुंचे- समिति के अध्यक्ष हरि अग्रवाल एवं राजेन्द्र गर्ग ने बताया कि श्राद्ध पक्ष में 21 सितम्बर तक प्रतिदिन सुबह 8 से 10 बजे तक तर्पण अनुष्ठान होगा। आम श्रद्धालु यहां आकर निःशुल्क तर्पण कर सकेंगे। तर्पण मे प्रयुक्त सभी सामग्री की व्यवस्था समिति द्वारा की जा रही है। इस दौरान 14 सितम्बर से 20 सितम्बर तक पितृ मोक्षदायी भागवत कथा भी आचार्य पं. पुष्पानंदन पवन तिवारी के श्रीमुख से प्रतिदिन दोपहर 2 से 5 बजे तक होगी। जिन परिजनों को अपने पितरों के निधन की तिथि ज्ञात है, वे उस तिथि के दिन प्रातः 7.30 बजे तक घर से स्नान कर स्वच्छ श्वेत कुर्ता-पायजामा या धोती-कुर्ता पहनकर हंसदास मठ पहुंच जाएं जहां समिति की ओर से सभी व्यवस्थाएं निशुल्क रखी गई हैं, जिन्हें अपने पितरों की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं है, वे सर्वपितृ अमावस्या पर शामिल हो सकते हैं।