सफल रहा इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल, अंतिम दिन राहगीर के गानों पर थिरके लोग
साहित्य और कला पसंद लोगों ने दिया आयोजन को धन्यवाद

*सफल रहा इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल, अंतिम दिन राहगीर के गानों पर थिरके लोग*
5000 से ज्यादा दर्शक हुए शामिल
साहित्य और कला पसंद लोगों ने दिया आयोजन को धन्यवाद
इंदौर, । इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल सीजन 11 के तीसरे और अंतिम दिन 16 नवंबर 2025 को डेली कॉलेज परिसर में साहित्य, संगीत और संवाद का अनोखा संगम देखने को मिला। आखिर दिन होने के कारण सुबह से ही बड़ी संख्या में लोग पहुंचते रहे, और हर सत्र में दर्शकों की भीड़ लगातार बढ़ती गई। आयोजन का माहौल बिल्कुल उत्सव जैसा रहा, जहाँ किताबें, कला, संगीत और कहानियाँ एक ही जगह पर सजी दिखीं। आयोजन में तीन दिनों में 5000 से ज्यादा लोग शामिल हुए
दिन की शुरुआत “इंदौर की सरगम” से हुई, जिसमें शहर के युवा कलाकारों ने अपनी मधुर प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीत लिया। इसके बाद स्थानीय कवियों का सत्र “गीत गुंजन” हुआ, जहाँ शहर के काव्य–स्वर मंच पर गूंजे और श्रोताओं ने विनम्र तालियों से स्वागत किया।
युवा रचनाकार, नए लेखक, जिन्होंने अपनी कहानियों, संघर्षों और शुरुआती यात्राओं को साझा किया। यह सत्र युवाओं से भरा रहा और शहर के उभरते लेखकों के लिए प्रेरणा का माध्यम बना। इसके बाद “मधुरिमा के मयूर पंख” नाम से कविताओं का रंगारंग सत्र हुआ, जिसमें कविता की मिठास और संवेदना दोनों स्पष्ट नजर आईं।
महत्वपूर्ण सत्र शर्मिष्ठा मुखर्जी के साथ हुआ, जहाँ उन्होंने अपनी पुस्तक “प्रणब माय फादर” के ज़रिये पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के जीवन, व्यक्तित्व और निजी पलों को बेहद सरल और भावुक अंदाज़ में साझा किया। इस सत्र पर दर्शकों ने विशेष रुचि दिखाई।
शहर के प्रमुख साहित्यकार मुकेश नेमा, उर्मिला शिरीष और अजय भूषण शुक्ल ने “मेरा रचना धर्म” में अपनी लेखन–यात्रा और साहित्यिक सोच पर बातचीत की। इसके तुरंत बाद मशहूर गायक राहगीर ने अपनी जीवन–यात्रा और संघर्ष की कहानी को “राहगीर की जुबानी” सत्र में सबसे सामने रखा—लोगों ने इसे बड़े चाव से सुना।
रागिनी मोदी (लेखिका व ज्योतिषी) के साथ बातचीत का सत्र हुआ, जिसमें आध्यात्मिकता और लेखन पर दिलचस्प चर्चा हुई। फिर “लोक बनाम लाइक” पर हिन्दीनामा के संपादक अंकुश कुमार और ब्लॉगर संजय शेफर्ड ने बताया कि डिजिटल दौर में असली लोक संस्कृति और लाइक्स की होड़ के बीच संतुलन कैसे बनता है।
कलम और कविता” सत्र में शिक्षाविदों ने अपनी कविताओं के ज़रिये समाज, शिक्षा और जीवन की बारीकियों को छुआ। इसके बाद चिंतनशील सत्र उदय महुरकर के साथ “फिल्मों और वेबसीरीज में अश्लीलता का संकट” पर हुआ, जिसमें उन्होंने आज के मनोरंजन माध्यमों की प्रवृत्तियों पर महत्वपूर्ण सवाल उठाए।
इतिहास की गलतियों और भ्रमों पर प्रखर श्रीवास्तव ने “इतिहास लेखन की विसंगतियां” में तीखे और तथ्यपूर्ण दृष्टिकोण रखे। आगे, प्रदीप भंडारी ने “बदलती डेमोग्राफी के खतरे” विषय पर गंभीर और बहुत जरूरी बातों को सामने रखा।
सत्रों में अपराध कथाओं पर मनोज राजन त्रिपाठी ने “पर्दे पर उतरती अपराध कथाएं” में बताया कि आज की कहानियाँ कैसे स्क्रीन पर नया रूप ले रही हैं। इसके बाद “कहानी की पाठशाला” में लोकप्रिय कथाकार दिव्य प्रकाश दुबे ने कहानी कहने की कला, पात्रों के निर्माण और भावनाओं की तकनीकें बेहद सरल भाषा में समझाईं—यह सत्र सबसे ज्यादा युवा दर्शकों से सराबोर रहा।
कार्यक्रम के अंत में शहर के वरिष्ठ साहित्यकारों का सम्मान किया गया, जिसने पूरे सभागार में गरिमा का भाव भर दिया। इसके बाद सोशल इन्फ्लुएंसर्स के साथ मस्ती, हंसी और उनके सफ़र की दिलचस्प कहानियों का सत्र हुआ, जिसने युवाओं को खूब प्रभावित किया।
फेस्टिवल का शानदार समापन एक ऊर्जावान म्यूजिक कॉन्सर्ट से हुआ, जिसमें मशहूर गायक और गीतकार राहगीर ने कच्चा घड़ा जैसी अपनी रचनाओं के साथ ऐसा माहौल बनाया कि लोग लंबे समय तक झूमते रहे।
अंत में आयोजक समिति के प्रमुख श्री प्रवीण शर्मा ने कहा, “इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल सीज़न 11 को जिस प्यार, सम्मान और अपार ऊर्जा से इंदौरवासियों ने अपनाया, उसके लिए मैं हृदय से आभारी हूँ। तीन दिनों तक साहित्य, कला, संगीत और संवाद को जिस भाव से आपने जिया, उसने साबित किया कि इंदौर की सांस्कृतिक आत्मा कितनी समृद्ध है। सभी लेखकों, कलाकारों, वक्ताओं, स्वयंसेवकों और दर्शकों का धन्यवाद—आप सबके सहयोग से यह फेस्टिवल और भी उजला हुआ। हम अगले वर्ष और नई ऊँचाइयों और अनुभवों के साथ फिर मिलेंगे।”
क्या बोले दर्शक
मैं पिछले कई सालों से इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल में आता रहा हूं। हर साल यहां की ऊर्जा और कला को बहुत करीब से महसूस करता हूं। मुझे खुशी है कि दुनिया भर के लेखक और कलाकार इंदौर आते हैं और हम उन्हें यहां सुन पाते हैं।
— अविनाश पाठक मैं तीनों दिनों फेस्टिवल में आई और हर दिन कुछ नया सीखने को मिला। मैं पढ़ने की शौकीन हूं, और आज जिन नए लेखकों से मुलाकात हुई, उनकी बातें और लेखन पर मिली जानकारी मुझे बेहद पसंद आई।
— कोमल मुझे खुशी है कि इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल के 11 सीज़न में से कई बार मैं इसका हिस्सा रहा हूं। इस बार का फेस्टिवल मेरे लिए इसलिए खास था क्योंकि फेस्टिवल ने मुझे मंच दिया। मैंने ओपन माइक पर अपनी कविता पढ़ी और लोगों की सराहना पाकर बहुत अच्छा लगा।



