अति प्राचीन श्री भूतेश्वर महादेव मंदिर
भूतेश्वर महादेव के सामने अंतिम संस्कार होने पर मुक्ति मिलती है

अति प्राचीन श्री भूतेश्वर महादेव मंदिर
भूतेश्वर महादेव के सामने अंतिम संस्कार होने पर मुक्ति मिलती है
इंदौर। पश्चिम क्षेत्र के श्मशान में विराजे हैं महादेव, यहां मृत आत्माओं को मिलती है मुक्ति भूतेश्वर महादेव का यह मंदिर पंचकुइया स्थित 300 साल पुराने भूतेश्वर महादेव मंदिर शमशान की भूमि पर है।
भूतेश्वर महादेव मंदिर के आचार्य यतिन्द्र हरिशानन्द
तिवारी ने बताया कि भूतेश्वर महादेव के सामने अंतिम संस्कार होने पर मुक्ति मिलती है।
भगवान शिव श्रृष्टि के पालनहर्ता है, देवों के देव महादेव के जितने नाम हैं उतने ही उनके स्वरूप भी हैं। भोलेनाथ के हररूप की उपासना से नया वरदान मिलता है। इंदौर में अनेक चमत्कारी मंदिर है, जिसमें अंतिम चौराहे पंचकुइया स्थित कैलाश मार्ग पर श्री
भूतेश्वर महादेव का मंदिर है। भूतेश्वर महादेव के मंदिर का निर्माण होलकर वंश के राजाओं ने करवाया था। 400 वर्षों पुराने मंदिर के अदभुत रहस्य और चमत्कारों की जानकारिया मिलती है।
श्री भूतेश्वर महादेव मंदिर शहर के प्राचीन मंदिरों में पुराना पंचकुईया स्थित भूतेश्वर महादेव मंदिर शामिल है। भूतेश्वर महादेव श्मशान भूमि पर विराजित हैं। वर्तमान में मंदिर श्मशान घाट के सामने स्थित है। कहा जाता है कि महादेव के सामने अंतिम संस्कार से मृतआत्मा को मुक्ति मिलती है। इसके चलते मंदिर में भगवान के सामने एक खिड़की और मुक्तिधाम की दीवार के सामने एक खिड़की बनाई गई है। यहां शहर के हर क्षेत्र से भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
शिवलिंग पर पड़ता था चिता का प्रतिबिंब कहा जाता है कि जब पहले मंदिर और शमशान के बीच रास्ता नहीं था तब चिता का प्रतिबिंब शिवलिंग पर पड़ता था। मुक्तिधाम समिति ने कई बार मुक्तिधाम की दीवार बनाने की कोशिश की, लेकिन बार-बार गिर जाती थी।
बाद में समिति के पदाधिकारियों ने मुक्तिधाम की दीवार में बड़ी खिड़की और मंदिर के गर्भगृह में भोलेनाथ के सामने भी खिड़की बनाई गई उसके बाद ही दीवार पूरी हो पाई।
आचार्य ने बताया कि मंदिर में 64 योगिनिया है विराजमान जानकारी के मुताबिक मंदिर के गर्भगृह के पास एक बावड़ी हुआ करती थी, यहीं से पानी खींचकर शिवलिंग का जलाभिषेक किया जाता था। यहां शिव का पूरा दरबार है, मंदिर परिसर में 64 योगिनिया है लेकिन उसे कोई गिन नहीं पाता है,अगर कोई प्रयास करता है, तो वो ज्यादा हो जाती है। वैसे इन्हे गिनना अशुभ माना जाता है।
महादेव का नव निर्माण हो रहा। यह आस्था का केंद्र बन गया है।पूरे श्रावण मास में मंदिर में बाटुको के द्वारा भगवान शिव शंकर की वैदिक मंत्र अर्चना व स्तुति होती है। ब्रह्ममुहूर्त से श्रद्धालु द्वारा जलाभिषेक, पंचामृत, बेलपत्र व धतूरे आदि से पूजा की जाती है। पूरे सावन मास में या भक्तों की भीड़ लगे रहती है सोमवार को तो हजारों की तादाद में वक्त दर्शन के लिए आते हैं श्रावण मास के हर चार अगस्त सोमवार को विशेष रूप से भोलेनाथ का श्रृंगार किया जाता है । श्रावण मास के अंतिम सोमवार को भूतेस्वर् माहदेव अपने भक्तों के हाल-चाल जानने के लिए अपने गर्भग्रह से निकलेंगे । शाही सवारी मंदिर से प्रारंभ होकर बड़ा गणपति, एमजी रोड ,खजूरी बाजार, राजवाड़ा पी वॉय रोड , जवाहर मार्ग से होते हुए पून: मंदिर पर पहुंचेगी, जहां पर महा आरती होगी और भक्तों को प्रसाद दिया जाएगा।