इंदौर

नदी बचेगी तो शहर बचेगा* *कान्ह-सरस्वती के लिए अभ्यास मंडल का मौन बिगुल*”

अभ्यास मंडल ने कान्ह-सरस्वती नदी के पुनर्जीवन हेतु किया मौन धरना*

*नदी बचेगी तो शहर बचेगा* *कान्ह-सरस्वती के लिए अभ्यास मंडल का मौन बिगुल*”

*अभ्यास मंडल ने कान्ह-सरस्वती नदी के पुनर्जीवन हेतु किया मौन धरना*

इंदौर। कृष्णपुरा छत्री गेट पर शहर की जीवनधारा कही जाने वाली कान्ह और सरस्वती नदियों के पुनर्जीवन की मांग को लेकर आज अभ्यास मंडल द्वारा एक विशाल मौन धरना आयोजित किया गया। यह धरना दो घंटे से अधिक समय तक चला, जिसमें अभ्यास मंडल के पदाधिकारियों के साथ ही शहर के सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरणविद और अनेक गणमान्य नागरिक शामिल हुए।
धरना पूरी तरह अनुशासित और शांतिपूर्ण रहा। सहभागीजन मौन रहकर भी एक सशक्त संदेश देते दिखे कि “शहर को उसकी नदियाँ चाहिए, क्योंकि यही उसकी रगों का पानी और सांस्कृतिक विरासत हैं।” अभ्यास मंडल के सदस्यों ने कहा कि नदियाँ सिर्फ जलस्रोत नहीं हैं, बल्कि इंदौर की पहचान और भविष्य की आधारशिला हैं। जब तक कान्ह और सरस्वती का पुनर्जीवन नहीं होगा, तब तक शहर का पर्यावरणीय संतुलन भी अधूरा रहेगा।
धरने के माध्यम से यह मांग उठाई गई कि प्रशासन, समाज और नागरिक मिलकर नदी पुनर्जीवन अभियान को प्राथमिकता दें और इसे एक जन-आन्दोलन के रूप में आगे बढ़ाएं। अभ्यास मंडल का यह प्रयास केवल नदियों की रक्षा का आह्वान नहीं, बल्कि शहर की आने वाली पीढ़ियों के जीवन और सांसों की सुरक्षा का संकल्प है।
गौतम कोठारी अशोक जायसवाल, ओ पी जोशी,कृपाशंकर शुक्ला, श्यामसुंदर यादव , सुरेश मिंडा, फादर लकारा, प्रदीप नवीन, नूर मोह कुरैशी, पी सी शर्मा, जीवन मंडलीचा, रामस्वरूप मंत्री, अरविंद पोरवाल, दिलीप वाघेला,मनीष भालेराव, मुरली खंडेलवाल, श्याम पांडे,देवीलाल गुर्जर,सुशीला यादव, मालासिंह ठाकुर, वैशाली खरे, प्रणिता दीक्षित आदि उपस्थित थे
रामेश्वर गुप्ता ने आभार के साथ अगली रूपरेखा के बारे में जानकारी दी

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