इंदौर

माताएं विवाहित बेटे-बेटी का रिमोट कंट्रोल अपने हाथों में रखेंगी तो दोनों ही परिवार हाथ से निकल जाएंगे

प्रशंसा से प्रेरणा लेना चाहिए, अहंकार नहीं – नरसिंह वाटिका की धर्मसभा में बोले जैनाचार्य प.पू. विश्वरत्न सागर म.सा.

माताएं विवाहित बेटे-बेटी का रिमोट कंट्रोल अपने हाथों में रखेंगी तो दोनों ही परिवार हाथ से निकल जाएंगे

प्रशंसा से प्रेरणा लेना चाहिए, अहंकार नहीं – नरसिंह वाटिका की धर्मसभा में बोले जैनाचार्य प.पू. विश्वरत्न सागर म.सा.

इंदौर, । प्रशंसा और मान-सम्मान हमें हमारे कर्तव्य पथ से भटका सकते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी प्रशंसा बहुत अच्छी लगती है, लेकिन इस प्रवृत्ति को यदि हम अपनी कमजोरी बना लेंगे तो चाटुकारों का समूह सक्रिय होकर हमें घेर लेगा। किसी भी बड़े पद पर बैठे व्यक्ति के साथ अक्सर ऐसा होता है। यहां तक कि साधु-साध्वी भी इससे बच नहीं पाते। हमारे जिन शासन के धर्मग्रंथों में भी हजारों वर्ष पूर्व स्पष्ट संकेत दिए गए हैं कि चाहे जितनी प्रशंसा सुन लो, लेकिन उसके कारण अपने आचरण से विचलन नहीं होने देना चाहिए। आज समाज में तलाक की प्रवृत्तियां निरंतर बढ़ती जा रही है। माताएं अपनी विवाहित बेटियों के ससुराल के मामलों में दखल देकर उनके घर-परिवार को बिखेर रही हैं। माताएं यदि विवाहित बेटे-बेटी का रिमोट कंट्रोल अपने हाथों में रखेंगी तो दोनों के ही परिवार हाथ से निकल जाएंगे। प्रशंसा से प्रेरणा लेना चाहिए, अहंकार नहीं।
अर्बुद गिरिराज जैन श्वेताम्बर तपागच्छ उपाश्रय ट्रस्ट पीपली बाजार, जैन श्वेताम्बर मालवा महासंघ एवं नवरत्न परिवार इंदौर के संयुक्त तत्वावधान में नरसिंह वाटिका स्थित नवरत्न वाटिका पर चल रहे चातुर्मासिक अनुष्ठान की धर्मसभा में युवा हृदय सम्राट, जैनाचार्य प.पू. विश्वरत्नसागर म.सा. ने उक्त प्रेरक विचार व्यक्त किए। धर्मसभा का शुभारंभ भगवान महावीर स्वामी द्वारा रचित उत्तराध्ययन सूत्र में उल्लेखित श्लोक के वाचन से हुआ, जिसे पूरे सभा मंडप ने खड़े होकर श्रवण किया। धर्मसभा को मुनि प्रवर उत्तम रत्न सागर म.सा. ने भी संबोधित किया। आयोजन समिति की ओर से अध्यक्ष पारसमल बोहरा, संयोजक पुण्यपाल सुराना, कैलाश नाहर, ललित सी. जैन, दिलसुखराज कटारिया, मनीष सुराना, प्रीतेश ओस्तवाल, शेखर गेलड़ा एवं दीपक सुराना ने सभी समाजबंधुओं की अगवानी की। धर्मसभा में महिदपुर के विधायक दिनेश जैन बोस का भी बहुमान किया गया, जिन्होंने सत्संग श्रवण का पुण्य लाभ उठाकर प.पू. जैनाचार्य से शुभाशीष प्राप्त किए। लाभार्थी परिवार एवं विधायक जैन का बहुमान संजय धारीवाल, सुनील फरबदा, शैलेन्द्र नाहर, अंकित मारू, रीतिश आशीष जैन, मोनिश खूबाजी एवं ऋषभ कोचर द्वारा किया गया। दोपहर में महिलाओं के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें सखी ग्रुप की ओर से अनेक दिलचस्प और संस्कारों पर आधारित कार्यक्रम, तम्बोला आदि किए गए। रविवार को सुबह 9 बजे से पाप पुण्य की अदभुत घटनाओं के वर्णन और चित्रण के साथ ही एक नृत्य नाटिका का मंचन भी बच्चों द्वारा किया जाएगा।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए जैनाचार्य प.पू. विश्वरत्न सागर म.सा. ने कहा कि हमारे धर्मग्रंथ काफी समृद्ध और दूरदर्शिता से परिपूर्ण हैं। इन ग्रंथों में जीवन को सदगुणों से श्रृंगारित करने के अनेक मंत्र दिए गए हैं। न केवल गृहस्थ, बल्कि साधु-साध्वी और तीर्थंकरों के लिए भी इन ग्रंथों में एक तरह से आचार संहिता दी गई है। कब, कैसे, कहां, किन परिस्थितियों में श्रावक-श्राविका अथवा साधु-साध्वी को अपने आचरण में किस तरह का संयम रखना चाहिए, इनका स्पष्ट उल्लेख हजारों वर्ष पहले ही लिखे गए इन आगमों में दर्ज है। उत्तराध्ययन सूत्र में भी अनेक ऐसी बातें हैं, जो व्यक्ति को सदकर्मों की ओर प्रवृत्त करती है। प्रशंसा और मान-सम्मान को लेकर अनेक ऐसी बातें कही गई हैं, जिन्हें आत्मसात कर हम अपने जीवन को कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ा सकते हैं। मान-सम्मान, पुरस्कार, उपाधि और प्रशंसा आदि से जितना बचकर रहेंगे, अपनी जिम्मेदारियों को उतनी अधिक सफलता से पूरा कर पाएंगे, अन्यथा अनेक उदाहरण हमारे सामने हैं, जहां बड़े पद पर बैठे हुए व्यक्ति को चांडाल चौकड़ी घेर लेती है और चाटुकारिता के माध्यम से उसे अपने दायित्व से विमुख बना देती है। आज परिवारों के बिखरने का एक बड़ा कारण यह भी है कि विवाहिता बेटी के ससुराल के मामलों में मां का दखल बढ़ रहा है, वहीं बेटे के मामले में भी माताएं ज्यादा हस्तक्षेप कर घर की शांति को प्रभावित कर रही हैं। हर दिन फोन पर मां-बेटी के बीच जो बातें होती हैं, वे परिवार को तोड़ रही है, हालांकि समझदार मां जानती है कि बेटी के घर को बचाकर रखना है तो उसके ससुराल के मामलों में बिल्कुल दखल नहीं देना चाहिए।

नरसिंह वाटिका पर चल रहे चातुर्मासिक अनुष्ठान में रविवार 3, अगस्त को सुबह 9 बजे से धर्मसभा में जैनाचार्य प.पू. विश्वरत्नसागर म.सा. की निश्रा में पाप पुण्य की अदभुत घटनाओं के वर्णन और चित्रण के साथ ही एक नृत्य नाटिका का मंचन भी होगा। अनुष्ठान में सिद्धि तप आराधना, आयम्बिल एवं अन्य साधना का उत्साहपूर्ण दौर जारी है।

 

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